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मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को हाईकोर्ट से राहत, गिरफ्तारी पर रोक

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Published : Mar 29, 2022, 9:31 PM IST

अब्बास अंसारी को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने चुनाव के दौरान अधिकारियों के हिसाब बराबर करने वाले बयान के मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

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मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव के दौरान आपत्तिजनक बयान देने के आरोप में बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति वी.के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अब्बास अंसारी की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने बहस की.

मामले में याची का कहना है कि 3 मार्च की चुनावी सभा में सत्ता में आने पर अधिकारियों को सबक सिखाने की धमकी अब्बास अंसारी ने दी थी. इसकी एफआईआर 4 मार्च को दर्ज कराई गई थी. इन आरोपों पर सात साल से अधिक सजा नहीं दी जा सकती. 153 ए संज्ञेय अपराध की धारा जानबूझकर जोड़ी गई है. कहा गया कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कराई गई हैं किन्तु यह सही नहीं है.

यह भी पढ़ें:मुख्तार अंसारी को एम्बुलेंस देना बीजेपी नेत्री अलका राय को पड़ा भारी, भाई समेत गिरफ्तार

इस धारा में पुलिस याची को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है जबकि वह मऊ से विधायक हैं. उसे शपथ लेने नहीं दिया जा रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्ते में याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिका की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी. कोर्ट ने याची को विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है. कहा है कि सहयोग नहीं करते तो अंतरिम आदेश विखंडित करने की सरकार अर्जी दाखिल कर सकती हैं.

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प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव के दौरान आपत्तिजनक बयान देने के आरोप में बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति वी.के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अब्बास अंसारी की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने बहस की.

मामले में याची का कहना है कि 3 मार्च की चुनावी सभा में सत्ता में आने पर अधिकारियों को सबक सिखाने की धमकी अब्बास अंसारी ने दी थी. इसकी एफआईआर 4 मार्च को दर्ज कराई गई थी. इन आरोपों पर सात साल से अधिक सजा नहीं दी जा सकती. 153 ए संज्ञेय अपराध की धारा जानबूझकर जोड़ी गई है. कहा गया कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कराई गई हैं किन्तु यह सही नहीं है.

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इस धारा में पुलिस याची को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है जबकि वह मऊ से विधायक हैं. उसे शपथ लेने नहीं दिया जा रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन हफ्ते में याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिका की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी. कोर्ट ने याची को विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है. कहा है कि सहयोग नहीं करते तो अंतरिम आदेश विखंडित करने की सरकार अर्जी दाखिल कर सकती हैं.

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