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गावस्कर ने 50 साल पहले की ऐतिहासिक सीरीज जीत को याद किया

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Published : Aug 24, 2021, 4:09 PM IST

50 साल पहले भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में तीसरे और अंतिम टेस्ट में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और ब्लाइटी में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीत दर्ज की थी. इस जीत के साथ विदेशों में एक शानदार सीजन का अंत हुआ था.

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सुनील गावस्कर

दिल्ली: आज से ठीक 50 साल पहले भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में तीसरे और अंतिम टेस्ट में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और ब्लाइटी में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीत दर्ज की थी. इस जीत के साथ विदेशों में एक शानदार सीजन का अंत हुआ था, जिसमें भारत ने फरवरी और अप्रैल के बीच कैरेबियन में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीती और उसके बाद जुलाई-अगस्त में इंग्लैंड में जीत हासिल की थी.

भारत ने वेस्टइंडीज में पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला और इंग्लैंड में तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला समान 1-0 के अंतर से जीती थी. इन दोनों सीरीजों ने भारतीय क्रिकेट में एक लीजेंड को जन्म दिया, जिसने देश में क्रिकेट का एक नया अध्याय शुरू किया.

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सुनील गावस्कर ने कैरेबियन में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में रिकॉर्ड 774 रन बनाए और हालांकि वह बाद की सीरीज में इंग्लैंड में सफल नहीं रह सके, पर उस साल भारतीय क्रिकेट में एक नया सितारा उभर कर सामने आया.

अब 72 साल के गावस्कर ने याद किया कि कैसे उन्होंने अपनी पहली टेस्ट सीरीज के लिए वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए अपने आप को किस तैयार किया था.

यह भी पढ़ें: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच ODI Series 2022 तक टली

द इंडस एंटरप्रेन्योर्स (टीआईई) लंदन द्वारा आयोजित आशीष रे के साथ एक बातचीत में गावस्कर ने कहा, कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि मैं वेस्टइंडीज में उस तरह का प्रदर्शन कैसे कर सकता हूं.

गावस्कर ने कहा, मुझे लगता है कि मेरा कद मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा था, जब भी मैंने क्लब स्तर या स्कूल स्तर पर बल्लेबाजी की शुरूआत की, तो लोग मुझे तेज गेंदबाजी करने की कोशिश करते थे और मेरे सामने अतिरिक्त गति और ऊर्जा का उपयोग करते थे. मुझे शॉर्ट गेंदे किया करते थे और यह 130-135 किमी प्रति घंटे के आसपास की रफ्तार की होती होगी तो कम से कम उन्होंने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उस तरह की डिलीवरी से कैसे निपटें.

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लिटल मास्टर ने महसूस किया कि प्रारंभिक वर्षों में शॉर्ट-पिच डिलिवरी के खिलाफ अभ्यास ने उन्हें बाउंसरों का सामना करने के लिए जल्दी तैयार किया. गावस्कर ने कहा, जब आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हैं तो उस उम्र में शॉर्ट गेंद से कैसे निपटना है यह एक बड़ी मदद थी. साल 1971 वेस्टइंडीज का दौरा हुआ था, उससे पहले मुंबई रणजी थी, ट्रॉफी के गेंदबाज मुझे रेगुलेशन 22 गज की बजाय 20 से 18 गज की दूरी पर गेंदबाजी कराते थे.

उन्होंने कहा, लेकिन जब मैं वेस्टइंडीज गया, तो अंतर स्पष्ट था. क्योंकि इसके बावजूद कि मुंबई के गेंदबाज 18 गज की दूरी से गेंदबाजी कर रहे थे, वेस्टइंडीज के गेंदबाजों की गेंद मिडरिफ के आसपास आ रही थी. जब मैं वेस्टइंडीज गया, तब अचानक से विकेटकीपर गेंद को ऊपर उछल कर पकड़ रहा था. इसका मतलब साफ था कि अब आप किसी ऐसे टीम के साथ संघर्ष कर रहे हैं जो अव्वल टीम है.

यह भी पढ़ें: Exclusive: आशा करता हूं कि अफगान पर तालिबानी हुकुमत के बावजूद क्रिकेट का विकास जारी रहेगा : लालचंद राजपूत

उन्होंने आगे कहा, बाउंसर माथे की ऊंचाई तक आ रही थी और मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि इससे कैसे निपटा जाए. आप उनमें से अधिकांश को नियंत्रित कर सकते थे, या तो उन्हें छोड़ सकते थे या उन्हें नियंत्रित कर सकते थे. लेकिन वेस्टइंडीज में आपको इसके लिए तैयार रहना होता है. वेस्टइंडीज के गेंदबाज 2-3 गज ऊपर पिच कर रहे थे और अभी भी गेंद को उछाल रहे थे. आप क्या करते हैं, आप इससे दूर हो जाते और सौभाग्य से मैं ऐसा करने में कामयाब रहा.

दिल्ली: आज से ठीक 50 साल पहले भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में तीसरे और अंतिम टेस्ट में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और ब्लाइटी में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीत दर्ज की थी. इस जीत के साथ विदेशों में एक शानदार सीजन का अंत हुआ था, जिसमें भारत ने फरवरी और अप्रैल के बीच कैरेबियन में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीती और उसके बाद जुलाई-अगस्त में इंग्लैंड में जीत हासिल की थी.

भारत ने वेस्टइंडीज में पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला और इंग्लैंड में तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला समान 1-0 के अंतर से जीती थी. इन दोनों सीरीजों ने भारतीय क्रिकेट में एक लीजेंड को जन्म दिया, जिसने देश में क्रिकेट का एक नया अध्याय शुरू किया.

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सुनील गावस्कर ने कैरेबियन में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में रिकॉर्ड 774 रन बनाए और हालांकि वह बाद की सीरीज में इंग्लैंड में सफल नहीं रह सके, पर उस साल भारतीय क्रिकेट में एक नया सितारा उभर कर सामने आया.

अब 72 साल के गावस्कर ने याद किया कि कैसे उन्होंने अपनी पहली टेस्ट सीरीज के लिए वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए अपने आप को किस तैयार किया था.

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द इंडस एंटरप्रेन्योर्स (टीआईई) लंदन द्वारा आयोजित आशीष रे के साथ एक बातचीत में गावस्कर ने कहा, कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि मैं वेस्टइंडीज में उस तरह का प्रदर्शन कैसे कर सकता हूं.

गावस्कर ने कहा, मुझे लगता है कि मेरा कद मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा था, जब भी मैंने क्लब स्तर या स्कूल स्तर पर बल्लेबाजी की शुरूआत की, तो लोग मुझे तेज गेंदबाजी करने की कोशिश करते थे और मेरे सामने अतिरिक्त गति और ऊर्जा का उपयोग करते थे. मुझे शॉर्ट गेंदे किया करते थे और यह 130-135 किमी प्रति घंटे के आसपास की रफ्तार की होती होगी तो कम से कम उन्होंने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उस तरह की डिलीवरी से कैसे निपटें.

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लिटल मास्टर ने महसूस किया कि प्रारंभिक वर्षों में शॉर्ट-पिच डिलिवरी के खिलाफ अभ्यास ने उन्हें बाउंसरों का सामना करने के लिए जल्दी तैयार किया. गावस्कर ने कहा, जब आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हैं तो उस उम्र में शॉर्ट गेंद से कैसे निपटना है यह एक बड़ी मदद थी. साल 1971 वेस्टइंडीज का दौरा हुआ था, उससे पहले मुंबई रणजी थी, ट्रॉफी के गेंदबाज मुझे रेगुलेशन 22 गज की बजाय 20 से 18 गज की दूरी पर गेंदबाजी कराते थे.

उन्होंने कहा, लेकिन जब मैं वेस्टइंडीज गया, तो अंतर स्पष्ट था. क्योंकि इसके बावजूद कि मुंबई के गेंदबाज 18 गज की दूरी से गेंदबाजी कर रहे थे, वेस्टइंडीज के गेंदबाजों की गेंद मिडरिफ के आसपास आ रही थी. जब मैं वेस्टइंडीज गया, तब अचानक से विकेटकीपर गेंद को ऊपर उछल कर पकड़ रहा था. इसका मतलब साफ था कि अब आप किसी ऐसे टीम के साथ संघर्ष कर रहे हैं जो अव्वल टीम है.

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उन्होंने आगे कहा, बाउंसर माथे की ऊंचाई तक आ रही थी और मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि इससे कैसे निपटा जाए. आप उनमें से अधिकांश को नियंत्रित कर सकते थे, या तो उन्हें छोड़ सकते थे या उन्हें नियंत्रित कर सकते थे. लेकिन वेस्टइंडीज में आपको इसके लिए तैयार रहना होता है. वेस्टइंडीज के गेंदबाज 2-3 गज ऊपर पिच कर रहे थे और अभी भी गेंद को उछाल रहे थे. आप क्या करते हैं, आप इससे दूर हो जाते और सौभाग्य से मैं ऐसा करने में कामयाब रहा.

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