लखनऊ : पुराने वाहनों की सड़क हादसों में अहम भूमिका होती है. इन वाहनों के चलते अक्सर सड़क हादसे होते हैं और असमय ही लोग काल के गाल में समा जाते हैं. ऐसे में पुराने वाहन सड़क पर उतरकर जानलेवा साबित न हों, प्रदूषण फैलने का कारण न बनें, इसीलिए सरकार की तरफ से स्क्रैप पॉलिसी (scrap policy) भी बनाई गई है. अब परिवहन विभाग (transport Department) ने भी एक नई व्यवस्था लागू की है. इस व्यवस्था में जो भी डीजल और पेट्रोल के चार पहिया वाहन हैं उन्हें रि रजिस्टर्ड करने से पहले बारीकी से जांचा जाएगा. आरटीओ में वाहन का फिटनेस टेस्ट (vehicle fitness test) होगा. टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन स्वामी को वाहन चलाकर दिखाना होगा. आरआई की इस पर पैनी नजर रहेगी.
अब 10 या 15 साल की आयु पूरी करने के बाद कोई भी प्राइवेट वाहन स्वामी आरटीओ कार्यालय (RTO Office) में वाहन का रि रजिस्ट्रेशन (vehicle re registration) कराने के लिए आएगा तो पहले टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन का टेस्ट होगा. इसमें वाहन की हालत कैसी है? क्या वह सड़क पर चलने लायक है? उसके टायरों की स्थिति क्या हैं? टेल लाइट, हेड लाइट और इंडिकेटर काम कर रहे हैं या नहीं? इंजन की क्षमता चलने लायक बची भी है या नहीं? इसकी अधिकारी बारीकी से चेकिंग करेंगे. इतनी कठिनाइयों को पार करने के बाद अगर वाहन दुरुस्त पाया जाता है तो फिर से पंजीयन हो सकेगा.
बता दें कि डीजल वाहनों की आयु 10 साल और पेट्रोल वाहनों की आयु 15 साल होती है. इसके बाद संबंधित आरटीओ कार्यालय में पहले से दर्ज वाहन का रि रजिस्ट्रेशन हो सकता है, लेकिन बाहरी जिले या अन्य राज्य से आने वाले वाहन का रि रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता है. प्रदेश के तमाम ऐसे जिले हैं जहां प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा है. ऐसे में प्रदूषण ज्यादा न बढ़ने पाए इसलिए वाहनों के पंजीयन पर रोक लगी है. लखनऊ भी इन बढ़े हुए प्रदूषण के जिलों में शामिल है.
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लखनऊ स्थित आरटीओ कार्यालय में तैनात आरआई विष्णु कुमार बताते हैं कि वाहनों की सही स्थिति जांचने के बाद ही रि रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलवाकर उसकी स्थिति को बारीकी से परखने की शुरुआत की गई है. इससे वाहन का अलाइनमेंट, हेडलाइट, टेल लाइट के साथ ही पहियों की स्थिति क्या है इसे परखा जाएगा. जब सब कुछ सही होगा उसके बाद ही वाहन के रि रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाएगी.
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