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अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण मामले में 8 गिरफ्तार, आरोपी डॉक्टर फरार

आगरा में शनिवार को एसटीएफ ने अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में निजी अस्पताल संचालक डॉक्टर राजीव कुमार फरार चल रहे हैं.

Sex determination test
अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण मामले में 8 गिरफ्तार
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Published : Mar 22, 2021, 7:35 PM IST

आगरा: जिले के एत्माद्दौला क्षेत्र में शनिवार को एसटीएफ ने अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में निजी अस्पताल संचालक डॉक्टर राजीव कुमार फरार चल रहे हैं. इस मामले में एक ओर आरोपी पंकज तिवारी भी फरार चल रहा है, जिनकी तलाश में पुलिस की टीम लगातार दबिश दे रही है.


गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान

गिरफ्तार किए गए आरोपियों का नाम योगेन्द्र सिंह, जोगेन्द्र सिंह, बंटी उर्फ मोहन सिंह, धीरज, रंजीत सिंह, भरत सिंह, भरत सिंह और सरिता है. पुलिस की तफ्तीश में पता चला है इस गिरोह को सरिता ओर धीरज चला रहे थे. सरिता एक हॉस्पिटल में नर्स भी है.


मध्यप्रदेश और राजस्थान से जुड़े गिरोह के तार

इस गिरोह के एजेंट मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी सक्रिय थे, जो गर्भवती महिलाओं को ढूंढने का काम करते थे. उन्हें भ्रूण लिंग की जांच के बारे में जानकारी देते थे और दंपत्तियों को जांच कराने के लिए तैयार करते थे. उन्हें इस बात का कमिशन भी मिलता था. आरोपी सरिता ऐसे ही मामले में वर्ष 2016 में भी जेल जा चुकी है. इसके बाबजूद उसने इस कारोबार को नहीं छोड़ा.

तीन पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन भी जब्त

एसटीएफ की छापेमारी में टीम को डॉक्टर के घर ओर एक आरोपी के अछनेरा स्थित घर से कुल 3 पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन हाथ लगी, जिनका उपयोग भ्रूण के लिंग की जांच करने के लिए किया जाता था. ग्राम गोपऊ से गिरफ्तार हुए गर्भवती महिला के पति भरत सिंह ने बताया कि "एजेंट ने बताया था कि उनके डॉक्टर घर पर आकर ही भ्रूण के लिंग की जांच कर देते हैं. इसलिए सरिता और धीरज अपनी कार से दंपति के घर गए थे" यह लोग कार में अल्ट्रासाउंड की मशीन लेकर चलते थे. यह अधिकतर जांच लोगो के घर जाकर ही करते थे, लेकिन जो घर की अनुमति नहीं देते थे. उनका टेस्ट कार में किया जाता था, जिसकी किसी को भनक तक नहीं लग पाती थी.

यह हुई कार्रवाई

स्वास्थ विभाग और एसटीएफ की संयुक्त टीम द्वारा किए गए इस ऑपरेशन में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें धारा 23,25 और नियम 18 पीसीपीएसडीटी अधिनियम 1994 एवं धारा 420,120(बी), 315 आईपीसी और जन्मपूर्व परीक्षण तकनीक (दुरुपयोग के नियमन एवं बचाव) अधिनियम 2002 की धारा -4(1)(B,C) लगाई गई है.

आगरा: जिले के एत्माद्दौला क्षेत्र में शनिवार को एसटीएफ ने अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में निजी अस्पताल संचालक डॉक्टर राजीव कुमार फरार चल रहे हैं. इस मामले में एक ओर आरोपी पंकज तिवारी भी फरार चल रहा है, जिनकी तलाश में पुलिस की टीम लगातार दबिश दे रही है.


गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान

गिरफ्तार किए गए आरोपियों का नाम योगेन्द्र सिंह, जोगेन्द्र सिंह, बंटी उर्फ मोहन सिंह, धीरज, रंजीत सिंह, भरत सिंह, भरत सिंह और सरिता है. पुलिस की तफ्तीश में पता चला है इस गिरोह को सरिता ओर धीरज चला रहे थे. सरिता एक हॉस्पिटल में नर्स भी है.


मध्यप्रदेश और राजस्थान से जुड़े गिरोह के तार

इस गिरोह के एजेंट मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी सक्रिय थे, जो गर्भवती महिलाओं को ढूंढने का काम करते थे. उन्हें भ्रूण लिंग की जांच के बारे में जानकारी देते थे और दंपत्तियों को जांच कराने के लिए तैयार करते थे. उन्हें इस बात का कमिशन भी मिलता था. आरोपी सरिता ऐसे ही मामले में वर्ष 2016 में भी जेल जा चुकी है. इसके बाबजूद उसने इस कारोबार को नहीं छोड़ा.

तीन पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन भी जब्त

एसटीएफ की छापेमारी में टीम को डॉक्टर के घर ओर एक आरोपी के अछनेरा स्थित घर से कुल 3 पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन हाथ लगी, जिनका उपयोग भ्रूण के लिंग की जांच करने के लिए किया जाता था. ग्राम गोपऊ से गिरफ्तार हुए गर्भवती महिला के पति भरत सिंह ने बताया कि "एजेंट ने बताया था कि उनके डॉक्टर घर पर आकर ही भ्रूण के लिंग की जांच कर देते हैं. इसलिए सरिता और धीरज अपनी कार से दंपति के घर गए थे" यह लोग कार में अल्ट्रासाउंड की मशीन लेकर चलते थे. यह अधिकतर जांच लोगो के घर जाकर ही करते थे, लेकिन जो घर की अनुमति नहीं देते थे. उनका टेस्ट कार में किया जाता था, जिसकी किसी को भनक तक नहीं लग पाती थी.

यह हुई कार्रवाई

स्वास्थ विभाग और एसटीएफ की संयुक्त टीम द्वारा किए गए इस ऑपरेशन में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें धारा 23,25 और नियम 18 पीसीपीएसडीटी अधिनियम 1994 एवं धारा 420,120(बी), 315 आईपीसी और जन्मपूर्व परीक्षण तकनीक (दुरुपयोग के नियमन एवं बचाव) अधिनियम 2002 की धारा -4(1)(B,C) लगाई गई है.

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