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वाराणसी थीसिस प्रतियोगिता: मुख्य सचिव बोले- शहरी जल निकायों को पुनर्जीवित करने की जरूरत

वाराणसी में आयोजित दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता में अर्बन इंडिया जर्नल वॉल्यूम 41 के एक विशेष अंक का अनावरण किया गया. जिसमें थीसिस प्रतियोगिता के पहले सत्र से परियोजनाओं में उभरने वाले 6 शोध पत्रों का संकलन किया गया था.

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वाराणसी में दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता
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Published : Jul 30, 2022, 11:46 AM IST

वाराणसी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित वास्तुकला, योजना एवं अभिकल्प विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) द्वारा आयोजित 'री-इमेजिनिंग अर्बन रिवर' पर दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता के सीजन-2 का फाइनल आयोजित किया गया. उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने छात्रों द्वारा प्रस्तुतियों के बाद स्नातक और परास्नातक श्रेणी में क्रमशः तीन विजेताओं को सम्मानित किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने शहरी जल निकायों की फिर से कल्पना करने के महत्व पर जोर दिया. साथ ही उन्होंने थीसिस प्रतियोगिता के तीसरे सत्र को 'शहरी जल निकायों की पुर्न कल्पना' पर होने का आह्वान किया. मुख्य सचिव ने आजीविका, मनोरंजन और पर्यटन के लिए संभावित शहरी जल निकायों को फिर से दोहराया.

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इस दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता में स्नातक और परास्नातक श्रेणियों में 20 छात्रों ने अपनी थीसिस को प्रस्तुत किया. इन विषयों में शहरी नियोजन में नदी की सोच को एकीकृत करने से लेकर नदी प्रबंधन के लिए आदिवासियों को शामिल करना शामिल रहा. इसके अलावा नदी-केंद्रित पारगमन-उन्मुख विकास को विकसित करने, नदी के पानी की गुणवत्ता का पूर्वानुमान लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग भी शामिल रहा. निर्णायक समिति के एक पैनल द्वारा मूल्यांकन किए गए छात्रों की प्रस्तुति में पूर्व महानिदेशक एनएमसीजी राजीव रंजन मिश्रा, बायोम पर्यावरण समाधान के निदेशक एस विश्वनाथ, वास्तुकला और योजना विभाग, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर गौरव रहेजा और मानवतावादी अध्ययन विभाग, आईआईटी बीएचयू, वाराणसी की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमृता द्विवेदी शामिल रहीं.

प्रतियोगिता के स्नातक श्रेणी में योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली की रूपल श्रीवास्तव को प्रथम स्थान मिला. वहीं, योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, भोपाल के उज्ज्वल सिंह को द्वितीय स्थान दिया गया. इसके अलावा तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से डॉ. भानुबेन नानावती कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, पुणे की मोहिनी विकास भोसेकर और एनआईटी श्रीनगर के मुबशिर अर्शिद को मिला. वहीं, परास्नातक श्रेणी में एनआईटी कालीकट की अरूणिमा केटी को प्रथम स्थान मिला. इसके अलावा आईआईटी खड़गपुर की करपागवल्ली एस को द्वितीय और योजना एवं वास्तुकला विद्यालय दिल्ली की साक्षी सिंह को तृतीय पुरस्कार मिला.

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दो दिनों के निर्णायक मंडल के सदस्यों को वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने सम्मानित किया और प्रतियोगिता में शामिल सभी 20 छात्रों को आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और एनआईयूए के निदेशक हितेश वैद्य ने प्रमाण पत्र वितरित किया. इस मौके पर आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन एवं मुख्य अतिथियों द्वारा एनआईयूए द्वारा प्रकाशित अर्बन इंडिया जर्नल (वॉल्यूम 41) के एक विशेष अंक का अनावरण भी किया गया. इसमें छात्र थीसिस प्रतियोगिता के पहले सत्र से परियोजनाओं में से उभरने वाले 6 शोध पत्रों का संकलन किया गया था.

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वाराणसी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित वास्तुकला, योजना एवं अभिकल्प विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) द्वारा आयोजित 'री-इमेजिनिंग अर्बन रिवर' पर दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता के सीजन-2 का फाइनल आयोजित किया गया. उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने छात्रों द्वारा प्रस्तुतियों के बाद स्नातक और परास्नातक श्रेणी में क्रमशः तीन विजेताओं को सम्मानित किया.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने शहरी जल निकायों की फिर से कल्पना करने के महत्व पर जोर दिया. साथ ही उन्होंने थीसिस प्रतियोगिता के तीसरे सत्र को 'शहरी जल निकायों की पुर्न कल्पना' पर होने का आह्वान किया. मुख्य सचिव ने आजीविका, मनोरंजन और पर्यटन के लिए संभावित शहरी जल निकायों को फिर से दोहराया.

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इस दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता में स्नातक और परास्नातक श्रेणियों में 20 छात्रों ने अपनी थीसिस को प्रस्तुत किया. इन विषयों में शहरी नियोजन में नदी की सोच को एकीकृत करने से लेकर नदी प्रबंधन के लिए आदिवासियों को शामिल करना शामिल रहा. इसके अलावा नदी-केंद्रित पारगमन-उन्मुख विकास को विकसित करने, नदी के पानी की गुणवत्ता का पूर्वानुमान लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग भी शामिल रहा. निर्णायक समिति के एक पैनल द्वारा मूल्यांकन किए गए छात्रों की प्रस्तुति में पूर्व महानिदेशक एनएमसीजी राजीव रंजन मिश्रा, बायोम पर्यावरण समाधान के निदेशक एस विश्वनाथ, वास्तुकला और योजना विभाग, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर गौरव रहेजा और मानवतावादी अध्ययन विभाग, आईआईटी बीएचयू, वाराणसी की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमृता द्विवेदी शामिल रहीं.

प्रतियोगिता के स्नातक श्रेणी में योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली की रूपल श्रीवास्तव को प्रथम स्थान मिला. वहीं, योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, भोपाल के उज्ज्वल सिंह को द्वितीय स्थान दिया गया. इसके अलावा तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से डॉ. भानुबेन नानावती कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, पुणे की मोहिनी विकास भोसेकर और एनआईटी श्रीनगर के मुबशिर अर्शिद को मिला. वहीं, परास्नातक श्रेणी में एनआईटी कालीकट की अरूणिमा केटी को प्रथम स्थान मिला. इसके अलावा आईआईटी खड़गपुर की करपागवल्ली एस को द्वितीय और योजना एवं वास्तुकला विद्यालय दिल्ली की साक्षी सिंह को तृतीय पुरस्कार मिला.

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दो दिनों के निर्णायक मंडल के सदस्यों को वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने सम्मानित किया और प्रतियोगिता में शामिल सभी 20 छात्रों को आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और एनआईयूए के निदेशक हितेश वैद्य ने प्रमाण पत्र वितरित किया. इस मौके पर आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन एवं मुख्य अतिथियों द्वारा एनआईयूए द्वारा प्रकाशित अर्बन इंडिया जर्नल (वॉल्यूम 41) के एक विशेष अंक का अनावरण भी किया गया. इसमें छात्र थीसिस प्रतियोगिता के पहले सत्र से परियोजनाओं में से उभरने वाले 6 शोध पत्रों का संकलन किया गया था.

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