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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: दूसरे राजनीतिक दलों को नसीहत देने वाली बीजेपी में परिवारवाद बढ़ा

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Published : Jan 17, 2022, 5:23 PM IST

दूसरे राजनीतिक दलों को नसीहत देने वाली बीजेपी में परिवारवाद बढ़ गया है. यूपी विधानसभा चुनाव 2002 में पार्टी के कई नेता अपने बच्चों के लिए टिकट मांग रहे हैं. बीजेपी में पनपता परिवारवाद पार्टी के लिए बड़ी समस्या बन सकता है.

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बीजेपी में परिवारवाद

लखनऊ: कहते हैं पर उपदेश कुशल बहुतेरे, यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) में यही हाल भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के नेताओं का है. दूसरे राजनीतिक दलों को परिवारवाद का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा इन दिनों खुद परिवारवाद का शिकार हो गई है. पार्टी के कई बड़े नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांग लिया है, इससे पार्टी के बड़े नेता असमंजस में हैं. कोई अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहा है, तो कोई पत्नी के लिए. भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी का कारण भी उनके बेटे को टिकट नहीं मिलना था.

जानकारी देते भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेई
उत्तर प्रदेश भाजपा में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जो अपने परिवार के सदस्य के लिए टिकट मांग रहे हैं. ऐसे नेताओं में सबसे पहला नाम है कलराज मिश्रा का है, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा अपने बेटे अमित मिश्रा के लिए देवरिया विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के बेटे रामविलास चौहान मऊ की मधुबनी सीट से टिकट मांग रहे हैं. मधुबनी विधानसभा सीट से विधायक रहे दारा सिंह चौहान के इस्तीफा देने के बाद अब रामविलास चौहान का रास्ता लगभग साफ हो गया है.

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के एक बेटे पंकज सिंह का गौतमबुद्ध नगर से टिकट फाइनल कर दिया गया है. वहीं राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह लखनऊ कैंट या लखनऊ की उत्तरी विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. नीरज सिंह की दावेदारी के कारण वर्तमान विधायक असमंजस में हैं. केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर अपने बेटे प्रभात किशोर के लिए सीतापुर की सिधौली विधानसभा सीट से टिकट का प्रयास कर रहे हैं, जबकि एक और बेटे को वह अपनी पत्नी की जगह मोहनलालगंज से चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं.

वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री एसपीएस बघेल अपनी पत्नी के लिए टूंडला विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी ठोक रहे हैं. इस सीट के लिए भाजपा ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. योगी सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही अपनी सीट छोड़कर अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं.

कांग्रेस (Congress) से भाजपा (BJP) में शामिल हुई रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रही हैं. माना जा रहा है कि अगर यहां से भाजपा अपर्णा यादव को टिकट देती है, तो रीता बहुगुणा जोशी पार्टी छोड़ सकती है. विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित अपने बेटे के लिए उन्नाव की पुरवा सीट से दावेदारी ठोक रहे हैं. सांसद सत्यदेव पचौरी अपने बेटे अनूप पचौरी के लिए कानपुर की गोविंद नगर सीट, मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा अपने पुत्र के लिए कैसरगंज सीट मांग रहे हैं.


ये भी पढ़ें- अखिलेश यादव ने लिया अन्न संकल्प, कहा- भाजपा को हराएंगे और हटाएंगे


कहते हैं कि राजनीति वो नशा है, जिसने एक बार चखा वह इसे छोड़कर नहीं जाना चाहता है. भले ही जनता के सामने ये नेता कितना भी नैतिकता का पाठ पढ़ायें, लेकिन जब यह अपने ऊपर आता है तो नेता उस उपदेश को भूल सिर्फ टिकट का राग ही अलापते हैं. अब चुनौती भारतीय जनता पार्टी के सामने है कि एक तरफ जब उनके नेताओं की फौज उनको छोड़ कर जा रही है, तो कैसे इन्हें मनाया जाए.

भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेई की मानें तो किसी नेता का पुत्र होना कोई अपराध नहीं है. अगर जमीन पर किसी कार्यकर्ता का बेटा या बेटी काम करती है और उसका परफॉर्मेंस अच्छा है, तो हमारी पार्लियामेंट बोर्ड उसको आधार बनाकर प्रत्याशी चुनती है. हमारा परिवारवाद गांधी परिवार और यादव परिवार की तरह नहीं है. यहां हर काम करने वाले को तरजीह दी जाती है.

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लखनऊ: कहते हैं पर उपदेश कुशल बहुतेरे, यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) में यही हाल भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के नेताओं का है. दूसरे राजनीतिक दलों को परिवारवाद का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा इन दिनों खुद परिवारवाद का शिकार हो गई है. पार्टी के कई बड़े नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांग लिया है, इससे पार्टी के बड़े नेता असमंजस में हैं. कोई अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहा है, तो कोई पत्नी के लिए. भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी का कारण भी उनके बेटे को टिकट नहीं मिलना था.

जानकारी देते भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेई
उत्तर प्रदेश भाजपा में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जो अपने परिवार के सदस्य के लिए टिकट मांग रहे हैं. ऐसे नेताओं में सबसे पहला नाम है कलराज मिश्रा का है, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा अपने बेटे अमित मिश्रा के लिए देवरिया विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के बेटे रामविलास चौहान मऊ की मधुबनी सीट से टिकट मांग रहे हैं. मधुबनी विधानसभा सीट से विधायक रहे दारा सिंह चौहान के इस्तीफा देने के बाद अब रामविलास चौहान का रास्ता लगभग साफ हो गया है.

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के एक बेटे पंकज सिंह का गौतमबुद्ध नगर से टिकट फाइनल कर दिया गया है. वहीं राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह लखनऊ कैंट या लखनऊ की उत्तरी विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. नीरज सिंह की दावेदारी के कारण वर्तमान विधायक असमंजस में हैं. केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर अपने बेटे प्रभात किशोर के लिए सीतापुर की सिधौली विधानसभा सीट से टिकट का प्रयास कर रहे हैं, जबकि एक और बेटे को वह अपनी पत्नी की जगह मोहनलालगंज से चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं.

वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री एसपीएस बघेल अपनी पत्नी के लिए टूंडला विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी ठोक रहे हैं. इस सीट के लिए भाजपा ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. योगी सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही अपनी सीट छोड़कर अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं.

कांग्रेस (Congress) से भाजपा (BJP) में शामिल हुई रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रही हैं. माना जा रहा है कि अगर यहां से भाजपा अपर्णा यादव को टिकट देती है, तो रीता बहुगुणा जोशी पार्टी छोड़ सकती है. विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित अपने बेटे के लिए उन्नाव की पुरवा सीट से दावेदारी ठोक रहे हैं. सांसद सत्यदेव पचौरी अपने बेटे अनूप पचौरी के लिए कानपुर की गोविंद नगर सीट, मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा अपने पुत्र के लिए कैसरगंज सीट मांग रहे हैं.


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कहते हैं कि राजनीति वो नशा है, जिसने एक बार चखा वह इसे छोड़कर नहीं जाना चाहता है. भले ही जनता के सामने ये नेता कितना भी नैतिकता का पाठ पढ़ायें, लेकिन जब यह अपने ऊपर आता है तो नेता उस उपदेश को भूल सिर्फ टिकट का राग ही अलापते हैं. अब चुनौती भारतीय जनता पार्टी के सामने है कि एक तरफ जब उनके नेताओं की फौज उनको छोड़ कर जा रही है, तो कैसे इन्हें मनाया जाए.

भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेई की मानें तो किसी नेता का पुत्र होना कोई अपराध नहीं है. अगर जमीन पर किसी कार्यकर्ता का बेटा या बेटी काम करती है और उसका परफॉर्मेंस अच्छा है, तो हमारी पार्लियामेंट बोर्ड उसको आधार बनाकर प्रत्याशी चुनती है. हमारा परिवारवाद गांधी परिवार और यादव परिवार की तरह नहीं है. यहां हर काम करने वाले को तरजीह दी जाती है.

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