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303 ऐडेड डिग्री कॉलेज से राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र, जानिये वजह

राजधानी समेत प्रदेश के 303 सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के शिक्षकों की ओर से उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से लेकर राष्ट्रपति तक को पत्र भेजा गया है. इस मामले में हस्तक्षेप करने और शिक्षकों को उनका हक दिलाने की मांग की गई है.

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Published : Aug 5, 2022, 9:09 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के शिक्षक 3000 से 15 हजार रुपये में काम कर रहे हैं. बीते 20 वर्षों में कई शिक्षकों ने इस दर्द से आत्महत्या तक कर ली, लेकिन आज तक इन शिक्षकों को अपने हक का वेतन तक नहीं मिल पाया.


राजधानी समेत प्रदेश के 303 सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के शिक्षकों की ओर से उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से लेकर राष्ट्रपति तक को पत्र भेजा गया है. इस मामले में हस्तक्षेप करने और शिक्षकों को उनका हक दिलाने की मांग की गई है. अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ की ओर से एक पत्राचार अभियान सभी 75 जिलों से आरम्भ किया गया है.


अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरुणेश अवस्थी ने बताया कि विगत 15 से 20 वर्षों से अनुदानित महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में UGC द्वारा निर्धारित पूर्ण योग्यता के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं. पदनाम जरूर है, लेकिन तीन हजार से 15 हजार तक वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के 16 विश्वविद्यालय व संबद्ध 303 अनुदानित महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित शिक्षकों का यही हालत है .


उन्होंने बताया कि शिक्षक अपनी रोटी और अपने वजूद के लिए संघर्ष की स्थिति में आ गए हैं. कई शिक्षकों ने इस दुर्व्यवस्था के चलते आत्महत्या कर ली तथा कई सेवानिवृत्त हो गए. आधे से ज्यादा शिक्षक 45 से 50 वर्ष के ऊपर हो गए हैं. भौतिक सत्यापन की स्थिति में इनकी सम्भावित संख्या भी 2000 से अधिक नहीं है, फिर भी सरकार की आंखों के सामने यह दुर्व्यवस्था निरंतर जारी है.


उठाई गई यह मांग : अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित योजनान्तर्गत नवीन पाठ्यक्रमों पर तत्काल रोक लगाकर सभी संचालित विषयों को अनुदान पर लिया जाये. साथ ही शिक्षकों का विनियमितीकरण कर एक समान व्यवस्था लागू की जाये.

उप्र के सभी अनुदानित महाविद्यालयों के 2(F) व 12 (B) दर्जा प्राप्त होने के कारण इन महाविद्यालयों की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है. पूर्व में स्ववित्तपोषित बीएड पाठ्यक्रम को अनुदान पर लेकर सरकार ने कुछ शिक्षकों को विनियमित कर उनकी समस्याओं का स्थाई समाधान प्रस्तुत किया है.

यह भी पढ़ें : हम तकनीक का प्रयोग कर अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर दिलाएंगे: मंत्री असीम अरुण
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुणेश अवस्थी के नेतृत्व में सरकार के समक्ष विनियमितीकरण व यूजीसी वेतनमान की मांग को उम्मीद-पत्र के माध्यम से रखने का प्रयास किया गया है.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के शिक्षक 3000 से 15 हजार रुपये में काम कर रहे हैं. बीते 20 वर्षों में कई शिक्षकों ने इस दर्द से आत्महत्या तक कर ली, लेकिन आज तक इन शिक्षकों को अपने हक का वेतन तक नहीं मिल पाया.


राजधानी समेत प्रदेश के 303 सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के शिक्षकों की ओर से उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से लेकर राष्ट्रपति तक को पत्र भेजा गया है. इस मामले में हस्तक्षेप करने और शिक्षकों को उनका हक दिलाने की मांग की गई है. अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ की ओर से एक पत्राचार अभियान सभी 75 जिलों से आरम्भ किया गया है.


अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरुणेश अवस्थी ने बताया कि विगत 15 से 20 वर्षों से अनुदानित महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में UGC द्वारा निर्धारित पूर्ण योग्यता के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं. पदनाम जरूर है, लेकिन तीन हजार से 15 हजार तक वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के 16 विश्वविद्यालय व संबद्ध 303 अनुदानित महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित शिक्षकों का यही हालत है .


उन्होंने बताया कि शिक्षक अपनी रोटी और अपने वजूद के लिए संघर्ष की स्थिति में आ गए हैं. कई शिक्षकों ने इस दुर्व्यवस्था के चलते आत्महत्या कर ली तथा कई सेवानिवृत्त हो गए. आधे से ज्यादा शिक्षक 45 से 50 वर्ष के ऊपर हो गए हैं. भौतिक सत्यापन की स्थिति में इनकी सम्भावित संख्या भी 2000 से अधिक नहीं है, फिर भी सरकार की आंखों के सामने यह दुर्व्यवस्था निरंतर जारी है.


उठाई गई यह मांग : अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित योजनान्तर्गत नवीन पाठ्यक्रमों पर तत्काल रोक लगाकर सभी संचालित विषयों को अनुदान पर लिया जाये. साथ ही शिक्षकों का विनियमितीकरण कर एक समान व्यवस्था लागू की जाये.

उप्र के सभी अनुदानित महाविद्यालयों के 2(F) व 12 (B) दर्जा प्राप्त होने के कारण इन महाविद्यालयों की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है. पूर्व में स्ववित्तपोषित बीएड पाठ्यक्रम को अनुदान पर लेकर सरकार ने कुछ शिक्षकों को विनियमित कर उनकी समस्याओं का स्थाई समाधान प्रस्तुत किया है.

यह भी पढ़ें : हम तकनीक का प्रयोग कर अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर दिलाएंगे: मंत्री असीम अरुण
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुणेश अवस्थी के नेतृत्व में सरकार के समक्ष विनियमितीकरण व यूजीसी वेतनमान की मांग को उम्मीद-पत्र के माध्यम से रखने का प्रयास किया गया है.

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