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आगरा: जाटव महापंचायत ने जलाए बसपा सुप्रीमो मायावती के पोस्टर

यूपी के आगरा जिले में जाटव समाज की नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगी है. जाटव समाज के लोगों ने बसपा सुप्रीमो मायावती का पोस्टर जलाया है. साथ ही मायावती के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.

जाटव समाज ने मायावती के जलाए पोस्टर.
जाटव समाज ने मायावती के जलाए पोस्टर.
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Published : Oct 7, 2020, 7:37 PM IST

आगरा : जिले में जाटव समाज का बीएसपी से मोहभंग होता नजर आ रहा है. एक समय ताजनगरी आगरा के 9 में से 7 विधानसभा सीटों पर बसपा का कब्जा होता था. जिसमें इस समाज के लोगों का अहम रोल होता था. लेकिन अब जाटव महापंचायत में बसपा पार्टी के झंडे और उसकी अध्यक्ष मायावती के फोटो जलाए गए हैं. इस दौरान इस समाज के लोगों ने जमकर नारेबाजी कर अपना विरोध जताया.

दरअसल, आगरा में जगदीशपुरा इलाका बीएसपी का गढ़ माना जाता है. यहां बहुतायत में जाटव समाज के लोग रहते हैं. अनुमान लगाया जाए तो जाटव समाज शहर और जिले की हर विधानसभा में जीत-हार की स्थिति रखता है. जाटव समाज को बसपा का कद्दावर वोटर भी माना जाता है. लेकिन यहां से बीएसपी मुखिया का विरोध होना बहुजन समाज पार्टी के लिए निश्चित रूप से चिंताजनक है. रामवीर कर्दम का कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा सिर्फ ट्वीट करने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से न मिलकर यह दर्शाया है कि वो सिर्फ दिखावे के लिए दलितों का समर्थन करती हैं, और दलितों के वोट पर राजनीति करती हैं. अब समाज जाग गया है. जो दलितों के हित में काम करेगा, दलित उसे ही वोट देगें.

बहरहाल अब देखना होगा कि 2022 में होने वाले चुनाव में हाथी अपनी कितनी चाल चल सकता है. इस चाल से दलितों को कितना फायदा और कितना नुकसान हो सकता है ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

आगरा : जिले में जाटव समाज का बीएसपी से मोहभंग होता नजर आ रहा है. एक समय ताजनगरी आगरा के 9 में से 7 विधानसभा सीटों पर बसपा का कब्जा होता था. जिसमें इस समाज के लोगों का अहम रोल होता था. लेकिन अब जाटव महापंचायत में बसपा पार्टी के झंडे और उसकी अध्यक्ष मायावती के फोटो जलाए गए हैं. इस दौरान इस समाज के लोगों ने जमकर नारेबाजी कर अपना विरोध जताया.

दरअसल, आगरा में जगदीशपुरा इलाका बीएसपी का गढ़ माना जाता है. यहां बहुतायत में जाटव समाज के लोग रहते हैं. अनुमान लगाया जाए तो जाटव समाज शहर और जिले की हर विधानसभा में जीत-हार की स्थिति रखता है. जाटव समाज को बसपा का कद्दावर वोटर भी माना जाता है. लेकिन यहां से बीएसपी मुखिया का विरोध होना बहुजन समाज पार्टी के लिए निश्चित रूप से चिंताजनक है. रामवीर कर्दम का कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा सिर्फ ट्वीट करने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से न मिलकर यह दर्शाया है कि वो सिर्फ दिखावे के लिए दलितों का समर्थन करती हैं, और दलितों के वोट पर राजनीति करती हैं. अब समाज जाग गया है. जो दलितों के हित में काम करेगा, दलित उसे ही वोट देगें.

बहरहाल अब देखना होगा कि 2022 में होने वाले चुनाव में हाथी अपनी कितनी चाल चल सकता है. इस चाल से दलितों को कितना फायदा और कितना नुकसान हो सकता है ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

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