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वोट डालने से वंचित नहीं रहेंगे दिव्यांग, चुनाव आयोग ने किया खास इंतजाम - bareli

बरेली में 20 हजार दिव्यांग मतदाता है. जिनके लिए चुनाव के समय निर्वाचन आयोग ने दिव्यांग मतदाताओं के लिए वालंटियर की व्यवस्था भी कराई गई है ताकि कोई भी दिव्यांग वोट डालने से वंचित न रहे जाये.

वोट डालने से वंचित नहीं रहेंगे दिव्यांग
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Published : Apr 12, 2019, 11:55 PM IST

बरेली: भारत निर्वाचन आयोग के सुगम अभियान की पहल पर इस बार बरेली में 20,000 दिव्यांग का वोटर्स है. निर्वाचन विभाग ने चुनाव के लिए यह व्यवस्था की है कि इन दिव्यांग वोटर्स को वालंटियर घर से लेकर आएंगे और मतदान केंद्र से वोट डलवा कर वापस घर छोड़ने का काम करेंगे. चुनाव आयोग के इस पहल से कोई भी दिव्यांग वोट डालने से वंचित नहीं रहेगा. वहीं इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी स्थानीय अफसरों की भी रहेगी.

वोट डालने से वंचित नहीं रहेंगे दिव्यांग


बरेली लोकसभा सीट पर बीस हजार दिव्यांग मतदाता है. इस बार हर पोलिंग बूथ पर दिव्यांग मतदाताओं के लिए दिव्यांग मित्रों की तैनाती की गई है. बूथ पर व्हीलचेयर भी रहेगी. दिव्यांगजन इन सुविधाओं की तारीफ तो करते हैं मगर ये चुनाव आयोग की मेहरबानी मानते हैं. वहीं समाज कल्याण विभाग हर महीने दिव्यांगों को 500रूपये पेंशन देता है.

सीडीओ सत्येंद्र कुमार का कहना है कि दिव्यांगों के लिए पहले कभी इतनी गंभीरता से काम नहीं किया गया. पहली बार चुनाव आयोग के प्रयास से दिव्यांगों को अपने अधिकार मिलेगा. वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के साथ में मतदान केंद्र लाने से लेकर उनके हर समस्याओं के समाधान हर अधिकारी की जिम्मेदारी होगी. दरअसल दिव्यांगों को लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कई विभागों में कॉर्डिनेशन जरूरी है. निर्वाचन विभाग और भारत निर्वाचन आयोग सामूहिक रूप से इसी पर काम कर रहा है.

बरेली: भारत निर्वाचन आयोग के सुगम अभियान की पहल पर इस बार बरेली में 20,000 दिव्यांग का वोटर्स है. निर्वाचन विभाग ने चुनाव के लिए यह व्यवस्था की है कि इन दिव्यांग वोटर्स को वालंटियर घर से लेकर आएंगे और मतदान केंद्र से वोट डलवा कर वापस घर छोड़ने का काम करेंगे. चुनाव आयोग के इस पहल से कोई भी दिव्यांग वोट डालने से वंचित नहीं रहेगा. वहीं इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी स्थानीय अफसरों की भी रहेगी.

वोट डालने से वंचित नहीं रहेंगे दिव्यांग


बरेली लोकसभा सीट पर बीस हजार दिव्यांग मतदाता है. इस बार हर पोलिंग बूथ पर दिव्यांग मतदाताओं के लिए दिव्यांग मित्रों की तैनाती की गई है. बूथ पर व्हीलचेयर भी रहेगी. दिव्यांगजन इन सुविधाओं की तारीफ तो करते हैं मगर ये चुनाव आयोग की मेहरबानी मानते हैं. वहीं समाज कल्याण विभाग हर महीने दिव्यांगों को 500रूपये पेंशन देता है.

सीडीओ सत्येंद्र कुमार का कहना है कि दिव्यांगों के लिए पहले कभी इतनी गंभीरता से काम नहीं किया गया. पहली बार चुनाव आयोग के प्रयास से दिव्यांगों को अपने अधिकार मिलेगा. वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के साथ में मतदान केंद्र लाने से लेकर उनके हर समस्याओं के समाधान हर अधिकारी की जिम्मेदारी होगी. दरअसल दिव्यांगों को लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कई विभागों में कॉर्डिनेशन जरूरी है. निर्वाचन विभाग और भारत निर्वाचन आयोग सामूहिक रूप से इसी पर काम कर रहा है.

Intro:भारत निर्वाचन आयोग के सुगम अभियान की पहल इस बार बरेली मैं 20000 दिव्यांग को वोटर बनाया गया है। यहां तक कि निर्वाचन विभाग ने इस बार के चुनाव के लिए यह व्यवस्था की है कि इन दिव्यांग वोटर्स को अब वालंटियर घर से लेकर आएंगे और मतदान केंद्र से वोट डलवा कर वापस घर छोड़ने का काम करेंगे। साथ ही कोई भी दिव्यांग वोट डालने से वंचित ना रहे इस की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी स्थानीय अफसरों की भी रहेगी।






Body:बरेली लोकसभा सीट पर बीस हजार दिव्यांग मतदाता है इस बार हर पोलिंग बूथ पर दिव्यांग मतदाताओं के लिए दिव्यांग मित्रों की तैनाती की गई है वह बुथ पर व्हीलचेयर भी रहेगी दिव्यांगजन इन सुविधाओं की तारीफ तो करते हैं मगर ये चुनाव आयोग की मेहरबानी मानते हैं वही समाज कल्याण विभाग हर महीने दिव्यांगों को ₹500 पेंशन देता है
बाइट:- शकील दिव्यांग मतदाता
बाइट:- श्रीनिवास दिव्यांग मतदाता
बरेली में इस बार 20000 दिव्यांग अपने मत के अधिकार के प्रयोग करेंगे। पहली बार इस वर्ष में ज्यादा से ज्यादा दिव्यांग मतदाताओं को वोटर लिस्ट में जोड़ा गया है।
बाइट:- सत्येंद्र कुमार सीडीओ बरेली
सीडीओ सत्येंद्र कुमार का कहना है दिव्यांगों के लिए पहले कभी इतनी गंभीरता से काम नहीं किया गया पहली बार चुनाव आयोग के प्रयास से दिव्यांगों को अपने अधिकार मिलेगा । इस बार मुख्य निर्वाचन अधिकारी दिव्यांग मोटर वोटर को जोड़ने के लिए चुनाव विशेष अभियान चलाया गया था ।इस अभियान में 20000 दिव्यांग वोटर बरेली मंडल में है उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के साथ में मतदान केंद्र लाने से लेकर उनके हर समस्याओं के समाधान हर अधिकारी की जिम्मेदारी होगी। दरअसल दिव्यांगों को लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कई विभागों में कॉर्डिनेशन जरूरी है ।और निर्वाचन विभाग और भारत निर्वाचन आयोग सामूहिक रूप से इसी पर काम कर रहा है।


Conclusion:विकलांग लोगों के लिए अब भले ही दिव्यांग कहकर पुकारा जा रहा हो मगर सुविधाओं के लिए आज से दिव्यता अभी भी नजर नहीं आ रही। बही दिव्यांग का आरोप है कि आज भी बिना पैसे के लिए विकलांगता का प्रमाण पत्र नहीं बनता है। अगर जिस तरह की सुविधा लोकतंत्र के इस महापर्व में दिव्यांगों को दी जा रही है अगर वैसे सुविधा हर टाइम दिव्यांग जनों को मिले तो दिव्यांग मुख्यधारा में आराम से जुड़ सकता है।
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