लखनऊ : लखनऊ विकास प्राधिकरण ने साल 2018 के बाद 1300 से ज्यादा अवैध निर्माण ध्वस्त करने के आदेश दिए, लेकिन इनमें से अब तक 15 को भी ध्वस्त नहीं किया जा सका है. इसके अलावा 700 से अधिक अवैध निर्माणों को सील करने का आदेश दिया गया, लेकिन वहां भी ऐसी कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रही है.
अवैध निर्माण को लेकर हाल ही में एलडीए में ज्वाइन करने वाले उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने जब पिछले दिनों बैठक कि तो उनके सामने चौंकाने वाले तथ्य आए. वर्ष 2018 से अब तक कुल 4624 अवैध निर्माण सम्बन्धित मुकदमें एलडीए ने शुरू किए थे. जिनमें से 3061 वाद अब भी चल रहे हैं. इनमें भी लगभग 1500 वाद ऐसे हैं, जो एक वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. वर्ष 2018 से अब तक सीलिंग के 750 आदेश जारी किये गए हैं. ध्वस्तीकरण के लगभग 1300 आदेश हुए हैं. उन्होंने पाया कि इनमें से अधिकांश केवल कागजों में होते हुए नजर आ रहे हैं, जबकि जमीन पर कुछ भी नहीं हो रहा है.
बात की जाए तो लखनऊ विकास प्राधिकरण केवल माफियाओं पर कार्रवाई करने तक सीमित रहा. गाजीपुर के बाहुबली मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण गिरा दिए गए वह चाहे हजरतगंज में हो, जियामऊ में हो या फिर डाली बाग में. इसके अलावा बसपा से जुड़े पूर्व सांसद दाउद अहमद की एक बिल्डिंग गोलागंज में ध्वस्त की गई. मुख्तार अंसारी से जुड़ा हुआ ड्रैगन माल कैसरबाग में ध्वस्त किया गया. बस यही गिने-चुने अवैध निर्माणों पर एलडीए ने कार्रवाई की है.
बालू अड्डा इलाके में यजदान बिल्डर ने एलडीए की नजूल की जमीन पर अवैध बिल्डिंग बनाई. इसको जोर-शोर से तोड़ने का दावा किया गया, लेकिन केवल छज्जे और दीवारों में छेद करके ही छोड़ दिया. यहां कभी भी बिल्डर दोबारा निर्माण कर सकता है. लखनऊ विकास प्राधिकरण का दावा था कि इस जमीन को बिल्डर से वापस लिया जाएगा. यह भी नहीं हो सका. इसी तरह से शहर के बाहरी इलाकों में अवैध काॅलोनियों के साइट ऑफिस तोड़कर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी अपनी पीठ थपथपाते हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण इस बात का इंतजार करता रहता है कि स्टे आएगा तो बिल्डिंग को बख्श दिया जाएगा.
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लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में हम नई प्रवर्तन कोर्ट शुरू कर रहे हैं, ताकि जल्दी से जल्दी केसों को निपटाया जाए. हम तेजी से अवैध निर्माणों पर कार्रवाई कर सकें. इसको लेकर हमने बैठक भी की है. अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
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