लखनऊ : शेल्टर होम (shelter home) में रहने वाली बालिकाओं की जब शादी होती है तो उसके बाद उनके जीवन में बहुत कुछ बदलाव होते हैं. इस बदलाव में कभी-कभी वह अपने आप को खो देती हैं. शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियां जब बालिग हो जाती हैं तो उनसे विवाह करने को लेकर प्रश्न किया जाता है. जब उनकी अनुमति होती है और वह मानसिक तौर पर विवाह करने के लिए तैयार होती हैं उसके बाद उनके लिए प्रशासन वर ढूंढता है. सामूहिक विवाह में शेल्टर होम में रहने वाली बालिकाओं की शादी समाज के लिए आइडियल बनती हैं. वहीं बहुत सारी शादियां ऐसी होती हैं जो ज्यादा समय तक नहीं चल पाती हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि लड़कियां हमेशा से शेल्टर होम में रही हैं, परिवार में रहने की उन्हें आदत नहीं होती है. अचानक जब वह किसी परिवार का हिस्सा बनती हैं तो कई बार रिश्ते बिगड़ जाते हैं. बताते दें कि पिछले साल 2021 में शेल्टर होम की 17 लड़कियों की शादी कराई गई थी. जिसमें से बहुत सारी लड़कियों की शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही है, वहीं सात लड़कियों की शादी टूट गई. हर साल 15 से 20 लड़कियों की शादी सामूहिक विवाह में होती है. जिनमें से चार पांच शादी ऐसी होती हैं जो समाज के सामने आइडियल बनकर उभरती है.
शेल्टर होम (shelter home) की लड़की महिमा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि जब वह शेल्टर होम में थी तो उसने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उसने ग्रेजुएशन का फॉर्म डाला. इसी दौरान शेल्टर होम की वॉर्डन ने शादी के लिए पूछा तो मैंने उस पर आपत्ति नहीं जताई. मैंने शादी के लिए हां कर दिया. महिमा ने बताया कि 2 साल पहले ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान उसकी शादी हुई. शादी के कुछ समय बाद चीजें बिगड़नी शुरू हो गईं. मैं ससुराल में रह रहे तमाम लोगों के मन की बात नहीं समझ पाती थी. मैं शेल्टर होम से आई हूं, इस बात का ताना मुझे हमेशा सुनने को मिलता था. मैं दिन भर घर का काम करती थी, जब पढ़ाई करने या सोने के लिए जाती तो सास पैर दबाने के लिए बुलाने लगतीं. मैंने यह सब कभी नहीं किया, हालांकि जब वह मुझे बुलाती थीं तो मैं पैर दबाने चली जाती थी, लेकिन यही सारी चीजें बढ़ते-बढ़ते ज्यादा होने लगी. बार-बार मुझे ताना मारने लगे कि मेरे आगे पीछे कोई नहीं है. मेरे मायके वाले नहीं हैं. यह सब मुझसे सहन नहीं हुआ. इसलिए अब मैं अकेले रह रही हूं.
शेल्टर होम (shelter home) की एक और लड़की रुचि (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मैं 12वीं तक पढ़ाई की है. 11 साल की उम्र से 18 साल तक मैं शेल्टर होम में रही. इसके बाद विवाह कराया गया. इस समय मैं अपने ससुराल में ही रह रही हूं, लेकिन बहुत दिक्कत होती है, जब शेल्टर होम से हमारी शादी होकर हम एक परिवार में आते हैं. हमें कोई समझने वाला नहीं होता. ससुराल में ढलने में थोड़ा समय लगता है. आए दिन हमारी अनबन होती रहती है. छोटी-छोटी बातों पर लोग सुनाते हैं. हमसे कोई गलती हो जाती है तो हमें डांटने लगते हैं. इस बार मैंने अपने रिश्ते को आखिरी मौका दिया है. अगर हमारा रिश्ता संभल जाएगा तो अच्छी बात है वरना मैं जिंदगी में अकेले ही रहना पसंद करूंगी.
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की अध्यक्ष संगीता शर्मा ने बताया कि शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों का जब विवाह होता है तो वह एक परिवार में लंबे समय के बाद शामिल होती हैं. किसी भी फैमिली में सास-ससुर, बहन, भाई और पति होते हैं. ऐसे में लड़कियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि किस तरह से वह अपने पारिवारिक जीवन को बनाकर रखें. दरअसल, शेल्टर होम में बच्चों को एक घर का माहौल नहीं मिल पाता है. घर में माता-पिता होते हैं. माताएं अक्सर अपनी बेटियों को कामकाज सिखाती हैं. वहीं पिता उसे सामाजिक चीजों के बारे में बताते हैं, जोकि शेल्टर होम में नहीं हो पाता है. यही कारण है कि जब एक शेल्टर होम में रहने वाली लड़की का विवाह होता है तो वह परिवार में नहीं रह पाती है. बहुत सारी शादियां सक्सेसफुल हो जाती हैं.
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वहीं बहुत सारी शादियां टूट जाती हैं. हम लड़का-लड़की को बुलाकर समझाने की कोशिश करते हैं. उन्हें कहते हैं कि वह एक दूसरे को समझें, जानें, तब कोई आखिरी निर्णय लें. ज्यादातर लड़कियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होती है कि शादी के बाद वह किस तरह से अपने आप को एक परिवार में ढालें.
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