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400 मकान गिराने से रोकने वाली याचिका NGT ने की खारिज, अर्थला झील की है जमीन

अर्थला झील के खसरा नंबर 1445 में लोगों ने जमीन खरीदकर पक्के मकान बना लिए हैं. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है.

400 मकान गिराने से रोकने वाली याचिका NGT ने की खारिज
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Published : Jun 11, 2019, 10:55 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने करीब साढ़े 4 सौ मकानों को गिराने से रोकने के लिए दायर याचिका को एनजीटी ने खारिज कर दिया है.

अर्थला झील की है जमीन
मामले में कोर्ट का कहना है कि ये पहले ही तय किया जा चुका है कि जिस जमीन पर लोगों ने मकान बनाया है वो जमीन झील की है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी. इस दिन जिलाधिकारी को पेश होकर मामले में चल रही कार्रवाई की रिपोर्ट एनजीटी को देनी है.

जनहित याचिका की थी दायर
गौरतलब है कि सुशील राघव ने एनजीटी में जनहित याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया था कि अर्थला झील के खसरा नंबर 1445 में लोगों ने जमीन खरीदकर पक्के मकान बना लिए हैं. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है. इस मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने नगर निगम को इन मकानों को तोड़ने का आदेश दिया था.

पक्षकार बनाने की थी अपील
यहां रहने वाले स्थानीय लोगों ने एनजीटी में याचिका दाखिल कर अपने को पक्षकार बनाने की अपील की थी. इस मसले पर एनजीटी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में खसरे की जमीन को झील का हिस्सा बताया गया है. एनजीटी को जमीन का टाइटल डिसाइड करने का हक नहीं है. इसके लिए उन्हें अन्य कोर्ट में जाना चाहिए.

मकानों की रजिस्ट्री जमा कराई
आपको बता दें कि अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से निर्मित लगभग साढ़े 4 सौ मकानों को तोड़ा जाना है. अभी तक प्रशासन द्वारा लगभग 12 मकानों को तोड़ा भी गया है. वहीं इस मामले में यहां के 172 लोगों ने अपने मकानों की रजिस्ट्री की कॉपी अपर नगर आयुक्त के पास जमा कराई है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने करीब साढ़े 4 सौ मकानों को गिराने से रोकने के लिए दायर याचिका को एनजीटी ने खारिज कर दिया है.

अर्थला झील की है जमीन
मामले में कोर्ट का कहना है कि ये पहले ही तय किया जा चुका है कि जिस जमीन पर लोगों ने मकान बनाया है वो जमीन झील की है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी. इस दिन जिलाधिकारी को पेश होकर मामले में चल रही कार्रवाई की रिपोर्ट एनजीटी को देनी है.

जनहित याचिका की थी दायर
गौरतलब है कि सुशील राघव ने एनजीटी में जनहित याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया था कि अर्थला झील के खसरा नंबर 1445 में लोगों ने जमीन खरीदकर पक्के मकान बना लिए हैं. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है. इस मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने नगर निगम को इन मकानों को तोड़ने का आदेश दिया था.

पक्षकार बनाने की थी अपील
यहां रहने वाले स्थानीय लोगों ने एनजीटी में याचिका दाखिल कर अपने को पक्षकार बनाने की अपील की थी. इस मसले पर एनजीटी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में खसरे की जमीन को झील का हिस्सा बताया गया है. एनजीटी को जमीन का टाइटल डिसाइड करने का हक नहीं है. इसके लिए उन्हें अन्य कोर्ट में जाना चाहिए.

मकानों की रजिस्ट्री जमा कराई
आपको बता दें कि अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से निर्मित लगभग साढ़े 4 सौ मकानों को तोड़ा जाना है. अभी तक प्रशासन द्वारा लगभग 12 मकानों को तोड़ा भी गया है. वहीं इस मामले में यहां के 172 लोगों ने अपने मकानों की रजिस्ट्री की कॉपी अपर नगर आयुक्त के पास जमा कराई है.

Intro:गाजियाबाद : अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने करीब साढ़े 4 सौ मकानों को गिराने से रोकने के लिए दायर याचिका पर एनजीटी ने सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है. इस पूरे मामले में कोर्ट का कहना है कि यह पहले ही तय किया जा चुका है कि जिस जमीन लोगों ने मकान बनाया है वह जमीन झील की है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी और इस दिन जिलाधिकारी को पेश होकर मामले में चल रही कार्रवाई की रिपोर्ट एनजीटी को देनी है.


Body:गौरतलब है कि सुशील राघव ने एनजीटी में जनहित याचिका दायर की थी इसमें कहा गया था कि अर्थला झील के खसरा नंबर 1445 में लोगों ने जमीन खरीदकर पक्के मकान बना लिए हैं. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है. इस मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने नगर निगम को इन मकानों को तोड़ने का आदेश दिया था. इस मामले में यहां रहने वाले स्थानीय लोगों ने एनजीटी में याचिका दाखिल कर अपने को पक्षकार बनाने की अपील की थी. इस मसले पर एनजीटी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में खसरे की जमीन को झील का हिस्सा बताया गया है. एनजीटी को जमीन का टाइटल डिसाइड करने का हक नहीं है. इसके लिए उन्हें अन्य कोर्ट में जाना चाहिए.


Conclusion:आपको बता दें कि अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से निर्मित लगभग साढ़े 4 सौ मकानों को तोड़ा जाना है. अभी तक प्रशासन द्वारा लगभग 12 मकानों को तोड़ा भी गया है. तो वहीं इस मामले में यहां के 172 लोगों ने अपने मकानों की रजिस्ट्री की कॉपी अपर नगर आयुक्त के पास जमा कराई है.
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