लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के कारनामे अजीब हैं. बिजली विभाग ने उत्तर प्रदेश में गरीब उपभोक्ताओं की संख्या में करोड़ों का इजाफा कर दिया है. तकरीबन यह संख्या एक करोड़ 20 लाख तक बढ़ा दी गई है. काॅरपोरेशन के इस कदम पर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने हैरानी जताई है. उन्होंने तर्क दिया है कि इसका अर्थ ये है कि पिछले तीन सालों से बिजली विभाग एक करोड़ 20 लाख उपभोक्ताओं से अतिरिक्त बिजली बिल की वसूली कर रहा था. उन्होंने नियामक आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप करने व अतिरिक्त वसूली को वापस करने की मांग की है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कम्पनियों ने रातों रात 19 लाख गरीब विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या को इस वर्ष टैरिफ प्रस्ताव में कागज में बढ़ाकर एक करोड़ 39 लाख दिखाया है. यानि करीब एक करोड़ 20 लाख ज्यादा. ऐसे में पावर काॅरपोरेशन को इन उपभोक्ताओं से पिछले वर्षों में की गई अधिक वसूली वापस कराई जानी चाहिये. उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात कर एक लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन सौंपा गया है.
कहा कि एक करोड़ 20 लाख विद्युत उपभोक्ता सौभाग्य योजना के हैं तो यह बड़ा जांच का विषय है. यानि यह सभी विद्युत उपभोक्ता एक किलोवाट 100 यूनिट खर्च करने के बाद तीन रुपए प्रति यूनिट की जगह 3.35 रुपए प्रति यूनिट का भुगतान करते रहे. उन्होंने कहा है कि इसका सीधा सा मतलब है कि इन सभी उपभोक्ताओं से ज्यादा वसूली की गई. नियामक आयोग बिजली कम्पनियों द्वारा वसूली गई धनराशि को तत्काल वापस कराए.
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