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बच्चों के टीकाकरण को लेकर न हों परेशान, स्वास्थ्य विभाग करेगा समस्या का समाधान

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Published : Sep 3, 2022, 9:00 PM IST

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि ब्लॉक व शहर के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर सर्वे कराकर छूटे हुये बच्चों का टीकाकरण अगले एक माह में पूरा करने के लिये निर्देशित किया गया है.

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वाराणसी : टीकाकरण बच्चों के लिए वो जरूरी खुराक है, जो उन्हें कई तरह की बीमारियों से दूर रखती है. इन बीमारियों में बात यदि डिप्थीरिया, मिजिल्स-रूबेला जैसी संक्रामक बीमारियों की हो तो बच्चों में ये बीमारियां ज्यादा होती हैं. बड़ी बात यह है कि लक्षणों को पहचानने के बाद यदि इसका समय उपचार न कराया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है. इससे बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण (vaccination of children) समय से जरूर करवाना चाहिए. ऐसे में वाराणसी स्वास्थ्य विभाग (Varanasi Health Department) बच्चों के लिए बेहतर टीकाकरण की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में कर रहा है, जिससे बच्चे गम्भीर बीमारियों से सुरक्षित रहें.


जन्म के बाद से ही बच्चों के टीकाकरण का क्रम शुरू हो जाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा हो सके. ऐसे में वाराणसी स्वास्थ्य विभाग संक्रामक बीमारियों से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए डीपीटी व एमआर के टीकों को लगवाने पर जोर दे रहा है. इसके लिए बकायदा जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके उपलब्ध कराकर अधिकारियों को नियुक्त भी कर दिया गया है.


इस बारे में वाराणसी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि 'जनपद में बच्चों के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम पर जोर दिया जा रहा है. इसमें बच्चों को डीपीटी, एमआर सहित अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव का टीका और बूस्टर डोज लगवाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसके लिए ब्लॉक व शहर के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया कि प्राथमिकता के आधार पर सर्वे कराकर छूटे हुये बच्चों का टीकाकरण अगले एक माह में पूरा करें'.


वहीं जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. निकुंज कुमार वर्मा ने बताया कि 'यदि बच्चे को नियमित टीके लगवाये जायें तो जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है. नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में डीपीटी, एमआर सहित बीसीजी, ओपीवी, हेपेटाइटिस बी, पेंटावेलेंट, रोटा, आईपीवी, पीसीवी, डीपीटी बूस्टर, एमआर बूस्टर, टीडी का टीका लगाया जाता है. यह टीका समस्त सरकारी चिकित्सालयों सहित ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य केंद्रों, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, उपकेंद्रों, ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर पूर्ण रूप से निःशुल्क लगाया जाता है.

यह भी पढ़ें : संदिग्ध परिस्थितियों में पेट में गोली लगने से किशोरी घायल, कानपुर रेफर

टीकों का विवरण

- जन्म के समय बीसीजी, ओपीबी, हेपेटाइटिस बी
- छह सप्ताह पर ओपीबी 1, पेंटावेलेंट 1, एफ-आईपीवी 1, रोटा 1 व पीसीवी 1
- 10 सप्ताह पर-ओपीवी -2, पेंटावेलेंट-2 एवं रोटा-2
- 14 सप्ताह पर- ओपीवी-3, पेंटावेलेंट-3, एफ-आईपीवी-2, रोटा-3 एवं पीसीवी-2
- 9 माह से 12 माह तक-एमआर-1, पीसीवी बूस्टर एवं विटामिन ए की पहली खुराक
- 16 से 24 माह-एमआर 2, डीपीटी-बूस्टर प्रथम, बीओपीवी - बूस्टर, एवं विटामिन ए-2
- 5 से 6 वर्ष में डीपीटी-बूस्टर द्वितीय
- 10 वर्ष पर टीडी
- 16 वर्ष पर टीडी

यह भी पढ़ें : झांसी के गोवंश पर मंडरा रहा लंपी वायरस का खतरा, बचाव के लिए उठाए ये कदम

वाराणसी : टीकाकरण बच्चों के लिए वो जरूरी खुराक है, जो उन्हें कई तरह की बीमारियों से दूर रखती है. इन बीमारियों में बात यदि डिप्थीरिया, मिजिल्स-रूबेला जैसी संक्रामक बीमारियों की हो तो बच्चों में ये बीमारियां ज्यादा होती हैं. बड़ी बात यह है कि लक्षणों को पहचानने के बाद यदि इसका समय उपचार न कराया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है. इससे बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण (vaccination of children) समय से जरूर करवाना चाहिए. ऐसे में वाराणसी स्वास्थ्य विभाग (Varanasi Health Department) बच्चों के लिए बेहतर टीकाकरण की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में कर रहा है, जिससे बच्चे गम्भीर बीमारियों से सुरक्षित रहें.


जन्म के बाद से ही बच्चों के टीकाकरण का क्रम शुरू हो जाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा हो सके. ऐसे में वाराणसी स्वास्थ्य विभाग संक्रामक बीमारियों से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए डीपीटी व एमआर के टीकों को लगवाने पर जोर दे रहा है. इसके लिए बकायदा जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके उपलब्ध कराकर अधिकारियों को नियुक्त भी कर दिया गया है.


इस बारे में वाराणसी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि 'जनपद में बच्चों के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम पर जोर दिया जा रहा है. इसमें बच्चों को डीपीटी, एमआर सहित अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव का टीका और बूस्टर डोज लगवाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसके लिए ब्लॉक व शहर के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया कि प्राथमिकता के आधार पर सर्वे कराकर छूटे हुये बच्चों का टीकाकरण अगले एक माह में पूरा करें'.


वहीं जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. निकुंज कुमार वर्मा ने बताया कि 'यदि बच्चे को नियमित टीके लगवाये जायें तो जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है. नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में डीपीटी, एमआर सहित बीसीजी, ओपीवी, हेपेटाइटिस बी, पेंटावेलेंट, रोटा, आईपीवी, पीसीवी, डीपीटी बूस्टर, एमआर बूस्टर, टीडी का टीका लगाया जाता है. यह टीका समस्त सरकारी चिकित्सालयों सहित ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य केंद्रों, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, उपकेंद्रों, ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर पूर्ण रूप से निःशुल्क लगाया जाता है.

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टीकों का विवरण

- जन्म के समय बीसीजी, ओपीबी, हेपेटाइटिस बी
- छह सप्ताह पर ओपीबी 1, पेंटावेलेंट 1, एफ-आईपीवी 1, रोटा 1 व पीसीवी 1
- 10 सप्ताह पर-ओपीवी -2, पेंटावेलेंट-2 एवं रोटा-2
- 14 सप्ताह पर- ओपीवी-3, पेंटावेलेंट-3, एफ-आईपीवी-2, रोटा-3 एवं पीसीवी-2
- 9 माह से 12 माह तक-एमआर-1, पीसीवी बूस्टर एवं विटामिन ए की पहली खुराक
- 16 से 24 माह-एमआर 2, डीपीटी-बूस्टर प्रथम, बीओपीवी - बूस्टर, एवं विटामिन ए-2
- 5 से 6 वर्ष में डीपीटी-बूस्टर द्वितीय
- 10 वर्ष पर टीडी
- 16 वर्ष पर टीडी

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