आगरा: ताजनगरी में फर्जी जमानती का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है. फर्जी जमानतदार के कई गैंग सक्रिय हैं, जो जमानती दस्तावेज ऐसे तैयार करते हैं जिसमें नाम किसी का और फोटो किसी दूसरे का लगा होता है. फर्जी जमानत प्रपत्रों से एक हत्या आरोपी और महिला तस्कर की जमानत होने पर यह खुलासा हुआ. इसके बाद पुलिस हरकत में आई. पुलिस ने न्यू आगरा थाने में दो मुकदमे लिखे हैं. इसमें दो अधिवक्ता भी नामजद हैं. न्यू आगरा थाना पुलिस अब दोनों गिरोह में शामिल लोगों के खिलाफ साक्ष्य संकलित कर रही है.
एसपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि न्यू आगरा थाना में एक मुकदमा तोहीगढ़, इगलास (अलीगढ़) निवासी मूलचंद ने लिखाया है. इसमें सदर निवासी प्रमोद बघेल और अधिवक्ता राकेश सिंह नामजद हैं. आरोपी प्रमोद बघेल निवासी सकरौली, एटा पेशेवर बदमाश है. सन् 2009 में उसके खिलाफ सदर थाना में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में हत्या आरोपी की जमानत हसायन, हाथरस निवासी हर प्रसाद व राजपाल ने ली. लेकिन, वो जमानत निरस्त हो गई. इस पर करीब एक साल पहले अधिवक्ता राकेश सिंह ने हत्या आरोपी प्रमोद बघेल की जमानत के लिए जमानती इगलास, अलीगढ़ निवासी मूलचंद व कुलदीप कुमार के कागजात पेश किए. दोनों के नाम से बदमाश की जमानत कराई गई.
एसपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि दूसरा मामला फिरोजाबाद जिले के पचोखरा निवासी कालीचरण ने लिखाया है. कालीचरण के फर्जी दस्तावेज से एनडीपीएस में जेल गई मायादेवी की जमानत कराई गई. अधिवक्ता सैयद इरशाद अली ने कालीचरण के जमानती प्रार्थना पत्र से जमानत कराई.
नाम किसी का और फोटो किसी का
एसपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि न्यू आगरा थाना में कालीचरण और मूलचंद ने जो मुकदमे लिखाए गए हैं. उनकी प्रारंभिक छानबीन में हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए. आगरा में कई साल से फर्जी जमानतदार पेश करके कुख्यातों की जमानत कराने वाले रैकेट सक्रिय हैं, जो जमानती प्रपत्र में नाम किसी और का और फोटो किसी दूसरे का लगाकर तैयार करते हैं. यह खुलासा तब हुआ, जब पुलिस सत्यापन करने जमानदारों के घर पहुंची थी. एसपी सिटी विकास कुमार का कहना है कि आरोपियों ने पुलिस के सत्यापन का तोड़ भी अजब निकाला है. थानों की फर्जी मुहर से जमानतदारों का पुलिस सत्यापन करके पूरा खेल करते हैं.
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यूं खुला खेल तो हुई एफआईआर
बता दें कि कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी होने पर सदर थाना पुलिस इगलास (अलीगढ़) निवासी मूलचंद और उसके भाई कुलदीप कुमार के घर पहुंची. दोनों के दस्तावेज से हत्या आरोपी प्रमोद बघेल की जमानत हुई थी. इस पर मूलचंद और कुलदीप ने किसी की भी जमानत लेने से साफ इनकार कर दिया. यह सुनकर पुलिस टीम हैरान रह गई. जमानती प्रपत्र पर अंगूठा लगा था. जबकि, वे पढ़े लिखे हैं. जमानती प्रपत्र पर मूलचंद और कुलदीप के नाम और पते मिले. लेकिन, उन पर फोटो किसी और का लगी थी.