लखनऊः परिवहन विभाग ने शोरूम मालिकों को वाहनों के रजिस्ट्रेशन पेपर लेकर बार-बार आरटीओ कार्यालय की परिक्रमा न करनी पड़े, इसके लिए पिछले साल दिसंबर माह से डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू की थी. इस सुविधा से समय के साथ ही उनके पैसे की भी बचत हो रही थी, लेकिन इसका लाभ शोरूम मालिक वाहन खरीदारों के साथ हर माह करोड़ों की ठगी करके उठा रहे हैं. अभी भी डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन पर कोई वाहन खरीदार वाहन खरीदने पहुंचता है तो 'आरटीओ चार्ज' के नाम पर दोपहिया वाहन के लिए 500 से लेकर 1000 रुपये तो चार पहिया वाहन पर 2000 से लेकर 3000 रुपए के बीच की अतिरिक्त वसूली की जा रही है.
सिर्फ आरटीओ लखनऊ में ही हर माह 6000 से ज्यादा दो पहिया वाहन और 4000 के करीब चार पहिया वाहन दर्ज होते हैं. ऐसे में यहीं पर वसूली का आंकड़ा कई लाख पहुंच जाता है. यही हाल प्रदेश के सभी जिलों के शोरूम मालिकों का है. फिलहाल 'ईटीवी भारत' के इस खुलासे के बाद परिवहन विभाग के अधिकारी हरकत में आ गए हैं. विभाग की तरफ से अब शोरूम मालिकों को नोटिस देने की तैयारी शुरू हो गई है.
जबकि नियम के मुताबिक आरटीओ चार्ज के नाम पर ₹6,841 रोड टैक्स और ₹300 रजिस्ट्रेशन शुल्क मिलाकर कुल 7241रुपये होते हैं. साफ जाहिर है कि यहां भी ₹600 दोपहिया वाहन की खरीदारी पर वाहन स्वामी से अतिरिक्त चार्ज लिया जा रहा है. यह तो तब है जब कोई वाहन स्वामी वाहन की कीमत का भुगतान नकद कर दे. फाइनेंस कराने पर अतिरिक्त चार्ज और बढ़ जाता है.
चार पहिया में दो हजार से तीन हजार रुपए तक की अतिरिक्त वसूली: दो पहिया की तरह चार पहिया शोरूम मालिकों का भी यही हाल है. यहां पर शोरूम मालिक आराम से वाहन खरीदार से 2000 रुपये से लेकर ₹3000 तक की अतिरिक्त वसूली आरटीओ चार्ज के नाम पर कर लेते हैं. चूंकि चार पहिया वाहन महंगा होता है ऐसे में खरीदार भी वाहन खरीदते समय दो हजार से ₹3000 की कोई फिक्र नहीं करता है और इसी का फायदा शोरूम मालिक उठाते हैं. आरटीओ कार्यालय में वाहन स्वामी पूछने भी नहीं जाता है कि आरटीओ चार्ज के रूप में जो वसूली की जा रही है वह सही है या फिर गलत.
1998 में विभाग की तरफ से भेजा गया था लेटर: परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारी बताते हैं कि साल 1998 में विभाग की तरफ से सभी आरटीओ कार्यालयों को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें नए वाहन की खरीदारी पर शोरूम मालिकों को वाहन की कीमत पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस के अलावा ₹200 अतिरिक्त वसूले जाने का जिक्र किया गया था. यह ₹200 इसलिए लेने की बात कही गई थी जिससे शोरूम मालिक वाहन की फाइल लेकर आरटीओ कार्यालय जाने वाले कर्मचारी के पेट्रोल और मेहनत के एवज में भुगतान कर दें. लेकिन अब जब पिछले साल दिसंबर माह से डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन की ही सुविधा शुरू कर दी गई है, तो अब आरटीओ कार्यालय जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है. लिहाजा, किसी तरह की आरटीओ सर्विस के नाम पर वाहन स्वामी से पैसे की वसूली नहीं की जा सकती है.
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क्या कहते हैं एआरटीओ प्रशासन: सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि नए वाहन के लिए जो भी देय टैक्स है और रजिस्ट्रेशन का जो शुल्क है उसके अलावा आरटीओ चार्ज के नाम पर कोई अतिरिक्त वसूली नहीं की जा सकती है. शोरूम मालिकों की ऐसी शिकायतें मिली हैं अब इन पर कार्रवाई जरूर की जाएगी.
क्या कहते हैं परिवहन आयुक्त: उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त धीरज साहू का कहना है कि यह मामला काफी गंभीर है. अगर शोरूम मालिक इस तरह का काम कर रहे हैं तो गंभीरता से मामले की जांच कराई जाएगी. सभी शोरूम मालिकों को नोटिस जारी किया जाएगा. वाहन खरीदारों से किसी तरह की भी वसूली नहीं होने दी जाएगी. इससे परिवहन विभाग की छवि धूमिल हो रही है.
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