लखनऊ : विवेचना से नाम निकालने के एवज में सात हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार दरोगा योगेश सिंह की जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश मोहिंदर कुमार ने खारिज कर दिया है.
जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष अधिवक्ता कौशलेंद्र द्विवेदी व सोमदत्त बाजपेई का तर्क था कि शिकायतकर्ता बृजेंद्र यादव ने 12 जुलाई 2022 को पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निवारण संगठन, लखनऊ को एक शिकायती प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि जमीनी विवाद को लेकर उनके व चाचा के बीच 24 मार्च 2022 को मारपीट की घटना हुई थी, जिसमें बृजेंद्र यादव के भाई व परिवार की औरतों को चोट आई थी. इस सम्बंध में थाना सैरपुर लखनऊ में उसकी तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया था. कहा गया है कि इसके विपरीत उनके चाचा ने भी एक मुकदमा दर्ज कराया है. इस मुकदमे में चार लोगों को नामजद किया गया, जबकि वे घटनास्थल पर नहीं थे. आरोप है कि इन चारों लोगों का नाम निकालने के लिए दरोगा योगेश सिंह जो पुलिस चौकी बारूमऊ का चौकी इंचार्ज था, उसने बीस हजार रुपए में सभी का नाम निकालने की बात कही.
इस शिकायत पर जब जांच कराई गई तो घटना सही पाई गई. इसके बाद 15 जुलाई 2022 को ट्रैप टीम ने दरोगा योगेश सिंह को सात हजार रुपए घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया. अदालत ने कहा कि अभियुक्त को मौके से गिरफ्तार किया गया है तथा उसके पास से रिश्वत के रुपए बरामद हुए हैं. लिहाजा अपराध की गम्भीरता को देखते हुए जमानत का उचित आधार नहीं है.
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