आगरा: उत्तर भारत की ऐतिहासिक रामलीला (Ramleela in Agra) भी हिंदू मुस्लिम एकता का संदेश के साथ ही मिसाल पेश कर रही है. आगरा में रावण और उसके कुनबे के पुतले मथुरा के कोसी कला से आए मुस्लिम कारीगर (mathura muslim artisans) बना रहे हैं. इस बार भी दशहरा पर आगरा किला के पास रामलीला मैदान पर 100 फीट का रावण (100 feet ravana effigy in agra) अट्टहास करेगा. जैसे ही बटन दबेगा, वैसे ही रावण और कुंभकर्ण का पुतला धू धूकर जलेंगे. इसके साथ ही दशहरा पर रामलीला मैदान में इलेक्ट्रिक आतिशबाजी भी दर्शकों को देखने के लिए मिलेगा.
आगरा में उत्तर भारत की मशहूर रामलीला होती है. दशहरा पर विशालकाय रावण का पुतला दहन किया जाता है. इस बार मथुरा के कोसी से आए कारीगर 100 फीट लंबे रावण के विशालकाय पुतले को बनाने में लगे हैं. रावण और उसके कुनबा के पुतले अलग अलग चरणों में तैयार किए जा रहे हैं. 25 दिन से ज्यादा हो गए हैं और लगातार 5 कारीगर पुतला बनाने में लगे हुए हैं. रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बनाने में 20,005 बांस, एक कुंतल रद्दी के साथ ही 50 किलोग्राम सुतली समेत अन्य सामान लगेगा.
इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी भी होगी
श्री रामलीला कमेटी के उपमंत्री आनंद मंगल ने बताया कि, इस बार दशहरा पर रावण के पुतले का दहन के दौरान एक-एक कर सिर जमीन पर गिरेगा. उसकी गर्दन घूमेगी. जब रिमोट का बटन दबेगा तो रावण का विशालकाय पुतला धू धूकर जलने लगेगा. दशहरा पर इलेक्ट्रिक आतिशबाजी की जाएगी. इसके साथ ही आतिशबाजी प्रतियोगिता होगी.
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अलग अलग साइज के पुतले
मथुरा के कोसी निवासी जाफर अली बताते हैं कि, पहले हमारे पूर्वज रावण और कुंभकरण का पुतला बनाते थे. अब हम बना रहे हैं. करीब 135 साल से रावण और उसके कुनबे के पुतले बनाने का काम हम कर रहे हैं. इस पर छह कारीगरों के साथ आगरा किला के सामने रामलीला मैदान के पास हनुमान मंदिर में 100 फीट का रावण का पुतला तैयार किया जा रहा है. रावण और उसके कुनबे के पुतले पांच अलग अलग हिस्सों में तैयार किए जा रहे हैं. इस बार कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला 45 फीट का तैयार किया जा रहा है. ताड़का का पुतला 12 फीट का है. कारीगर ने बताया कि, रावण और उसके कुनबा के पुतला बनाने से ही उनके परिवार की रोटी का इंतजाम होता है.
कारीगर असलम ने बताया कि, आगरा का मौसम बदल गया है. कई दिन से बारिश हो रही है. इस वजह से पुतला बनाने में दिक्कत आ रही है. जल्दी हम कारीगर बढ़ाएंगे. जिससे समय पर पुतला बन सके. हमारे लिए तो हिंदू और मुस्लिम धर्म दोनों एक जैसे हैं. जैसे हमारे लिए अल्लाह हैं, वैसे ही हमारे लिए राम हैं. क्योंकि, यहां पर काम करके हमें रोजगार मिलता है, जिससे हमारे घर का चूल्हा जलता है. इसलिए हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है. पुतला बनाना हमारा पुश्तैनी काम है.
ऐसे तय होती है पुतले की लंबाई
- धड़− 40 फीट
- मुकुट−25 फीट
- चेहरा− 20 फीट
- पैर− 15 फीट
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