लखनऊ: सरकारी सहायता प्राप्त सेंटीनियल इंटर कॉलेज की जमीन पर मैथोडिस्ट चर्च स्कूल चलाने की अनुमति देने वाले लखनऊ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी पर गुरुवार को गाज गिर गई. नियम विरुद्ध निजी कॉलेज को मान्यता प्रदान (Recognition to private college against rules) करने के आरोप के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया है. मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक को इस पूरे मामले में जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है.
सच्चाई छिपाकर दी गई मान्यता: लखनऊ के गोलागंज में जिस स्कूल की बिल्डिंग को लेकर विवाद चल रहा है. वहां, बीते 139 वर्षों से सेन्टीनियल स्कूल का संचालन किया जा रहा था. यह सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है. रातों रात इस स्कूल को खत्म कर यहां निजी स्कूलों को मान्यता दे दी गई. इस पूरे खेल मामले में बेसिक शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधिकारियों के स्तर पर जमकर खेल किया गया. मान्यता देने के लिए सूचनाएं छिपाई गई. सेंटेनियल इंटर कॉलेज सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय होने के कारण उसकी जमीन पर कोई और निजी स्कूल खोला ही नहीं जा सकता है.
बता दें, लखनऊ के ऐतिहासिक सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय में करीब 500 बच्चे पढ़ते हैं. अधिकारियों की इस कारगुजारी के चलते यह बच्चे सड़क पर आ गए थे. बाद में जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के चलते इन्हें अपना स्कूल वापस मिल पाया. इस पूरे मामले में जिला अधिकारी की तरफ से बाहर एफआईआर कराने के आदेश दिए गए थे. वहीं, बीते दिनों कार्रवाई करते हुए निजी स्कूल को बंद कराकर उसकी जमीन वापस सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय को उपलब्ध करा दी गई.
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इनके खिलाफ की गई कार्रवाई
1. अक्षय रिसाल सिंह, प्रबंधक, मेथोडिस्ट चर्च स्कूल
2. शिवनन्दन सिंह, सेवानिवृत्त खण्ड शिक्षा अधिकारी
3. लखनऊ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह एवं मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक पीएन सिंह के विरूद्ध विभागीए कार्यवाई
4. अनिमा रिसाल सिंह, लालबाग गर्ल्स इण्टर कालेज
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