फर्रुखाबाद: कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप से पहले ही लोग भयभीत हैं. वहीं जून माह में शुरू हुई बारिश से गंगा सहित तमाम नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. मॉनसून सक्रिय होने के कारण जून में ही तटीय इलाकों के लिए गंगा का जलस्तर बढ़ना खतरनाक संकेत दे रहा है. 24 घंटे में कई बैराजों से छोड़े गए पानी से नदियों में जलस्तर का दबाव बढ़ गया है. बुधवार शाम तक नरौरा समेत अन्य बैराजों से गंगा और रामगंगा नदी में 80 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इससे गंगा के तराई क्षेत्र के लोगों की समस्या बढ़ सकती है.
गंगा-रामगंगा में 80 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा
24 घंटों से पहाड़ों पर हो रही बारिश का सीधा असर यहां गंगा नदी के जलस्तर पर पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार, नरौरा से गंगा नदी में 20,129, हरिद्वार से 33,166, बिजनौर से 27,488 और कालागढ़ से 2,324 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जबकि रामगंगा नदी में खो बैराज से 250 और रामनगर से 1,168 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इससे गंगा नदी का जलस्तर बढ़कर 135.75 मीटर पर पहुंच गया है. यदि ऐसे ही नदी में पानी छोड़ने का सिलसिला जारी रहा तो आने वाले 24 घंटे में तराई इलाकों के लोगों की मुसीबत बढ़ सकती है. गंगा नदी का जलस्तर भी गेज पर पहुंच गया है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. उन्हें अभी से फसल बर्बाद होने का खतरा सताने लगा है.
350 लाख की लागत से कोलासोता गांव में बनेगा तटबंध
रामगंगा किनारे अमृतपुर क्षेत्र के गांव कोलासोता और अहलादपुर भटौली बसे हुए हैं. बरसात में कटान होने की आशंका से इन गांवों के लोग खौफजदा हैं. सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सुशील कुमार के अनुसार कोलासोता में तटबंध बनाने की परियोजना स्वीकृत हो गई है और टेंडर भी हो गए हैं. बरसात के बाद 350 लाख रुपये की लागत से कोलासोता गांव में तटबंध का काम शुरू करा दिया जाएगा. फिलहाल अहलादपुर भटौली की परियोजना स्वीकृत नहीं हुई है.
फर्रुखाबाद: बढ़ा गंगा नदी का जलस्तर, तराई क्षेत्रों के ग्रामीण परेशान
मानसून के दस्तक के साथ ही गंगा नदी ने अभी से निचले इलाकों के ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है. पहाड़ों में हो रही मूसलाधार बारिश और नरौरा सहित अन्य बैराजों से छोड़े गए पानी से गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे तराई क्षेत्रों में रह रहे लोगों की चिंता बढ़ने लगी है.
फर्रुखाबाद: कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप से पहले ही लोग भयभीत हैं. वहीं जून माह में शुरू हुई बारिश से गंगा सहित तमाम नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. मॉनसून सक्रिय होने के कारण जून में ही तटीय इलाकों के लिए गंगा का जलस्तर बढ़ना खतरनाक संकेत दे रहा है. 24 घंटे में कई बैराजों से छोड़े गए पानी से नदियों में जलस्तर का दबाव बढ़ गया है. बुधवार शाम तक नरौरा समेत अन्य बैराजों से गंगा और रामगंगा नदी में 80 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इससे गंगा के तराई क्षेत्र के लोगों की समस्या बढ़ सकती है.
गंगा-रामगंगा में 80 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा
24 घंटों से पहाड़ों पर हो रही बारिश का सीधा असर यहां गंगा नदी के जलस्तर पर पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार, नरौरा से गंगा नदी में 20,129, हरिद्वार से 33,166, बिजनौर से 27,488 और कालागढ़ से 2,324 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जबकि रामगंगा नदी में खो बैराज से 250 और रामनगर से 1,168 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इससे गंगा नदी का जलस्तर बढ़कर 135.75 मीटर पर पहुंच गया है. यदि ऐसे ही नदी में पानी छोड़ने का सिलसिला जारी रहा तो आने वाले 24 घंटे में तराई इलाकों के लोगों की मुसीबत बढ़ सकती है. गंगा नदी का जलस्तर भी गेज पर पहुंच गया है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. उन्हें अभी से फसल बर्बाद होने का खतरा सताने लगा है.
350 लाख की लागत से कोलासोता गांव में बनेगा तटबंध
रामगंगा किनारे अमृतपुर क्षेत्र के गांव कोलासोता और अहलादपुर भटौली बसे हुए हैं. बरसात में कटान होने की आशंका से इन गांवों के लोग खौफजदा हैं. सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सुशील कुमार के अनुसार कोलासोता में तटबंध बनाने की परियोजना स्वीकृत हो गई है और टेंडर भी हो गए हैं. बरसात के बाद 350 लाख रुपये की लागत से कोलासोता गांव में तटबंध का काम शुरू करा दिया जाएगा. फिलहाल अहलादपुर भटौली की परियोजना स्वीकृत नहीं हुई है.