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The Ashes: जानिए इंग्लैंड vs ऑस्ट्रेलिया Test Series को क्यों कहते हैं एशेज?

इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली Ashes Series का रोमांच प्रशंसकों के सिर चढ़कर बोलता है. इस Ashes Trophy के पीछे की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के हाथों जब पहली बार इंग्लैंड अपनी जमीन पर हारा तो इंग्लिश मीडिया ने इसे इंग्लिश क्रिकेट की मौत करार दिया था और यहीं से जन्म हुआ एशेज का.

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History Of The Ashes Series
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Published : Dec 15, 2021, 9:55 PM IST

हैदराबाद: एशेज की शुरुआत साल 1882 से होती है. इस साल इंग्लैंड को The Oval के मैदान में ऑस्ट्रेलिया के हाथों पहली बार हार का सामना करना पड़ा था. इस हार से ब्रिटिश मीडिया सकते में आ गया और इंग्लैंड की काफी आलोचना हुई थी. दी स्पोर्टिंग टाइम्स (The Sporting Times) नाम के अखबार ने एक ओबिचूएरी (किसी के मौत के बाद का शोक संदेश) छापी और उसकी हेडिंग लिखी - 'Death of English Cricket' यानी इंग्लिश क्रिकेट की मौत. साथ ही लिखा कि शव को दफनाया गया और एशेज (राख) को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा.

बता दें, अगली बार जब इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, तब एक महिला ने गिल्लियों (बेल्स) की जोड़ी को जलाया और परफ्यूम की एक छोटी सी बोतल में डाल दिया. आगे चलकर यह परफ्यूम की बोतल की शक्ल की एक छोटी ट्रॉफी बनी. तब से राख वाली यह छोटी सी ट्रॉफी ही विजेता को दी जाती है. वहीं खिलाड़ियों को रेप्लिका दी जाती है. ऑरिजनल राख वाली ट्रॉफी लंदन के मेरिलबॉन क्रिकेट क्लब के म्यूजियम में रखी है.

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The Sporting Times

बताते चलें, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच बीते 8 दिसंबर से एशेज सीरीज की शुरुआत हो चुकी है. इसे क्रिकेट की सबसे बड़ी सीरीज कहा जाता है, जहां पर भावनाएं अपने उफान पर होती हैं. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के लिए क्रिकेट में एशेज से बड़ा कुछ नहीं होता है. खेलों की दुनिया में यह सीरीज सबसे पुरानी और लंबे समय से चली आ रही प्रतिस्पर्धाओं में से एक है.

यह भी पढ़ें: ICC टेस्ट रैंकिंग में लाबुशेन का दूसरे और शाहीन अफरीदी का तीसरे पायदान पर कब्जा

एशेज सीरीज एक बार इंग्लैंड में होती है और एक बार ऑस्ट्रेलिया में. इस बार यह सीरीज ऑस्ट्रेलिया में हो रही है और ब्रिस्बेन स्थित गाबा के मैदान में पहला टेस्ट खेला जा चुका है. एशेज की यह 71वीं सीरीज है. प्रत्येक दो साल में दोनों टीमों का मुकाबला होता है और पांच टेस्ट मैचों के जरिए खेलों की सबसे छोटी ट्रॉफी एशेज के विजेता का फैसला होता है.

एशेज ट्रॉफी में है क्या?

ऑस्ट्रेलिया स्टंप्स पर रखी जाने वाली बेल्स (गिल्लियों) को जलाकर राख बनाई गई और उसको एक Urn (राख रखने वाले बर्तन) में डालकर इंग्लैंड के कप्तान को दिया गया. वहीं से परम्परा चली आई और आज भी Ashes की ट्रॉफी उसी राख वाले बर्तन को ही माना जाता है और उसी की एक बड़ी ड्यूप्लिकेट ट्रॉफी बनाकर दिया जाता है.

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एशेज सीरीज का इतिहास

हालांकि, कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि तब गिल्लियों की राख नहीं बल्कि क्रिकेट बॉल को जलाकर जो राख बनी. उसे ही एशेज ट्रॉफी में भरा गया. असल में एशेज ट्रॉफी में क्या है इस पर जानकारों की राय एक नहीं है.

यह भी पढ़ें: डे-नाइट मैच में तेज गेंदबाजों की भूमिका अहम : एंडरसन

ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच यह 71वीं एशेज सीरीज खेली जा रही है. इन 71 सीरीज में से ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड से सिर्फ एक सीरीज ज्यादा जीता है. हाल ही में विश्व कप विजेता इंग्लैंड के पास अपने घर में यह इतिहास बराबरी पर लाने का सुनहरा मौका है. अभी तक ऑस्ट्रेलिया ने 33 और इंग्लैंड ने 32 सीरीज अपने नाम की हैं, जबकि पांच बार यह सीरीज बराबरी पर छूटी है.

पिछली पांच एशेज सीरीज की बात करें, तो इंग्लैंड ने कंगारुओं पर अपना दबदबा बढ़ाया है. इन पांच में तीन बार इंग्लैंड ने सीरीज अपने नाम की है, जबकि दो बार ऑस्ट्रेलिया ने. ऐसे में इस बार अपने घर में खेल रही इंग्लैंड के पास कुल सीरीज की संख्या को (33-33) से बराबरी पर लाने का मौका है.

बता दें, आखिरी बार साल 2019 में इंग्लैंड में एशेज सीरीज का आयोजन हुआ था. तब सीरीज 2-2 से बराबर रही थी. साल 1972 के बाद पहली बारी हुआ था, जब सीरीज बराबरी पर रही. लेकिन एशेज सीरीज ऑस्ट्रेलिया के पास ही रही, क्योंकि उसने साल 2017 में यह ट्रॉफी जीती थी. इंग्लैंड ने साल 2015 में आखिरी बार एशेज अपने नाम की थी. अभी तक 71 एशेज सीरीज खेली गई हैं. इनमें से 33 बार ऑस्ट्रेलिया जीता है और 32 बार इंग्लैंड विजयी रहा. छह सीरीज ड्रॉ रही है. इसलिए साल 2021 की सीरीज काफी अहम रहेगी.

यह भी पढ़ें: एशेज: एंडरसन बोले, भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया में करेंगे वापसी

बीते कुछ साल से एशेज में ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा है. इस टीम ने साल 2013-14 में 5-0 से सीरीज जीती थी. इससे पहले साल 2006-07 में 4-0 से कामयाबी हासिल की थी. इस सीरीज से पहले 20 साल पहले तक उन्हीं का दबदबा था. तब 10 में से नौ बार ऑस्ट्रेलिया को कामयाबी मिली थी. साल 2005 में जब इंग्लैंड ने एशेज जीती तो काफी हल्ला मचा था. क्योंकि इससे ऑस्ट्रेलिया का दबदबा खत्म हो गया था.

अरविंद राव

हैदराबाद: एशेज की शुरुआत साल 1882 से होती है. इस साल इंग्लैंड को The Oval के मैदान में ऑस्ट्रेलिया के हाथों पहली बार हार का सामना करना पड़ा था. इस हार से ब्रिटिश मीडिया सकते में आ गया और इंग्लैंड की काफी आलोचना हुई थी. दी स्पोर्टिंग टाइम्स (The Sporting Times) नाम के अखबार ने एक ओबिचूएरी (किसी के मौत के बाद का शोक संदेश) छापी और उसकी हेडिंग लिखी - 'Death of English Cricket' यानी इंग्लिश क्रिकेट की मौत. साथ ही लिखा कि शव को दफनाया गया और एशेज (राख) को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा.

बता दें, अगली बार जब इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, तब एक महिला ने गिल्लियों (बेल्स) की जोड़ी को जलाया और परफ्यूम की एक छोटी सी बोतल में डाल दिया. आगे चलकर यह परफ्यूम की बोतल की शक्ल की एक छोटी ट्रॉफी बनी. तब से राख वाली यह छोटी सी ट्रॉफी ही विजेता को दी जाती है. वहीं खिलाड़ियों को रेप्लिका दी जाती है. ऑरिजनल राख वाली ट्रॉफी लंदन के मेरिलबॉन क्रिकेट क्लब के म्यूजियम में रखी है.

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The Sporting Times

बताते चलें, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच बीते 8 दिसंबर से एशेज सीरीज की शुरुआत हो चुकी है. इसे क्रिकेट की सबसे बड़ी सीरीज कहा जाता है, जहां पर भावनाएं अपने उफान पर होती हैं. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के लिए क्रिकेट में एशेज से बड़ा कुछ नहीं होता है. खेलों की दुनिया में यह सीरीज सबसे पुरानी और लंबे समय से चली आ रही प्रतिस्पर्धाओं में से एक है.

यह भी पढ़ें: ICC टेस्ट रैंकिंग में लाबुशेन का दूसरे और शाहीन अफरीदी का तीसरे पायदान पर कब्जा

एशेज सीरीज एक बार इंग्लैंड में होती है और एक बार ऑस्ट्रेलिया में. इस बार यह सीरीज ऑस्ट्रेलिया में हो रही है और ब्रिस्बेन स्थित गाबा के मैदान में पहला टेस्ट खेला जा चुका है. एशेज की यह 71वीं सीरीज है. प्रत्येक दो साल में दोनों टीमों का मुकाबला होता है और पांच टेस्ट मैचों के जरिए खेलों की सबसे छोटी ट्रॉफी एशेज के विजेता का फैसला होता है.

एशेज ट्रॉफी में है क्या?

ऑस्ट्रेलिया स्टंप्स पर रखी जाने वाली बेल्स (गिल्लियों) को जलाकर राख बनाई गई और उसको एक Urn (राख रखने वाले बर्तन) में डालकर इंग्लैंड के कप्तान को दिया गया. वहीं से परम्परा चली आई और आज भी Ashes की ट्रॉफी उसी राख वाले बर्तन को ही माना जाता है और उसी की एक बड़ी ड्यूप्लिकेट ट्रॉफी बनाकर दिया जाता है.

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एशेज सीरीज का इतिहास

हालांकि, कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि तब गिल्लियों की राख नहीं बल्कि क्रिकेट बॉल को जलाकर जो राख बनी. उसे ही एशेज ट्रॉफी में भरा गया. असल में एशेज ट्रॉफी में क्या है इस पर जानकारों की राय एक नहीं है.

यह भी पढ़ें: डे-नाइट मैच में तेज गेंदबाजों की भूमिका अहम : एंडरसन

ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच यह 71वीं एशेज सीरीज खेली जा रही है. इन 71 सीरीज में से ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड से सिर्फ एक सीरीज ज्यादा जीता है. हाल ही में विश्व कप विजेता इंग्लैंड के पास अपने घर में यह इतिहास बराबरी पर लाने का सुनहरा मौका है. अभी तक ऑस्ट्रेलिया ने 33 और इंग्लैंड ने 32 सीरीज अपने नाम की हैं, जबकि पांच बार यह सीरीज बराबरी पर छूटी है.

पिछली पांच एशेज सीरीज की बात करें, तो इंग्लैंड ने कंगारुओं पर अपना दबदबा बढ़ाया है. इन पांच में तीन बार इंग्लैंड ने सीरीज अपने नाम की है, जबकि दो बार ऑस्ट्रेलिया ने. ऐसे में इस बार अपने घर में खेल रही इंग्लैंड के पास कुल सीरीज की संख्या को (33-33) से बराबरी पर लाने का मौका है.

बता दें, आखिरी बार साल 2019 में इंग्लैंड में एशेज सीरीज का आयोजन हुआ था. तब सीरीज 2-2 से बराबर रही थी. साल 1972 के बाद पहली बारी हुआ था, जब सीरीज बराबरी पर रही. लेकिन एशेज सीरीज ऑस्ट्रेलिया के पास ही रही, क्योंकि उसने साल 2017 में यह ट्रॉफी जीती थी. इंग्लैंड ने साल 2015 में आखिरी बार एशेज अपने नाम की थी. अभी तक 71 एशेज सीरीज खेली गई हैं. इनमें से 33 बार ऑस्ट्रेलिया जीता है और 32 बार इंग्लैंड विजयी रहा. छह सीरीज ड्रॉ रही है. इसलिए साल 2021 की सीरीज काफी अहम रहेगी.

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बीते कुछ साल से एशेज में ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा है. इस टीम ने साल 2013-14 में 5-0 से सीरीज जीती थी. इससे पहले साल 2006-07 में 4-0 से कामयाबी हासिल की थी. इस सीरीज से पहले 20 साल पहले तक उन्हीं का दबदबा था. तब 10 में से नौ बार ऑस्ट्रेलिया को कामयाबी मिली थी. साल 2005 में जब इंग्लैंड ने एशेज जीती तो काफी हल्ला मचा था. क्योंकि इससे ऑस्ट्रेलिया का दबदबा खत्म हो गया था.

अरविंद राव

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