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अग्निशमन अधिकारियों को प्रोन्नत वेतनमान देने पर फैसला लेने का आदेश - प्रयागराज समाचार हिंदी में

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि फायर सर्विस में अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पद पर नियुक्त 16 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके अधिकारियों को चीफ फायर ऑफिसर पद का वेतनमान ग्रेड पे 5,400 देने पर डीजी फायर सर्विसेस लखनऊ विचार कर तीन माह में निर्णय लें.

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Published : Apr 28, 2022, 7:21 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि फायर सर्विस में अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पद पर नियुक्त 16 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके अधिकारियों को चीफ फायर ऑफिसर पद का वेतनमान ग्रेड पे 5,400/- देने पर डीजी फायर सर्विसेस लखनऊ विचार कर तीन माह में निर्णय लें. वेतनमान निर्धारण में प्रशिक्षण अवधि भी शामिल की जाए.

यह आदेश‌ न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने अग्निशमन अधिकारी कुलदीप कुमार, ज्ञान प्रकाश शर्मा, संजीव कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ,अति प्रिया गौतम वह वी के मिश्र ने बहस की. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण की नियुक्ति वर्ष 1997 में फायर स्टेशन द्वितीय ऑफिसर के पद पर हुई थी. याचीगण को वर्ष 2008 में फायर स्टेशन ऑफिसर के पद पर प्रोन्नति प्रदान की गई. उन्हें न तो द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान 5400/- ग्रेड दिया जा रहा था और न हीं उनके दिए प्रशिक्षण की अवधि को सेवा में जोड़ा जा रहा था.

ये भी पढ़ें- सीएम से सतीश मिश्रा की मुलाकात पर मायावती ने दी सफाई, अखिलेश पर भी किया हमला

वरिष्ठ अधिवक्ता गौतम का तर्क था कि प्रदेश सरकार के शासनादेश दिनांक 26 अगस्त 2015, 3 मार्च 2015, 5 नवंबर 2014 और 21 जुलाई 2011 के तहत वे सभी अग्निशमन अधिकारी जिन्होंने विभाग में 16 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है. उन्हें प्रशिक्षण अवधि को जोड़ते हुए द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान 5400/- पर चीफ फायर ऑफिसर के पद का दिया जाना चाहिए. कहा गया था कि याची सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों का लाभ भी पाने के हकदार हैं.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि फायर सर्विस में अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पद पर नियुक्त 16 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके अधिकारियों को चीफ फायर ऑफिसर पद का वेतनमान ग्रेड पे 5,400/- देने पर डीजी फायर सर्विसेस लखनऊ विचार कर तीन माह में निर्णय लें. वेतनमान निर्धारण में प्रशिक्षण अवधि भी शामिल की जाए.

यह आदेश‌ न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने अग्निशमन अधिकारी कुलदीप कुमार, ज्ञान प्रकाश शर्मा, संजीव कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ,अति प्रिया गौतम वह वी के मिश्र ने बहस की. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण की नियुक्ति वर्ष 1997 में फायर स्टेशन द्वितीय ऑफिसर के पद पर हुई थी. याचीगण को वर्ष 2008 में फायर स्टेशन ऑफिसर के पद पर प्रोन्नति प्रदान की गई. उन्हें न तो द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान 5400/- ग्रेड दिया जा रहा था और न हीं उनके दिए प्रशिक्षण की अवधि को सेवा में जोड़ा जा रहा था.

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वरिष्ठ अधिवक्ता गौतम का तर्क था कि प्रदेश सरकार के शासनादेश दिनांक 26 अगस्त 2015, 3 मार्च 2015, 5 नवंबर 2014 और 21 जुलाई 2011 के तहत वे सभी अग्निशमन अधिकारी जिन्होंने विभाग में 16 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है. उन्हें प्रशिक्षण अवधि को जोड़ते हुए द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान 5400/- पर चीफ फायर ऑफिसर के पद का दिया जाना चाहिए. कहा गया था कि याची सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों का लाभ भी पाने के हकदार हैं.

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