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योगी सरकार खनन विभाग की कमाई से हुई मालामाल, माफियाओं पर चलाया चाबुक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकारों में लूट का पर्याय बने खनन को सरकार की आय का बड़ा श्रोत बना दिया. सरकार को खनन विभाग से सवा चार साल में 12 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व मिला है.

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Published : Sep 9, 2021, 10:02 PM IST

लखनऊ: खनन से अपना राजस्व बढ़ाने के साथ ही प्रदेश सरकार ने 124 खनन माफियाओं को चिह्नित कर 843 मुकदमे दर्ज किए और 80 को गिरफ्तार किया. सरकार की ओर से लोगों की सहूलियत का ख्याल रखते हुए नई पहल की गई है और अब उपभोक्ता खुद खनन सामग्री को यूपी मिनरल मार्ट पोर्टल से सीधे खरीद सकते हैं. इससे कीमतों में कमी आने की संभावना भी जताई जा रही है.

प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि प्रदेश में एक दौर वह था, जब अवैध खनन चरम पर था. आवंटन से लेकर खनन तक में भ्रष्टाचार और लूट मची थी. इसी खनन को लेकर पिछली सरकार के एक मंत्री अब भी जेल में हैं और खनन के पट्टों की जांच सीबीआई तक को दी गई. इसी कारण सपा सरकार के दौरान वित्त वर्ष 2016-17 में महज 1547.25 करोड़ रुपए का राजस्व ही मिला था.

सीएम योगी ने प्रदेश में 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद खनन विभाग में भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए. भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की ओर से अवैध खनन और परिवहन पर रोक के लिए इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम (आईएमएसएस) विकसित किया गया. साथ ही पारदर्शिता और निष्पक्षता के उद्देश्य से खनन की अनुमति के लिए सिस्टम को आनलाइन किया गया और विभाग की ओर से जुलाई तक 213 खनन योजना को अनुमति दी गई. इसके अलावा खनन पट्टा क्षेत्रों से परिवहन के लिए कंप्यूटर जनित ईएमएम सिस्टम लागू किया गया,

इसके माध्यम से 1,80,92,026 से अधिक परिवहन प्रपत्रों को उत्पन्न किया गया. सरकार के इन प्रयासों से राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 3244.57 करोड़, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3164.51 करोड़, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2177.49 करोड़, 2020-21 में 3120.97 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2021-22 में जुलाई तक 712.11 करोड़ का राजस्व सरकार ने खनन विभाग से जुटाया है. योगी सरकार को सवा चार साल में 12 हजार 419 करोड़ से अधिक के राजस्व की प्राप्ति हुई है. कोरोना की विषम परिस्थितियों को देखते हुए खनिज सेवाओं के आनलाइन निस्तारण के लिए इंटीग्रेटेड यूनीफाइड सिंगल इंटर फेस 'यूपी माइन मित्र' पोर्टल भी विकसित किया गया है.


सीएम योगी के निर्देश पर पुलिस ने इस साल जुलाई तक 38 खनन माफिया पर गैंगेस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई की है. इसमें 14 खनन माफिया की 52 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति जब्त की गई. एक आरोपी की कुर्की की गई और 74 आरोपियों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई. साथ ही एक आरोपी का शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया गया और 22 आरोपियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई.

ये भी पढ़ें- चौथी बार प्रयागराज पहुचेंगे राष्ट्रपति कोविंद, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का करेंगे शिलान्यास


भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की सचिव रोशन जैकब ने बताया कि विभाग की ओर से अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 21,641 छापे मारे गए, जिसमें 77.55 करोड़ राजस्व क्षतिपूर्ति के रूप में जमा कराया गया और 536 मुकदमे कराने के साथ 3874 मामलों में में कोर्ट में परिवाद दायर किया गया. ऐसे ही वित्तीय वर्ष 2021-22 में जुलाई तक 7349 छापे मारे गए, जिसमें 30.19 करोड़ राजस्व क्षतिपूर्ति के रूप में जमा कराया गया और 160 मुकदमा दर्ज कराते हुए 716 मामलों में कोर्ट में परिवाद दायर किया गया.

लखनऊ: खनन से अपना राजस्व बढ़ाने के साथ ही प्रदेश सरकार ने 124 खनन माफियाओं को चिह्नित कर 843 मुकदमे दर्ज किए और 80 को गिरफ्तार किया. सरकार की ओर से लोगों की सहूलियत का ख्याल रखते हुए नई पहल की गई है और अब उपभोक्ता खुद खनन सामग्री को यूपी मिनरल मार्ट पोर्टल से सीधे खरीद सकते हैं. इससे कीमतों में कमी आने की संभावना भी जताई जा रही है.

प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि प्रदेश में एक दौर वह था, जब अवैध खनन चरम पर था. आवंटन से लेकर खनन तक में भ्रष्टाचार और लूट मची थी. इसी खनन को लेकर पिछली सरकार के एक मंत्री अब भी जेल में हैं और खनन के पट्टों की जांच सीबीआई तक को दी गई. इसी कारण सपा सरकार के दौरान वित्त वर्ष 2016-17 में महज 1547.25 करोड़ रुपए का राजस्व ही मिला था.

सीएम योगी ने प्रदेश में 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद खनन विभाग में भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए. भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की ओर से अवैध खनन और परिवहन पर रोक के लिए इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम (आईएमएसएस) विकसित किया गया. साथ ही पारदर्शिता और निष्पक्षता के उद्देश्य से खनन की अनुमति के लिए सिस्टम को आनलाइन किया गया और विभाग की ओर से जुलाई तक 213 खनन योजना को अनुमति दी गई. इसके अलावा खनन पट्टा क्षेत्रों से परिवहन के लिए कंप्यूटर जनित ईएमएम सिस्टम लागू किया गया,

इसके माध्यम से 1,80,92,026 से अधिक परिवहन प्रपत्रों को उत्पन्न किया गया. सरकार के इन प्रयासों से राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 3244.57 करोड़, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3164.51 करोड़, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2177.49 करोड़, 2020-21 में 3120.97 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2021-22 में जुलाई तक 712.11 करोड़ का राजस्व सरकार ने खनन विभाग से जुटाया है. योगी सरकार को सवा चार साल में 12 हजार 419 करोड़ से अधिक के राजस्व की प्राप्ति हुई है. कोरोना की विषम परिस्थितियों को देखते हुए खनिज सेवाओं के आनलाइन निस्तारण के लिए इंटीग्रेटेड यूनीफाइड सिंगल इंटर फेस 'यूपी माइन मित्र' पोर्टल भी विकसित किया गया है.


सीएम योगी के निर्देश पर पुलिस ने इस साल जुलाई तक 38 खनन माफिया पर गैंगेस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई की है. इसमें 14 खनन माफिया की 52 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति जब्त की गई. एक आरोपी की कुर्की की गई और 74 आरोपियों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई. साथ ही एक आरोपी का शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया गया और 22 आरोपियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई.

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भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की सचिव रोशन जैकब ने बताया कि विभाग की ओर से अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 21,641 छापे मारे गए, जिसमें 77.55 करोड़ राजस्व क्षतिपूर्ति के रूप में जमा कराया गया और 536 मुकदमे कराने के साथ 3874 मामलों में में कोर्ट में परिवाद दायर किया गया. ऐसे ही वित्तीय वर्ष 2021-22 में जुलाई तक 7349 छापे मारे गए, जिसमें 30.19 करोड़ राजस्व क्षतिपूर्ति के रूप में जमा कराया गया और 160 मुकदमा दर्ज कराते हुए 716 मामलों में कोर्ट में परिवाद दायर किया गया.

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