लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने उन आवंटियों की तलाश शुरू कर दी है. जिन्होंने व्यावसायिक उपयोग की जमीन आवंटित कराने के बाद अब तक निर्माण कार्य नहीं कराया. प्राधिकरण ऐसे आवंटियों का आवंटन निरस्त करने की तैयारी में है. सिर्फ ट्रांसपोर्ट नगर योजना में ही ऐसे 400 से अधिक भूखंड चिन्हित किए गए हैं.
प्राधिकरण सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण सचिव पवन गंगवार ने संपूर्ण ब्यौरा तलब किया है. फाइलें उनके पास पहुंच भी गई हैं. योजना में कुल 1280 भूखंड हैं. इन भूखंडों को 1981 में आवंटित किया गया था लेकिन निर्माण आज तक नहीं कराया गया. प्राधिकरण ने ट्रांसपोर्ट नगर योजना में यह स्थिति मिलने के बाद अन्य व्यवसायिक योजनाओं में भी ऐसे भूखंडों की तलाश शुरू कर दी है. साथ ही गायब फाइलों को भी तलाशा जा रहा है. बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना से 79 फाइलें गायब हुई थीं जो बाद में मिल भी गईं. इसके बाद ही प्राधिकरण अधिकारियों की नींद टूटी और उन्होंने पड़ताल शुरू कर दी.
प्राधिकरण के अधिकारी बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना में 20% के आसपास भूखंड खाली पड़े हैं. प्राधिकरण के नियम के मुताबिक आवंटन के 3 साल के भीतर निर्माण कार्य हो जाना चाहिए. विशेष परिस्थितियों में यह छूट 5 साल के लिए लेवी जमा करने के बाद मिल सकती है. लेवी वर्तमान सर्किल रेट के हिसाब से जमा करनी होती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नियमानुसार प्राधिकरण यह आवंटन निरस्त कर सकता है. फिलहाल अभी तक इसके आदेश नहीं दिए गए हैं. प्राधिकरण ने उन आवंटियों को नोटिस जारी कर दी है, जिनके भूखंड खाली पड़े हैं. आप उनके जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है. प्राधिकरण सचिव पवन कुमार गंगवार कहते हैं कि न्याय संगत और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
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प्राधिकरण सूत्र बताते हैं कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव ने कई रजिस्ट्री सत्यापन के लिए रजिस्ट्री ऑफिस भेजी थी. इनमें से कई रजिस्ट्री फर्जी मिली है. एक रजिस्ट्री ऐसी भी पाई गई है, जिसकी जांच लखनऊ विकास प्राधिकरण ने की थी. उस भूखंड को गलत तरीके से दलालों ने बेंच दिया था. बताते हैं कि प्राधिकरण में घोटालों की लंबी फेहरिस्त है.