लखनऊ: एलडीए की जनता अदालत में गुरुवार को फरियादियों की भारी भीड़ उमड़ी. यहां किसी ने बिना नोटिस गैर कानूनी तरीके से अपनी भूमि से अवैध कब्जा हटाने की शिकायत की तो कोई वर्षों से रजिस्ट्री न होने की व्यथा सुना रहा था. अधिकारियों ने लोगों की समस्याओं को सुना, लेकिन गिनी चुनी समस्याओं का ही समाधान किया जा सका. प्राधिकरण की जनता अदालत में करीब 100 शिकायत सामने आईं. जहां आवंटियों ने अधिकारियों के सामने अपनी बातें रखीं. उनकी पीड़ा निकल कर सामने आई. कई बार फरियादियों की अफसरों से बहस भी हुई. जिसके बाद उनके प्रकरणों में सम्बंधित अफसरों को आदेश दिया गया.
एलडीए से परेशान शेखुपुरा के चंद्र पाल वर्मा ने बताया कि अलीगंज में उनकी जमीन बड़ा चांदगंज में है. जहां 17 दुकानें हैं. इस जमीन पर से लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अवैध निर्माण ढहाया. उन्होंने बताया कि यहां अवैध निर्माण नहीं है. यह जमीन उनकी है उनको कभी इसका कोई मुआवजा नहीं प्राप्त हुआ. इसके बावजूद बिना नोटिस के लखनऊ विकास प्राधिकरण ने कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि यह बताया जाए कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने उनको इस जमीन का मुआवजा कब दिया था.
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बाराबिरवा मंडी से सब्जी के अनेक कारोबारी आए थे. जिन का आरोप था कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने वर्षों पहले उनकी मंडी हटाई थी. जिसके बाद व्यवसाय करने के लिए उन्हें चबूतरे दिए गए थे, लेकिन इन चबूतरों का अब तक निबंधन नहीं करवाया गया है. इस दौरान आलमबाग के अनेक प्लॉट आवंटी भी पहुंचे, जिनकी लीज का नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है. यह भी लंबे समय से लखनऊ विकास प्राधिकरण का चक्कर काट रहे हैं. वहीं उपाध्यक्ष अक्षय कुमार त्रिपाठी ने इन लोगों की बातों को गंभीरता से सुना. जनता अदालत में सचिव पवन कुमार गंगवार, अधिशासी अभियंता कमलजीत सिंह, अधिशासी अभियंता प्रताप सिंह मिश्र और अन्य अफसर मौजूद रहे.
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