वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को विश्वनाथ धाम के रूप में विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्लान लगभग पूरा हो चुका है. पहले फेज का काम पूरा होने के बाद द्वितीय फेज यानी फिनिशिंग का काम किया जा रहा है. मंदिर के प्रथम प्रवेश द्वार यानी मणिकर्णिका और ललिता घाट के बीच बनाए गए रास्ते पर पत्थर लगाने से लेकर ऊंची इमारतों पर प्लास्टर और लाल पत्थर लगाने का काम चल रहा है. इन सब के बीच कुछ ऐसी लापरवाही भी देखने को मिल रही है, जो बड़ी घटना को दावत दे सकती हैं.
यहां पर ऊंची-ऊंची इमारतों पर काम करने वाले लेबर और कारीगर न सुरक्षा मानकों का पालन कर रही हैं न ही अपनी जान की परवाह. यहां तक कि बड़े-बड़े पत्थर और बोल्डर उठाने के लिए मशीनों द्वारा श्रद्धालुओं के बीच में काम किया जा रहा है. जो न सिर्फ यहां काम करने वाले मजदूरों बल्कि यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है.
अब तक 6 मजदूरों की हो चुकी मौतः बड़ी-बड़ी मशीनों के साथ सैकड़ों की संख्या में 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में मजदूर काम कर रहे हैं. कार्यदाई संस्था यहां पर काम करवाने के लिए दिन-रात जुटी हुई है, लेकिन इन सबके बीच न ही सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा जा रहा है न ही श्रद्धालुओं की सेफ्टी के बारे में सोचा जा रहा है. कैमरे में कैद हुई तस्वीरों से ही साफ नजर आ रहा है कि मजदूर अपनी सुरक्षा की बारे में नहीं सोच रहे हैं. हालात यह है कि 2 से ढाई साल के काम के दौरान लगभग 6 मजदूरों की जान लापरवाही की वजह से जा चुकी है.
श्रद्धालुओं की सुरक्षा से खिलवाड़ः कभी पत्थर गिरने और कभी बेल्ट टूटने की वजह से शीशा गिरने से कई मजदूर अपनी जान गवा चुके हैं. इसके बाद भी कार्यदाई संस्था मजदूरों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से लापरवाह दिखाई दे रही है. हद तो तब हो जाती है जब यहां पर दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के बीच बड़ी क्रेन से बंधे पट्टे बड़े-बड़े पत्थर उठाकर इधर-उधर करती दिखाई देती है. जबकि उसी के नीचे से श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं और यदि बेल्ट छुटी या टूटी तो किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता.
2018 में शुरु हुआ था निर्माणः दरअसल, श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के निर्माण का कार्य 2018 में शुरू हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस काम को 2020 तक पूरा करने के निर्देश दिए थे. लेकिन, किसी न किसी कारण से निर्माण आगे बढ़ता गया. हालांकि पिछले साल पीएम मोदी ने विश्वनाथ धाम का लोकार्पण कर मंदिर आम जनता को दर्शन के लिए समर्पित कर दिया. लेकिन, अभी भी बहुत से काम बाकी है. विश्वनाथ धाम के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में गंगा तट से बनाए गए गेट नंबर 1 पर अभी काम चल रहा है.
निगरानी में कार्य होने का दावाः काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि निर्माण कार्य अलग-अलग विभाग के अधिकारियों को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कार्यदाई संस्था से भी समय-समय पर सुरक्षा मानकों के पालन के लिए कहा जाता है. पहले फेज का काम पूरा हो गया. दूसरे फेस का भी काम लगभग पूरा होने वाला है. अब मंदिर में कोई बड़ा काम नहीं बचा है. कहीं, लापरवाही यदि हो रही है तो उसे ठीक करवाया जाएगा.
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में इस लापरवाही को नजरअंदाज किया जाना ठीक है. क्योंकि किसी घटना के होने के बाद उस घटना को सुधारने की कोशिश करना सिर्फ खानापूर्ति नजर आती है. इसलिए यह जरूरी है कि घटना होने के पहले ही चेक कर उसे होने से रोका जाए. उम्मीद यही है कि विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और कार्यदाई संस्था मजदूरों की जिंदगी के साथ हो रहे खिलवाड़ के साथ यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से अलर्ट होगी और काम को सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ाया जाएगा.
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निर्माण के दौरान के नियम
- ऊंची इमारतों पर काम के दौरान नीचे जाली बंधी होनी चाहिए, ताकि पत्थर या किसी अन्य चीज गिरने पर वह जाली पर ही रुक जाए नीचे न जाए.
- निर्माण के दौरान निर्माणाधीन इमारत को ढकने के लिए हरे पर्दे का इस्तेमाल जरूरी है ताकि धूल गर्दा न उड़े.
- ऊंची इमारतों पर काम कर रहे मजदूरों की कमर पर सेफ्टी बेल्ट होनी चाहिए. जो ऊपर इमारत से अटैच होत. जिससे मजदूर के गिरने पर उन्हें बचाया जा सके.
- किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मजदूरों को हेलमेट पहनना अनिवार्य है.
- भीड़-भाड़ वाली जगह पर भारी मशीनों का प्रयोग नहीं होना चाहिए.
- यदि सार्वजनिक स्थान पर बड़े पत्थर या अन्य चीज उठाने के लिए क्रेन मशीन लगाई गई है, तो उसके आसपास किसी को जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए.
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