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आगरा के इस स्थान पर 9 दिनों तक गुरु तेग बहादुर को रखा गया था नजरबंद, 400वें प्रकाश पर्व पर जाने यह खास कहानी

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Published : Apr 21, 2022, 8:27 PM IST

Updated : Apr 21, 2022, 11:07 PM IST

21 अप्रैल 2022 को गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व आगरा में भी मनाया गया. आगरा एक ऐसी जगह है जहां भगवान शिव के साथ-साथ सिखों के गुरु-गुरु नानक देव, गुरु हरगोविंद साहिब, गुरु तेग बहादुर साहिब देखने को मिलते हैं.

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गुरु का ताल स्थित गुरुद्वारा

आगरा : ताज नगरी को मुगलों की राजधानी कहा जाता है. बताया जाता है कि यह जगह मुगलों की सबसे पसंदीदा जगह है लेकिन आगरा एक ऐसी जगह है जहां भगवान शिव के साथ-साथ सिखों के गुरु गुरुनानक देव, गुरु हरगोविंद साहिब, गुरु तेग बहादुर साहिब देखने को मिलते हैं. गुरु गोविंद सिंह ने आगरा की जमीन अपना इतिहास रचा था. 21 अप्रैल को पूरे देश में गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व मनाया जाता है.

21 अप्रैल 2022 को गुरु तेग बहादुरजी का 400वां प्रकाश पर्व आगरा में मनाया गया. गुरु तेग बहादुर का आगरा से काफी पुराना रिश्ता है. यहां पर एक ऐसी जगह है जहां पर गुरु तेग बहादुर जी को 9 दिनों तक नजरबंद करके रखा गया और यहीं से उनको दिल्ली ले जाकर शहीद किया गया था. आज इस जगह को ऐतिहासिक स्थल दुख निवारण गुरु का ताल गुरुद्वारा कहा जाता है. आज भी इस जगह की इमारत को वैसे ही रखा गया है जैसी वह 400 साल पहले थी. इसका श्रेय गुरुद्वारे के बाबा संत प्रीतम सिंह जी को जाता है.

गुरु का ताल स्थित गुरुद्वारा

गुरु के ताल पर स्थित गुरुद्वारे पर सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी को 9 दिन तक नजरबंद रखा गया था. उस वक्त औरंगजेब ने यह फरमान जारी किया था कि हिंदुस्तान के कश्मीरी ब्राह्मण इस्लाम धर्म को अपना लें. उन्होंने कहा था कि जो इस्लाम धर्म जो नहीं अपनाएगा, उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा. लगातार देश में कश्मीरी ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहे थे. कश्मीरी ब्राह्मणों ने तेग बहादुर जी की शरण में गए. इसके बाद गुरु तेग बहादुर ने कहा कि कुर्बानी देने का वक्त आ गया है.

उन्होंने औरंगजेब तक यह संदेश भिजवाया कि हिंदुओं के पीर सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर साहिब इस्लाम धर्म कबूल कर लेते हैं तो भारतवर्ष स्वयं ही मुसलमान हो जाएगा. इस बात पर औरंगजेब ने सभी कश्मीरी ब्राह्मणों को छोड़ दिया और गुरु तेग बहादुर की गिरफ्तारी का एलान किया. 1675 ईसवी में गुरु तेग बहादुर को कस्बा सिकंदरा के पूर्व में ककरेटा गांव के जुहू में बने बादशाही बाग में डेरा डालकर 9 दिन तक नजरबंद रखा गया था. आज इस स्थान को गुरु का ताल स्थित गुरुद्वारा कहा जाता है.

पढ़ेंः प्रकाश पर्व समारोह : लाल किले की सुरक्षा में करीब एक हजार कर्मी तैनाती

ककरेटा गांव के रहने वाले हसन अली खान सैयद अहमद अली खान का पौत्र था. उसे यह भनक लगी थी कि औरंगजेब ने एलान किया है जो भी तेग बहादुर जी को पकड़ कर देगा, उसे 500 मोहर इनाम में मिलेंगे. इस लालच में गुरु तेग बहादुर जी के आगे चरवा हसन अली ने निवेदन किया कि आपको गिरफ्तारी देनी ही है तो मेरे हाथ से गिरफ्तारी दें. इससे मुझे 500 मोहरें मिलेंगी तो मेरी गरीबी दूर हो जाएगी.

वहीं, गुरु तेग बहादुर 1675 ईसवी में आगरा आए तो इसी जगह ककरेटा गांव के जुहू में बने बादशाही बाग में डेरा डाला था जहां पीने का पानी बिल्कुल खारा था. इसके बाद गुरु तेग बहादुर सिंह ने आशीर्वाद दिया कि इस जगह का पानी हजरा हो जाएगा. यानी कि इनके कुएं का पानी मीठा हो जाएगा और आज भी गुरुद्वारा गुरु का ताल पर स्थित कुएं का पानी मीठा है. सबसे ज्यादा मीठा पानी गुरुद्वारे में ही मिलता है.

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आगरा : ताज नगरी को मुगलों की राजधानी कहा जाता है. बताया जाता है कि यह जगह मुगलों की सबसे पसंदीदा जगह है लेकिन आगरा एक ऐसी जगह है जहां भगवान शिव के साथ-साथ सिखों के गुरु गुरुनानक देव, गुरु हरगोविंद साहिब, गुरु तेग बहादुर साहिब देखने को मिलते हैं. गुरु गोविंद सिंह ने आगरा की जमीन अपना इतिहास रचा था. 21 अप्रैल को पूरे देश में गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व मनाया जाता है.

21 अप्रैल 2022 को गुरु तेग बहादुरजी का 400वां प्रकाश पर्व आगरा में मनाया गया. गुरु तेग बहादुर का आगरा से काफी पुराना रिश्ता है. यहां पर एक ऐसी जगह है जहां पर गुरु तेग बहादुर जी को 9 दिनों तक नजरबंद करके रखा गया और यहीं से उनको दिल्ली ले जाकर शहीद किया गया था. आज इस जगह को ऐतिहासिक स्थल दुख निवारण गुरु का ताल गुरुद्वारा कहा जाता है. आज भी इस जगह की इमारत को वैसे ही रखा गया है जैसी वह 400 साल पहले थी. इसका श्रेय गुरुद्वारे के बाबा संत प्रीतम सिंह जी को जाता है.

गुरु का ताल स्थित गुरुद्वारा

गुरु के ताल पर स्थित गुरुद्वारे पर सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी को 9 दिन तक नजरबंद रखा गया था. उस वक्त औरंगजेब ने यह फरमान जारी किया था कि हिंदुस्तान के कश्मीरी ब्राह्मण इस्लाम धर्म को अपना लें. उन्होंने कहा था कि जो इस्लाम धर्म जो नहीं अपनाएगा, उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा. लगातार देश में कश्मीरी ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहे थे. कश्मीरी ब्राह्मणों ने तेग बहादुर जी की शरण में गए. इसके बाद गुरु तेग बहादुर ने कहा कि कुर्बानी देने का वक्त आ गया है.

उन्होंने औरंगजेब तक यह संदेश भिजवाया कि हिंदुओं के पीर सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर साहिब इस्लाम धर्म कबूल कर लेते हैं तो भारतवर्ष स्वयं ही मुसलमान हो जाएगा. इस बात पर औरंगजेब ने सभी कश्मीरी ब्राह्मणों को छोड़ दिया और गुरु तेग बहादुर की गिरफ्तारी का एलान किया. 1675 ईसवी में गुरु तेग बहादुर को कस्बा सिकंदरा के पूर्व में ककरेटा गांव के जुहू में बने बादशाही बाग में डेरा डालकर 9 दिन तक नजरबंद रखा गया था. आज इस स्थान को गुरु का ताल स्थित गुरुद्वारा कहा जाता है.

पढ़ेंः प्रकाश पर्व समारोह : लाल किले की सुरक्षा में करीब एक हजार कर्मी तैनाती

ककरेटा गांव के रहने वाले हसन अली खान सैयद अहमद अली खान का पौत्र था. उसे यह भनक लगी थी कि औरंगजेब ने एलान किया है जो भी तेग बहादुर जी को पकड़ कर देगा, उसे 500 मोहर इनाम में मिलेंगे. इस लालच में गुरु तेग बहादुर जी के आगे चरवा हसन अली ने निवेदन किया कि आपको गिरफ्तारी देनी ही है तो मेरे हाथ से गिरफ्तारी दें. इससे मुझे 500 मोहरें मिलेंगी तो मेरी गरीबी दूर हो जाएगी.

वहीं, गुरु तेग बहादुर 1675 ईसवी में आगरा आए तो इसी जगह ककरेटा गांव के जुहू में बने बादशाही बाग में डेरा डाला था जहां पीने का पानी बिल्कुल खारा था. इसके बाद गुरु तेग बहादुर सिंह ने आशीर्वाद दिया कि इस जगह का पानी हजरा हो जाएगा. यानी कि इनके कुएं का पानी मीठा हो जाएगा और आज भी गुरुद्वारा गुरु का ताल पर स्थित कुएं का पानी मीठा है. सबसे ज्यादा मीठा पानी गुरुद्वारे में ही मिलता है.

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Last Updated : Apr 21, 2022, 11:07 PM IST
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