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स्वर कोकिला लता मंगेशकर की गंगा में अस्थियां प्रवाहित - Lata Mangeshkar ashes flow in Kashi

भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की अस्थियां मंगलवार को मोक्ष की नगरी काशी में गंगा में प्रवाहित की गई. लता मंगेशकर का अस्थि कलश उनकी बहन उषा मंगेशकर अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ अहिल्याबाई घाट पर लेकर आई थीं.

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अस्थि कलश लेकर काशी आईं उषा मंगेशकर
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Published : Mar 8, 2022, 5:43 PM IST

वाराणसी: भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की अस्थियां मंगलवार को मोक्ष की नगरी काशी में गंगा तट स्थित अहिल्याबाई घाट पर प्रवाहित की गई. इस दौरान लता मंगेशकर की बहन उषा मंगेशकर अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ अहिल्याबाई घाट पर लेकर आई थीं. वैदिक रीति-रिवाज और परंपराओं के मुताबिक गंगा में अस्थि कलश विसर्जि‍त किया गया.

दरसअल, बीते 6 फरवरी को भारत रत्न लता मंगेशकर का मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. उनके निधन के बाद उनकी चिता से अस्थियों का संकलन कर वाराणसी में गंगा घाट पर ले जाकर विसर्जन की जानकारी पूर्व में ही परिवार की ओर से दी गई थी. इस बाबत सुर साम्राज्ञी लता जी के निधन के एक माह के बाद उनकी अस्थियों को मोक्ष नगरी काशी में गंगा तट पर ले जाकर विसर्जन की प्रक्रिया पूरी की गई.

इसे भी पढ़ेंः राम मंदिर मार्ग के एक चौराहे का नाम लता मंगेशकर के नाम पर रखे जाने पर पीएम ने की योगी की तारीफ

घाट पर श्रीकांत पाठक के आचार्यत्‍व में पूरे वैदिक परंपराओं के अनुरूप लता मंगेशकर की अस्थियों के कलश का पूजन कर उनको रीति -रिवाजों के अनुरूप गंगा में विसर्जित किया गया. गंगा में अस्थि कलश का विसर्जन करने के लिए उषा मंगेशकर पूर्व में ही वाराणसी पहुंच गई थीं.

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वाराणसी: भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की अस्थियां मंगलवार को मोक्ष की नगरी काशी में गंगा तट स्थित अहिल्याबाई घाट पर प्रवाहित की गई. इस दौरान लता मंगेशकर की बहन उषा मंगेशकर अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ अहिल्याबाई घाट पर लेकर आई थीं. वैदिक रीति-रिवाज और परंपराओं के मुताबिक गंगा में अस्थि कलश विसर्जि‍त किया गया.

दरसअल, बीते 6 फरवरी को भारत रत्न लता मंगेशकर का मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. उनके निधन के बाद उनकी चिता से अस्थियों का संकलन कर वाराणसी में गंगा घाट पर ले जाकर विसर्जन की जानकारी पूर्व में ही परिवार की ओर से दी गई थी. इस बाबत सुर साम्राज्ञी लता जी के निधन के एक माह के बाद उनकी अस्थियों को मोक्ष नगरी काशी में गंगा तट पर ले जाकर विसर्जन की प्रक्रिया पूरी की गई.

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