लखनऊ: योगी सरकार से मोर्चा लेने के बजाय सपा (Samajwadi Party) अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा सदस्य के रूप में संसद की राजनीति करेंगे. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने को लेकर राजनीति करनी है, तो फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य के रूप में चुनाव जीते मैनपुरी करहल सीट से इस्तीफा क्यों देंगे. इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि अखिलेश यादव सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने विधानसभा सदन में नहीं रहना चाहते हैं. वो सरकार के खिलाफ हमलावर होने से बचना चाह रहे हैं, इसीलिए वो विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देंगे.
राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि समाजवादी पार्टी को जिताने और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कुर्सी पर काबिज होने को लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूरी मेहनत की थी, लेकिन काफी कम सीटें जीतने के कारण सरकार नहीं बना पाए. वो आजमगढ़ से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे, अब जब वह मैनपुरी की करहल सीट से विधानसभा सदस्य चुने गए हैं. अब उन्हें एक सीट छोड़नी होगी.
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कहा जा रहा है कि वो विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे और आजमगढ़ से संसद सदस्य बने रहेंगे. लोगों का मानना है जब उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति करनी है, तो प्रदेश स्तरीय मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेरने का प्रयास करें, जिससे जनता के बीच उनको लेकर एक अच्छा संदेश जाए. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन रही है और आने वाले कुछ दिनों में शपथ ग्रहण कार्यक्रम होगा. कहा जा रहा है कि योगी सरकार से मोर्चा लेने के बजाय, अखिलेश यादव लोकसभा सदस्य के रूप में संसद की राजनीति करेंगे.
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