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जाली नोट छापने वाला और सप्लायर दोषी करार- कोर्ट ने सुनाई दस और आठ साल की सजा - जाली नोट छापने वाला और सप्लायर दोषी करार

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (Assistant District Government Advocate) प्रतिभा राय का तर्क था कि वजीरगंज पुलिस ने मुखबिर की मदद से 1 फरवरी 2005 को कैसरबाग बस स्टैंड के गेट से आरोपी सरताज को गिरफ्तार किया था.

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लखनऊ कोर्ट
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Published : Jul 1, 2022, 10:14 PM IST

लखनऊ: प्रिंटर मशीन से जाली नोट छापने वाले मोहम्माद मांज को 10 वर्ष का कठोर कारावास और 50 हजार रुपये का जुर्माना तथा नोटों के सप्लायर आरोपी मोहम्मद सरताज को आठ वर्ष के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा से अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार राय ने दंडित किया है.

अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (Assistant District Government Advocate) प्रतिभा राय का तर्क था कि वजीरगंज पुलिस ने मुखबिर की मदद से 1 फरवरी 2005 को कैसरबाग बस स्टैंड (Kaiserbagh Bus Stand) के गेट से आरोपी सरताज को गिरफ्तार किया था. जिसकी तलाशी पर उसके पास से 15 हजार रुपये के जाली नोट बरामद किए थे. बहस के दौरान बताया गया कि अभियुक्त मोहम्मद सरताज के बयान के आधार पर पुलिस ने लखनऊ के मोहल्ला चिकमंडी मौलवीगंज (Mohalla Chikamandi Maulviganj) से मोहम्मद मांज को उस समय गिरफ्तार किया जब वह अपने घर में कंप्यूटर मशीन के द्वारा नकली नोट बना रहा था.

इसे भी पढ़ेंः हिजबुल के फाइनेंसर की पुलिस रिमांड मंजूर

आरोप है कि पुलिस ने जिस समय मोहम्मद सरताज को गिरफ्तार किया. उसके कब्जे से 500, 100 और 50 रुपये के फर्जी नोट मौके से बरामद हुए थे. मोहम्मद सरताज के अनुसार असली 200 रुपये के नोट देने पर मांज उसे एक हजार के नकली नोट देता था. बताया गया है कि इन नोटों को अभियुक्त लखनऊ, सीतापुर और हरदोई जैसे निकटवर्ती जिलों में चला कर धंधा करते थे. अदालत ने निर्णय में कहा है की अभियुक्तों द्वारा इस मामले में जिला कारागार में बिताई गई अवधि, सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी.

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लखनऊ: प्रिंटर मशीन से जाली नोट छापने वाले मोहम्माद मांज को 10 वर्ष का कठोर कारावास और 50 हजार रुपये का जुर्माना तथा नोटों के सप्लायर आरोपी मोहम्मद सरताज को आठ वर्ष के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा से अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार राय ने दंडित किया है.

अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (Assistant District Government Advocate) प्रतिभा राय का तर्क था कि वजीरगंज पुलिस ने मुखबिर की मदद से 1 फरवरी 2005 को कैसरबाग बस स्टैंड (Kaiserbagh Bus Stand) के गेट से आरोपी सरताज को गिरफ्तार किया था. जिसकी तलाशी पर उसके पास से 15 हजार रुपये के जाली नोट बरामद किए थे. बहस के दौरान बताया गया कि अभियुक्त मोहम्मद सरताज के बयान के आधार पर पुलिस ने लखनऊ के मोहल्ला चिकमंडी मौलवीगंज (Mohalla Chikamandi Maulviganj) से मोहम्मद मांज को उस समय गिरफ्तार किया जब वह अपने घर में कंप्यूटर मशीन के द्वारा नकली नोट बना रहा था.

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आरोप है कि पुलिस ने जिस समय मोहम्मद सरताज को गिरफ्तार किया. उसके कब्जे से 500, 100 और 50 रुपये के फर्जी नोट मौके से बरामद हुए थे. मोहम्मद सरताज के अनुसार असली 200 रुपये के नोट देने पर मांज उसे एक हजार के नकली नोट देता था. बताया गया है कि इन नोटों को अभियुक्त लखनऊ, सीतापुर और हरदोई जैसे निकटवर्ती जिलों में चला कर धंधा करते थे. अदालत ने निर्णय में कहा है की अभियुक्तों द्वारा इस मामले में जिला कारागार में बिताई गई अवधि, सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी.

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