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तिब्बत और लद्दाख से आए परिंदे, आगरा- मथुरा के किसानों की उड़ी नींद - बार हेडेड गूज खराब कर रही गेहूं की फसल

उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा के किसान बार हेडेड गूज पक्षी से काफी परेशान हैं. यह पक्षी शाकाहारी होते हैं और ये किसानों की गेहूं की फसल चौपट कर रहे हैं.

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बार हेडेड गूज ने मचाया किसानों के खेतों में तबाही.
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Published : Dec 25, 2019, 1:41 PM IST

आगरा: तिब्बत और लद्दाख से आने वाले प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज ने आगरा और मथुरा के किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. यह शाकाहारी पक्षी किसानों की गेहूं की फसल चौपट कर रहे हैं. आगरा के अछनेरा ब्लाॅक और मथुरा के फरह ब्लाॅक के करीब 12 से ज्यादा गांवों में कई हेक्टेयर गेहूं इन पक्षियों ने कुतर डाला है. आवारा पशुओं के बाद अब झुंड में चलने वाले बार हेडेड गूज ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. किसान रात में रखवाली के साथ ही खेतों में बिजूका खड़े कर रहे हैं. बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों ने खेतों पर जाकर जानकारी इकट्ठा की है. इस पक्षी को स्थानीय लोग कुर्च के नाम से पुकारते हैं और ये 5-6 वर्षों से लगातार गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

बार हेडेड गूज ने मचाया किसानों के खेतों में तबाही.
इन गांव में ज्यादा नुकसान
गांव जोधपुर, मई बस्तई, कोह, बबरौद, कीठम और आसपास के कई गांव इन पक्षियों से परेशान हो गए हैं. इन पक्षियों ने इन गांवों के काफी किसानों की फसलों को नष्ट कर दिया है. किसान देवेन्द्र सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल में बार हेडेड गूज (कूज) पक्षी बहुत नुकसान कर रहे हैं. यह पक्षी झुंड में आते हैं. देर शाम या रात में खेतों में आकर गेहूं की फसल उजाड़ देते हैं. नुकसान को देखते हुए खेतों में डंडे पर बोरे या कपड़े बांध करके बिजूका बनाया है, जिससे यह पक्षी अब कम आ रहे हैं.
सफेद हंस भी कहते हैं
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. के.पी. सिंह ने बताया कि बार हेडेड गूज को सफेद हंस भी कहते हैं. यह तिब्बत और लद्दाख से सर्दियों में उत्तरी और दक्षिणी भारत तक प्रवास करने आता है. यह पक्षी आठ घंटे बगैर रुके तिब्बत से उड़कर हिमालय की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों को पारकर भारत में आते हैं. यह शाकाहारी पक्षी हैं. यह धान एवं गेहूं की फसल को अपनी कठोर चोंच से काटकर नष्ट करते हैं. यह पक्षी समूह में रहकर गीले खेतों की फसल को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. यह अधिकतर रात के अंधेरे में ही खेतों की ओर रुख कर देते हैं. हिमालय की चोटी को पार करके आने वाले बार हेडेड गूज का आकार 70-80 सेमी और वजन दो से तीन किलोग्राम है. यह विश्व का सबसे ऊँचाई पर उड़ने वाला पक्षी है, जो लगभग 8400 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ सकता है. इसके उड़ने की गति 300 किमी प्रति घंटा तक होती है.

इन पक्षियों की खासियत

  • इस प्रजाति की मादा 4-6अंडे देती है.
  • इस पक्षी के 25 से 30 दिन में बच्चे पैदा होते हैं.
  • बच्चे 55 दिन में उड़ने योग्य हो जाते हैं.
  • यह पक्षी बार हेडेड गूज के आकार के होते हैं.
  • ये पक्षी 70-80 सेमी और वजन दो से तीन किलोग्राम के होते हैं.

इसे भी पढ़ें- मिर्जापुर: साइबेरियन पक्षियों के आने से गुलजार हुए विंध्याचल के घाट

आगरा: तिब्बत और लद्दाख से आने वाले प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज ने आगरा और मथुरा के किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. यह शाकाहारी पक्षी किसानों की गेहूं की फसल चौपट कर रहे हैं. आगरा के अछनेरा ब्लाॅक और मथुरा के फरह ब्लाॅक के करीब 12 से ज्यादा गांवों में कई हेक्टेयर गेहूं इन पक्षियों ने कुतर डाला है. आवारा पशुओं के बाद अब झुंड में चलने वाले बार हेडेड गूज ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. किसान रात में रखवाली के साथ ही खेतों में बिजूका खड़े कर रहे हैं. बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों ने खेतों पर जाकर जानकारी इकट्ठा की है. इस पक्षी को स्थानीय लोग कुर्च के नाम से पुकारते हैं और ये 5-6 वर्षों से लगातार गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

बार हेडेड गूज ने मचाया किसानों के खेतों में तबाही.
इन गांव में ज्यादा नुकसान
गांव जोधपुर, मई बस्तई, कोह, बबरौद, कीठम और आसपास के कई गांव इन पक्षियों से परेशान हो गए हैं. इन पक्षियों ने इन गांवों के काफी किसानों की फसलों को नष्ट कर दिया है. किसान देवेन्द्र सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल में बार हेडेड गूज (कूज) पक्षी बहुत नुकसान कर रहे हैं. यह पक्षी झुंड में आते हैं. देर शाम या रात में खेतों में आकर गेहूं की फसल उजाड़ देते हैं. नुकसान को देखते हुए खेतों में डंडे पर बोरे या कपड़े बांध करके बिजूका बनाया है, जिससे यह पक्षी अब कम आ रहे हैं.
सफेद हंस भी कहते हैं
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. के.पी. सिंह ने बताया कि बार हेडेड गूज को सफेद हंस भी कहते हैं. यह तिब्बत और लद्दाख से सर्दियों में उत्तरी और दक्षिणी भारत तक प्रवास करने आता है. यह पक्षी आठ घंटे बगैर रुके तिब्बत से उड़कर हिमालय की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों को पारकर भारत में आते हैं. यह शाकाहारी पक्षी हैं. यह धान एवं गेहूं की फसल को अपनी कठोर चोंच से काटकर नष्ट करते हैं. यह पक्षी समूह में रहकर गीले खेतों की फसल को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. यह अधिकतर रात के अंधेरे में ही खेतों की ओर रुख कर देते हैं. हिमालय की चोटी को पार करके आने वाले बार हेडेड गूज का आकार 70-80 सेमी और वजन दो से तीन किलोग्राम है. यह विश्व का सबसे ऊँचाई पर उड़ने वाला पक्षी है, जो लगभग 8400 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ सकता है. इसके उड़ने की गति 300 किमी प्रति घंटा तक होती है.

इन पक्षियों की खासियत

  • इस प्रजाति की मादा 4-6अंडे देती है.
  • इस पक्षी के 25 से 30 दिन में बच्चे पैदा होते हैं.
  • बच्चे 55 दिन में उड़ने योग्य हो जाते हैं.
  • यह पक्षी बार हेडेड गूज के आकार के होते हैं.
  • ये पक्षी 70-80 सेमी और वजन दो से तीन किलोग्राम के होते हैं.

इसे भी पढ़ें- मिर्जापुर: साइबेरियन पक्षियों के आने से गुलजार हुए विंध्याचल के घाट

Intro:स्पेशल .... लोगो भी लगा लीजिए।
आगरा।
तिब्बत और लद्दाख से आने वाले प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज ने आगरा और मथुरा के किसानों की मुश्किल बढ़ा दी है। यह शाकाहारी पक्षी किसानों की गेंहू की फसल को चौपट कर रहा है। आगरा के अछनेरा ब्लाॅक और मथुरा के फरह ब्लाॅक के करीब एक दर्जन से ज्यादा गांवों में कई हेक्टेयर गेंहू इन पक्षियों ने कुतर डाला है। बेसहारा जानवरों के बाद अब झुंड में चलने वाले बार हेडेड गूज ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। किसान रात में रखवाली के साथ ही खेतों में बिजूका खड़े कर रहे हैं। Body:बता दें कि, बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों ने खेतों पर जाकर जानकारी इकट्ठा की है। किसानों के अनुसार इस पक्षी को स्थानीय लोग कुर्च के नाम से पुकारते हैं और यह 5-6 वर्षों से लगातार गेहूँ की फसल को नुकसान पहुँचा रहे हैं। बार हेडेड गूज जोधपुर गाँव के देवेन्द्र , मदनमोहन , अजय , मूलचंद , प्रेमविहारी और अन्य किसानों की कई एकड़ गेहूँ की फसल को कुतरकर व पैरों से दबा कर नष्ट कर दी है।

यह अहम जानकारी
- इस पक्षी की मादा 4-6अंडे देती हैं।
- यह पक्षी के 25 से 30 दिन में बच्चे पैदा होते हैं।
- बच्चे 55 दिन में उड़ने योग्य हो जाते हैं।

इन गांव में ज्यादा नुकसान
गांव जोधपुर, मई बस्तई , कोह , बबरौद , कीठम व आसपास के कई गांव।

किसान देवेन्द्र सिंह ने बताया कि, गेहूं की फसल में बार हेडेड गूज (कूज) पक्षी बहुत नुकसान कर रहे हैं। यह पक्षी झुंड में आते हैं। देर शाम या रात खेतों में आकर गेहूं की फसल को उजाड़ देते हैं। नुकसान को देखते हुए हमने खेतों में डंडे पर बोरे या कपड़े बांध करके बिजूका बनाए हैं। जिससे यह पक्षी अब कमा रहे हैं।

बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. के पी सिंह ने बताया कि, बार हेडेड गूज को सफेद हंस भी कहते हैं। यह तिब्बत और लद्दाख से सर्दियों में उत्तरी व दक्षिणी भारत तक प्रवास करने आता है। यह पक्षी आठ घंटे बगैर रूके यह तिब्बत से उड़कर हिमालय की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों को पारकर भारत में आते हैं। यह शाकाहारी पक्षी है। यह धान एवं गेहूँ की फसल को अपनी कठोर चौंच से काटकर नष्ट करता है। यह पक्षी समूह मे रहकर गीले खेतों की फसल को अधिक नुकसान पहुँचाता है। यह अधिकतर रात के अंधेरे में ही खेतों की ओर रूख करता है।
Conclusion:हिमालय की चोटी को पार करके आने वाले बार हेडेड गूज का आकार 70-80 सेमी व वजन दो से तीन किलोग्राम है । यह विश्व का सबसे ऊँचाई पर उड़ने वाला पक्षी है, जो लगभग 8400 मीटर की ऊँचाई पर भी उड़ सकता है। इसके उडने की गति 300 किमी प्रति घंटा तक होती है।
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पहली बाइट देवेन्द्र सिंह, पीड़ित किसान की।

दूसरी बाइट मोजो से भेजी गई है। यह बाइट पक्षी वैज्ञानिक केपी सिंह की है।
स्लग: up_agr_03_migratory_bird_bar_headed_goose_destroying_wheat_crop_dr kp_7203925
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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