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अधिक वेतन भुगतान का ग्रेच्युटी से कटौती का मामला, इलाहाबाद HC ने धनराशि लौटाने का दिया आदेश - आजमगढ़ पुलिस विभाग

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. अदालत ने सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी जयराम की याचिका पर ग्रेच्युटी से काटी गयी धनराशि को वापस करने आदेश आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक को दिया. ये कटौती अधिक वेतन दिए जाने के कारण जयराम की ग्रेच्युटी से की गयी थी.

allahabad high court orders to return amount deducted from gratuity over excess salary payment
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Published : Aug 16, 2021, 8:38 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिक वेतन भुगतान की रिकवरी ग्रेच्युटी की निधि से करने को कानून के खिलाफ करार दिया. अदालत ने इस मामले में आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि याची की अधिक वेतन भुगतान के कारण ग्रेच्युटी निधि से काटी गई धनराशि का वापस किया जाए.

मामला आजमगढ़ पुलिस विभाग का है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी जयराम की याचिका पर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिक वेतन भुगतान की वापसी का बाद में वचन लेकर ग्रेच्युटी से कटौती विधि विरुद्ध करार दिया और आजमगढ़ पुलिस विभाग और सरकार को ग्रेच्युटी से काटे गए 7 लाख 73 हजार 632 रुपये याची को दो महीने में वापस करने का निर्देश दिया.

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याचिका पर अधिवक्ता कैलाश प्रकाश पाण्डेय ने बहस की. उनका कहना था कि याची को विभाग की गलती से अधिक वेतन भुगतान किया गया. सेवानिवृत्ति के बाद पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ ने बिना नोटिस व सुनवाई का मौका दिए, ग्रेच्युटी से कटौती कर ली और कहा कि याची ने कटौती करने पर सहमति दी थी. जबकि याची का कहना था कि उसने वेतन निर्धारण के समय कोई आश्वासन नहीं दिया था. अनुरोध किया गया कि सरोज बाला पांडेय केस के फैसले का लाभ याची को दिया जाए.

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सरकार का कहना था कि याची ने अधिक वेतन भुगतान की कटौती करने का वचन दिया है. इसलिए कटौती सही है. याची का कहना था कि उसने कोई आश्वासन नहीं दिया, बल्कि उससे फार्म पर जबरन हस्ताक्षर करा लिया गया था. इसमें खाली जगह नहीं भरी गयी थी. याची 29 सितंबर 2020 को सेवानिवृत्त हुआ था. लाभ देने की तिथि के बाद आश्वासन पत्र पर हस्ताक्षर लिए गए, ताकि वसूली की जा सके. इस मामले में कोर्ट ने काटी गई धनराशि याची को वापस करने का निर्देश दिया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिक वेतन भुगतान की रिकवरी ग्रेच्युटी की निधि से करने को कानून के खिलाफ करार दिया. अदालत ने इस मामले में आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि याची की अधिक वेतन भुगतान के कारण ग्रेच्युटी निधि से काटी गई धनराशि का वापस किया जाए.

मामला आजमगढ़ पुलिस विभाग का है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी जयराम की याचिका पर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिक वेतन भुगतान की वापसी का बाद में वचन लेकर ग्रेच्युटी से कटौती विधि विरुद्ध करार दिया और आजमगढ़ पुलिस विभाग और सरकार को ग्रेच्युटी से काटे गए 7 लाख 73 हजार 632 रुपये याची को दो महीने में वापस करने का निर्देश दिया.

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याचिका पर अधिवक्ता कैलाश प्रकाश पाण्डेय ने बहस की. उनका कहना था कि याची को विभाग की गलती से अधिक वेतन भुगतान किया गया. सेवानिवृत्ति के बाद पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ ने बिना नोटिस व सुनवाई का मौका दिए, ग्रेच्युटी से कटौती कर ली और कहा कि याची ने कटौती करने पर सहमति दी थी. जबकि याची का कहना था कि उसने वेतन निर्धारण के समय कोई आश्वासन नहीं दिया था. अनुरोध किया गया कि सरोज बाला पांडेय केस के फैसले का लाभ याची को दिया जाए.

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सरकार का कहना था कि याची ने अधिक वेतन भुगतान की कटौती करने का वचन दिया है. इसलिए कटौती सही है. याची का कहना था कि उसने कोई आश्वासन नहीं दिया, बल्कि उससे फार्म पर जबरन हस्ताक्षर करा लिया गया था. इसमें खाली जगह नहीं भरी गयी थी. याची 29 सितंबर 2020 को सेवानिवृत्त हुआ था. लाभ देने की तिथि के बाद आश्वासन पत्र पर हस्ताक्षर लिए गए, ताकि वसूली की जा सके. इस मामले में कोर्ट ने काटी गई धनराशि याची को वापस करने का निर्देश दिया.

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