कानपुर देहात: जिला न्यायालय में एक ऐसा मामला 26 सालों से चल रहा था कि जिसका निस्तारण अब 26 साल बाद हो पाया हैं और मानक विहीन खाद बनाने को लेकर व्यापारी पर मुकदमा दर्ज हुआ था, जोकि जनपद की भोगनीपुर कोतवाली स्थित एक फर्टिलाइजर कंपनी में आज से 26 साल पहले मानकविहीन खाद बनाने के मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषमुक्त करार दे दिया है.
इस पूरे मामले में अधिकारियों ने कंपनी के निर्देशक की जगह प्रयागराज के एक किसान का नाम दर्ज करा दिया था. अभियोजन ने इस मामले में उर्वरक की जांच करने वाले विशेषज्ञ और विवेचक के कोर्ट में बयान ही नहीं कराए थे.
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कानपुर देहात के भोगनीपुर कोतवाली स्थित त्रिमूर्ति फर्टीलाइजर में मानकविहीन उर्वरक के भंडारण पर 22 जुलाई 1996 में जनपद जालौन जिले के कृषि अधिकारी ने छापा मारा था. खाद के नमूने लेकर जांच के लिए भेजा था. आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत प्रयागराज जिले के बेलाखास गांव निवासी चंद्रशेखर दुवे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. इस पूरे मामले की सुनवाई जनपद कानपुर देहात के जिला न्यायालय अपर जिला सत्र न्यायाधीश चतुर्थ बाकर शमीम रिजवी की कोर्ट में चल रही थी.
इस पूरे मामले में अभियोजन ने प्रयोगशाला विशेषज्ञ और विवेचक के बयान कोर्ट में नहीं कराए. वहीं, माल मुकदमा की शिनाख्त आरोपी ही करा दिया, जिसके बाद कोर्ट ने इसे विधि विरुद्ध माना है. साथ ही आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त करार दे दिया है. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ओमकार कुमार वाजपेयी ने बताया कि एफआईआर कराने में भी खेल किया गया था. कंपनी के निर्देशक के नाम की जगह प्रयागराज के किसान चंद्रशेखर दुबे का नाम लिखा दिया गया था, जिसके बाद उनके खिलाफ कोई साक्ष्य कोर्ट के सामने नहीं दिए जा सके.
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