आगराः सीएम योगी के 'गड्ढा मुक्त सड़क अभियान' में बार्ममिक्स तकनीक से सड़कों की मजबूती बढ़ेगी. बार्ममिक्स तकनीक से यूपी में अब दिसंबर, जनवरी और फरवरी की कड़ाके की सर्दी में भी सड़कें बन सकेंगी. इस तकनीक से 160 डिग्री की बजाए 120 डिग्री सेल्सियस पर सड़क बनाने के लिए बिटुमिन (डावर मिश्रण) तैयार हो जाता है. जिससे वातावरण में कार्बन का कम उत्सर्जन और डीजल की खपत भी कम होती है. इससे साफ है कि बार्ममिक्स तकनीक से यूपी में ईकोफ्रेंडली सड़कें बनाई जा सकेगी. अभी तक इस तकनीक से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एक डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर सड़कें के बनाई जा रही हैं. यूपी में बार्ममिक्स तकनीक से सड़क बनाने की शुरुआत आगरा से हुई है.
बता दें कि यूपी में हर साल 25 दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी माह में कड़ाके की सर्दी पड़ती है. ऐसे में ठंड के चलते सड़क बनाते वक्त डामर की कमजोर पकड़ रहती है. इस वजह से सड़कें उखड़ जाती हैं. जिससे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की भी किरकिरी होने के साथ ही रुपये की बर्बादी और सीएम योगी के गड्ढा मुक्त सड़क अभियान भी थम जाता है. गड्ढा युक्त सड़कों से गुजरने से जनता को भी परेशानी होती है. इसको लेकर पीडब्ल्यूडी ने सेंट्रल रोड इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) से मदद मांगी है. इस पर पीडब्ल्यूडी और सीआरआरआई ने यूपी में भी जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की तरह सड़कों के निर्माण में बार्ममिक्स तकनीक इस्तेमाल करने की योजना बनाई.
आगरा में ठंड में भी बनेंगी सड़केंः पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता एसके अग्रवाल ने बताया कि यूपी में पहली बार इवोथर्म केमिकल और डामर की आगरा में सड़क फतेहाबाद रोड स्थित सेल्फी प्वाइंट पर बनाई गई है. यहां 2.6 किलोमीटर लंबी छह लेन की सड़क बनाई गई है. जिसकी लागत करीब एक करोड़ रुपये है. इसमें करीब दस लाख रुपये का इवोथर्म केमिकल लगा है. बार्ममिक्स तकनीक में अमेरिकी से आयतित इवोथर्म केमिकल उपयोग होता है. एक टन डामर में 4 किलो इवोथर्म केमिकल मिलाया जाता है. जिसकी कीमत 650 रुपये प्रति किलोग्राम है. इवोथर्म से डामर की पकड़ मजबूत होती है. आगरा में बार्ममिक्स तकनीक से बनाई सड़क का निरीक्षण सीआरआरआई के वैज्ञानिक अंबिका बहल और अन्य विशेषज्ञ कर चुके हैं.
120 डिग्री सेंटीग्रेड पर तैयार होता है बिटुमिनः सीआरआरआई की वैज्ञानिक अंबिका बहल ने बताया कि बार्ममिक्स तकनीक में इवोथर्म की तरह दूसरे केमिकल भी उपयोग किए जाते हैं. बार्ममिक्स तकनीक में 160 डिग्री की बजाये 120 डिग्री सेल्सियस पर सड़क बनाने के लिए डामर का बिटुमिन हॉट मिक्स से तैयार हो जाता है. इस बिटुमिन को तैयार करने में कम समय, कम तापमान और कम डीजल लगता है. जिससे पर्यावरण भी बेहतर रहता है. इसके साथ ही बार्ममिक्स तकनीक में इवोथर्म केमिकल का उपयोग करने से एक डिग्री सेंटीग्रेड पर बिटुमिन से सड़क बनाई जा सकती है.
सर्दी में 15 डिग्री सेंटीग्रेड पर डामर की पकड़ कमजोरः सीआरआरआई की वैज्ञानिक डॉ. अंबिका बहल ने बताया कि वैसे करीब 160 डिग्री सेंटीग्रेड पर हॉट मिक्स से बिटुमिनस तैयार होता है. जिसका हॉट मिक्स से बाहर आने पर तापमान करीब 140 डिग्री सेंटीग्रेड होता है. जब साइट पर बिटुमिन पहुंचता था. तब उसका तापमान 90 डिग्री सेंटीग्रेड रह जाता है. कड़ाके की सर्दी में बिटुमिन का तापमान तेजी से गिरता है. ऐसे में 15 डिग्री सेंटीग्रेड तक सड़क बनाने में बिटुमिन की डामर सही चिपकती है. 15 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान पर डामर चिपकती नहीं है.
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Barmix Technology: यूपी में अब कड़ाके की सर्दी में इस तकनीक से बनेंगी ईको फ्रेंडली सड़कें, आगरा से हुई शुरुआत - गड्ढा मुक्त सड़क अभियान
आगरा में 'गड्ढा मुक्त सड़क अभियान' (pothole free road campaign ) के लिए कड़ाके की सर्दी में भी सड़कें बार्ममिक्स तकनीक से बनाई जाएंगी. इस बार्ममिक्स तकनीक से ईकोफ्रेंडली सड़कें (Eco friendly roads) बनाने की शुरुवात कर दी गई है.
आगराः सीएम योगी के 'गड्ढा मुक्त सड़क अभियान' में बार्ममिक्स तकनीक से सड़कों की मजबूती बढ़ेगी. बार्ममिक्स तकनीक से यूपी में अब दिसंबर, जनवरी और फरवरी की कड़ाके की सर्दी में भी सड़कें बन सकेंगी. इस तकनीक से 160 डिग्री की बजाए 120 डिग्री सेल्सियस पर सड़क बनाने के लिए बिटुमिन (डावर मिश्रण) तैयार हो जाता है. जिससे वातावरण में कार्बन का कम उत्सर्जन और डीजल की खपत भी कम होती है. इससे साफ है कि बार्ममिक्स तकनीक से यूपी में ईकोफ्रेंडली सड़कें बनाई जा सकेगी. अभी तक इस तकनीक से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एक डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर सड़कें के बनाई जा रही हैं. यूपी में बार्ममिक्स तकनीक से सड़क बनाने की शुरुआत आगरा से हुई है.
बता दें कि यूपी में हर साल 25 दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी माह में कड़ाके की सर्दी पड़ती है. ऐसे में ठंड के चलते सड़क बनाते वक्त डामर की कमजोर पकड़ रहती है. इस वजह से सड़कें उखड़ जाती हैं. जिससे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की भी किरकिरी होने के साथ ही रुपये की बर्बादी और सीएम योगी के गड्ढा मुक्त सड़क अभियान भी थम जाता है. गड्ढा युक्त सड़कों से गुजरने से जनता को भी परेशानी होती है. इसको लेकर पीडब्ल्यूडी ने सेंट्रल रोड इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) से मदद मांगी है. इस पर पीडब्ल्यूडी और सीआरआरआई ने यूपी में भी जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की तरह सड़कों के निर्माण में बार्ममिक्स तकनीक इस्तेमाल करने की योजना बनाई.
आगरा में ठंड में भी बनेंगी सड़केंः पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता एसके अग्रवाल ने बताया कि यूपी में पहली बार इवोथर्म केमिकल और डामर की आगरा में सड़क फतेहाबाद रोड स्थित सेल्फी प्वाइंट पर बनाई गई है. यहां 2.6 किलोमीटर लंबी छह लेन की सड़क बनाई गई है. जिसकी लागत करीब एक करोड़ रुपये है. इसमें करीब दस लाख रुपये का इवोथर्म केमिकल लगा है. बार्ममिक्स तकनीक में अमेरिकी से आयतित इवोथर्म केमिकल उपयोग होता है. एक टन डामर में 4 किलो इवोथर्म केमिकल मिलाया जाता है. जिसकी कीमत 650 रुपये प्रति किलोग्राम है. इवोथर्म से डामर की पकड़ मजबूत होती है. आगरा में बार्ममिक्स तकनीक से बनाई सड़क का निरीक्षण सीआरआरआई के वैज्ञानिक अंबिका बहल और अन्य विशेषज्ञ कर चुके हैं.
120 डिग्री सेंटीग्रेड पर तैयार होता है बिटुमिनः सीआरआरआई की वैज्ञानिक अंबिका बहल ने बताया कि बार्ममिक्स तकनीक में इवोथर्म की तरह दूसरे केमिकल भी उपयोग किए जाते हैं. बार्ममिक्स तकनीक में 160 डिग्री की बजाये 120 डिग्री सेल्सियस पर सड़क बनाने के लिए डामर का बिटुमिन हॉट मिक्स से तैयार हो जाता है. इस बिटुमिन को तैयार करने में कम समय, कम तापमान और कम डीजल लगता है. जिससे पर्यावरण भी बेहतर रहता है. इसके साथ ही बार्ममिक्स तकनीक में इवोथर्म केमिकल का उपयोग करने से एक डिग्री सेंटीग्रेड पर बिटुमिन से सड़क बनाई जा सकती है.
सर्दी में 15 डिग्री सेंटीग्रेड पर डामर की पकड़ कमजोरः सीआरआरआई की वैज्ञानिक डॉ. अंबिका बहल ने बताया कि वैसे करीब 160 डिग्री सेंटीग्रेड पर हॉट मिक्स से बिटुमिनस तैयार होता है. जिसका हॉट मिक्स से बाहर आने पर तापमान करीब 140 डिग्री सेंटीग्रेड होता है. जब साइट पर बिटुमिन पहुंचता था. तब उसका तापमान 90 डिग्री सेंटीग्रेड रह जाता है. कड़ाके की सर्दी में बिटुमिन का तापमान तेजी से गिरता है. ऐसे में 15 डिग्री सेंटीग्रेड तक सड़क बनाने में बिटुमिन की डामर सही चिपकती है. 15 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान पर डामर चिपकती नहीं है.
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