आगरा: विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से महागठबंधन में शामिल दल सपा का साथ छोड़ रहे हैं. सबसे पहले महागठबंधन में शामिल महान दल ने सपा का साथ छोड़ा. इसके बाद ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar), फिर चाचा शिवपाल यादव (shivpal yadav) ने भी भतीजे से दूरियां बना लीं. अब रालोद भी खुद के दम पर नगरी निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुका है. इससे सपा और रालोद की राहें भी जुदा होती दिख रही हैं. राजनीतिक गलियारों में हो रही चर्चा को लेकर महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ( National President of Mahan Dal Keshav Dev Maurya) ने ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बातचीत की.
उन्होंने कहा कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि ओमप्रकाश राजभर, शिवपाल यादव और जयंत चौधरी का रिमोट खुद के पास में ही हैं. महान दल के अलग होते ही ये भी छोड़कर चले गए हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव बहुत जल्दी इरीटेट हो जाते हैं, जिस तरह से सपा के प्रवक्ता 2024 के लोकसभा चुनाव में 70 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं. ये बड़बोले प्रवक्ता ही सपा के साथ ही अखिलेश यादव को हंसी का पात्र बना रहे हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में ही बड़बोले सपा के नेताओं ने सपा का सत्यानाश करवाया. उन्होंने कहा कि, अखिलेश यादव यदि अपने बर्ताव और राजनीतिक विश्लेषण में बदलाव नहीं करते हैं तो सपा का भविष्य खतरे में है. ऐसा ही रहा तो सपा इतिहास बन जाएगी, जिसके बारे में लोग किताबों में पढ़ेंगे.
जानकारी देते हुए महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य आगरा में जयंत के सवाल पर इरीटेट हुए थे अखिलेशमहान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने कहा कि, सपा मुखिया अखिलेश यादव को बिना बताए रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने वरिष्ठ सपा नेता आजम खान से मुलाकात की. इस पर जब अखिलेश यादव से आगरा में सवाल पूछा गया था तो वह इरिटेट हो गए थे. मैंने तब भी यही कहा था कि, जब तक महान दल महागठबंधन में था. तब तक ओमप्रकाश राजभर, जयंत चौधरी अलग नहीं हो सकते हैं. अब महान दल अलग हो गया है तो ये भी साथ छोड़ेंगे क्योंकि, ओमप्रकाश राजभर, जयंत चौधरी और शिवपाल यादव का रिमोट खुद के पास में ही है. उनका रिमोट बेहद ही मजबूत हाथों में है. जैसे वहां से इशारा होता है. उसी के मुताबिक ये लोग अपने गठबंधन और अन्य दलों से दोस्ती करते हैं.
कांग्रेस के साथ गठबंधन होने पर ही रालोद रहेगी सपा के साथ महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने कहा कि जिस तरह से रालोद ने नगरीय चुनाव खुद के दम पर लड़ने का ऐलान किया है उससे साफ है कि आने वाले दिनों में जल्द ही रालोद का भी गठबंधन से अलग होना तय है. 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सपा का यदि कांग्रेस से गठबंधन होता है तो रालोद सपा के साथ रहेगी. यदि, महान दल साथ आता है तो जयंत भी साथ आएंगे. चाचा भी आएंगे और ओमप्रकाश राजभर भी साथ आएंगे. इसकी वजह यह है कि, केशवदेव मौर्य और अखिलेश यादव की दोस्ती मजबूत न हो. अखिलेश यादव की सही बात यह है कि, कोई उनसे सही बात करे तो वह इरिटेट और गुस्सा हो जाते हैं. उनका मानना है कि, चाहे खुद खत्म हो जाएं मगर, किसी दूसरे पिछड़े नेता को नहीं बढ़ने नहीं देना है, जो पिछड़ा नेता मजबूत है और जो आगे चलकर मुख्यमंत्री बन सकता है. अखिलेश यादव ने अपनी इस सोच को खत्म नहीं किया तो अखिलेश जी खुद खत्म हो जाएंगे.
दबंगई से जीतेगी भाजपामहान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने कहा कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के अच्छे नेता बाबा के बुलडोजर से घबराए हुए हैं. अब तो जिस तरह से ट्विन टावर ढहाया गया है, डायनामाइट लगाया गया है, ऐसे में ये दिग्गज नेता चुनाव ही नहीं लड़ेंगे. अब रालोद ने निकाय चुनाव खुद के दम पर लड़ने का ऐलान किया है जिससे सपा को और नुकसान होगा. सपा अपने दम पर पार्षद तो बना सकती है लेकिन, मेयर और चेयरमैन बनाना बड़ा मुश्किल होगा.