ETV Bharat / briefs

दुर्घटनाओं को दावत दे रही है राजधानी की यातायात व्यवस्था - traffic rules in up

राजधानी लखनऊ व आस-पास के जिलों में उपलब्ध होने वाली सार्वजनिक यातायात व्यवस्था पर नजर दौड़ाई जाए तो यह पूरी व्यवस्था ही दुर्घटनाओं को दावत देती हुई नजर आती है.

लखनऊ की यातायात व्यवस्था
author img

By

Published : Jun 21, 2019, 8:34 AM IST

लखनऊ: गुरुवार सुबह 6:00 बजे सूचना मिली कि लखनऊ-रायबरेली रोड पर नगराम क्षेत्र में एक ओवरलोडेड मैजिक गाड़ी इंदिरा नहर में गिर गई. गाड़ी में सवार 7 बच्चे भी इंदिरा नहर में गिर गए और पिछले 1 घंटे से बच्चों की तलाश की जा रही है. यह सूचना जिसने भी सुनी उसके मन में पहला सवाल यही आया होगा कि आखिर ऐसी सड़क दुर्घटनाएं कब तक होती रहेंगी? कब तक मासूमों की जान अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ेगी?

ईटीवी भारत ने यातायात व्यवस्था की पड़ताल.

यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में तमाम ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें लापरवाही के चलते लोगों की जानें गई हैं. भले ही घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद जिला प्रशासन पुलिस सहित तमाम तंत्र सक्रिय हो गया हो, लेकिन घटना के बाद की सक्रियता जिम्मेदार के ऊपर उठने वाले सवालों का जवाब नहीं दे सकती.

  • बच्चों के परिजनों का कहना है कि गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर नशे में था.
  • जहां गाड़ी मुड़ रही थी वहां पर टीप्वाइंट था. नशे की वजह ड्राइवर ब्रेक नहीं लगा सका और गाड़ी नहर में समा गई.
  • यह घटना उस समय हुई है जब सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यातायात नियम सिखाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.
  • अभियान के तहत लोगों को हेलमेट पहनने की सीख दी जा रही है और हेलमेट न पहनने वालों पर कार्रवाई की जा रही है.

यह है दुर्घटनाओं की वजह

  • राजधानी लखनऊ व आस-पास के जिलों में उपलब्ध होने वाली सार्वजनिक यातायात व्यवस्था पर नजर दौड़ाई तो यह पूरी व्यवस्था ही दुर्घटनाओं को दावत देती हुई नजर आती है.
  • राजधानी लखनऊ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तौर पर विक्रम टेंपो, ऑटो प्रमुख हैं.
  • शहर में बड़ी संख्या में अवैध ऑटो और टेंपो संचालित हैं.
  • ऑटो और टैंपू में मानकों के विपरीत सवारियों को ढोया जाता है.
  • तमाम ऐसे भी ड्राइवर हैं जो बिना नशे के गाड़ियां नहीं चलाते हैं.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब इस तरीके की व्यवस्था राजधानी लखनऊ में चल रही है तो फिर इसके बदलाव के लिए प्रयास क्यों नहीं किए जाते हैं? क्योंकि जिस तरीके से ओवरलोड होकर गाड़ियां राजधानी लखनऊ में चलाई जाती हैं ऐसे में दुर्घटनाएं होना स्वाभाविक है. इस व्यवस्था के बीच सवालों के घेरे में जिम्मेदार भी हैं जो घटनाओं के बाद कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार होते हैं. अगर वह पहले ही इस व्यवस्था को बदलने के लिए काम करें तो फिर नगराम जैसी घटनाओं को रोका जा सकता है.

लोगों ने लगाया आरोप
ईटीवी भारत ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बारे में जानकारी लेने के लिए यात्रियों से बातचीत की तो उनका गुस्सा फूट पड़ा. यात्रियों ने कहा कि व्यवस्था पूरी चरमराई हुई है. मजबूरी में हमें मानकों के विपरीत गाड़ियों में बैठना पड़ता है और हम कुछ नहीं कर पाते. जिम्मेदार आंखें बंद किए बैठे हुए हैं. वहीं गाड़ियों के यूनियन वाले मनमानी करते हैं अधिक लोगों को बिठाने से सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है.

टेंपो चालकों का कहना है कि जब चौराहे पर खड़ी हुई पुलिस हर चक्कर के लिए हमसे पैसे लेगी तो हम क्या कर सकते हैं. आरटीओ की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है कि कहां से कहां तक का कितना किराया लेना है. किराया कम है चौराहों पर खड़े पुलिस वालों को पैसे देने हैं तो ऐसे में अतिरिक्त सवारियों को बिठाना ही विकल्प रह जाता है.

लखनऊ: गुरुवार सुबह 6:00 बजे सूचना मिली कि लखनऊ-रायबरेली रोड पर नगराम क्षेत्र में एक ओवरलोडेड मैजिक गाड़ी इंदिरा नहर में गिर गई. गाड़ी में सवार 7 बच्चे भी इंदिरा नहर में गिर गए और पिछले 1 घंटे से बच्चों की तलाश की जा रही है. यह सूचना जिसने भी सुनी उसके मन में पहला सवाल यही आया होगा कि आखिर ऐसी सड़क दुर्घटनाएं कब तक होती रहेंगी? कब तक मासूमों की जान अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ेगी?

ईटीवी भारत ने यातायात व्यवस्था की पड़ताल.

यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में तमाम ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें लापरवाही के चलते लोगों की जानें गई हैं. भले ही घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद जिला प्रशासन पुलिस सहित तमाम तंत्र सक्रिय हो गया हो, लेकिन घटना के बाद की सक्रियता जिम्मेदार के ऊपर उठने वाले सवालों का जवाब नहीं दे सकती.

  • बच्चों के परिजनों का कहना है कि गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर नशे में था.
  • जहां गाड़ी मुड़ रही थी वहां पर टीप्वाइंट था. नशे की वजह ड्राइवर ब्रेक नहीं लगा सका और गाड़ी नहर में समा गई.
  • यह घटना उस समय हुई है जब सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यातायात नियम सिखाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.
  • अभियान के तहत लोगों को हेलमेट पहनने की सीख दी जा रही है और हेलमेट न पहनने वालों पर कार्रवाई की जा रही है.

यह है दुर्घटनाओं की वजह

  • राजधानी लखनऊ व आस-पास के जिलों में उपलब्ध होने वाली सार्वजनिक यातायात व्यवस्था पर नजर दौड़ाई तो यह पूरी व्यवस्था ही दुर्घटनाओं को दावत देती हुई नजर आती है.
  • राजधानी लखनऊ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तौर पर विक्रम टेंपो, ऑटो प्रमुख हैं.
  • शहर में बड़ी संख्या में अवैध ऑटो और टेंपो संचालित हैं.
  • ऑटो और टैंपू में मानकों के विपरीत सवारियों को ढोया जाता है.
  • तमाम ऐसे भी ड्राइवर हैं जो बिना नशे के गाड़ियां नहीं चलाते हैं.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब इस तरीके की व्यवस्था राजधानी लखनऊ में चल रही है तो फिर इसके बदलाव के लिए प्रयास क्यों नहीं किए जाते हैं? क्योंकि जिस तरीके से ओवरलोड होकर गाड़ियां राजधानी लखनऊ में चलाई जाती हैं ऐसे में दुर्घटनाएं होना स्वाभाविक है. इस व्यवस्था के बीच सवालों के घेरे में जिम्मेदार भी हैं जो घटनाओं के बाद कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार होते हैं. अगर वह पहले ही इस व्यवस्था को बदलने के लिए काम करें तो फिर नगराम जैसी घटनाओं को रोका जा सकता है.

लोगों ने लगाया आरोप
ईटीवी भारत ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बारे में जानकारी लेने के लिए यात्रियों से बातचीत की तो उनका गुस्सा फूट पड़ा. यात्रियों ने कहा कि व्यवस्था पूरी चरमराई हुई है. मजबूरी में हमें मानकों के विपरीत गाड़ियों में बैठना पड़ता है और हम कुछ नहीं कर पाते. जिम्मेदार आंखें बंद किए बैठे हुए हैं. वहीं गाड़ियों के यूनियन वाले मनमानी करते हैं अधिक लोगों को बिठाने से सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है.

टेंपो चालकों का कहना है कि जब चौराहे पर खड़ी हुई पुलिस हर चक्कर के लिए हमसे पैसे लेगी तो हम क्या कर सकते हैं. आरटीओ की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है कि कहां से कहां तक का कितना किराया लेना है. किराया कम है चौराहों पर खड़े पुलिस वालों को पैसे देने हैं तो ऐसे में अतिरिक्त सवारियों को बिठाना ही विकल्प रह जाता है.

Intro:एंकर


लखनऊ। दिन गुरुवार सुबह के 6:00 बज रहे थे सूचना मिली कि राजधानी लखनऊ रायबरेली रोड पर नगराम क्षेत्र में एक ओवरलोडेड मैजिक गाड़ी इंदिरा नहर में गिर गई। गाड़ी में सवार 7 बच्चे गाड़ी के साथ इंदिरा नहर में गिर गए और पिछले 1 घंटे से बच्चों की तलाश की जा रही है। यह सूचना जिसने भी सुनी उसके मन में पहला सवाल यही आया होगा कि आखिर ऐसी सड़क दुर्घटनाएं कब तक होती रहेगी? कब तक मासूमों की जान अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ेगी? यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी राजधानी लखनऊ सहित आसपास के जिले या यूं कहें पूरे उत्तर प्रदेश में तमाम ऐसी घटनाएं सामने आई है जिसमें लापरवाही के चलते लोगों की जानें गई हैं। भले ही घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद जिला प्रशासन पुलिस सहित तमाम तंत्र सक्रिय हो गया हो लेकिन घटना की बाद सक्रियता जिम्मेदार के ऊपर उठने वाले सवालों का जवाब नहीं दे सकती।


बच्चों के परिजनों का कहना है कि गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर नशे में था जहां गाड़ी मुड़ रही थी वहां पर टीप्वाइंट था नशे की वजह ड्राइव ब्रेक नहीं लगा सका और गाड़ी नहर में समा गई।





Body:वीवो

यह घटना उस समय हुई है जब सीएम योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद राजधानी लखनऊ में बड़े पैमाने पर यातायात नियम सिखाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है अभियान के तहत लोगों को हेलमेट पहनने की सीख दी जा रही है और हेलमेट न पहनने वालों पर कार्यवाही करते हुए उनका चालान काटा जा रहा है।
एक तरफ जहां पुलिस प्रशासन जिम्मेदार इस अभियान को चला कर वाहवाही लूट रहे हैं वहीं दूसरी ओर नगराम मैं ड्रिंक एंड ड्राइव की घटना 7 बच्चों की जान ले रही है

इस सब के बीच जो ध्यान देने वाली बात है वह या है की यह कोई चोकने वाला मामला नहीं है कि गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर दारू के नशे में था। राजधानी लखनऊ व आस-पास के जिलों में उपलब्ध होने वाली सार्वजनिक यातायात व्यवस्था पर नजर दौड़ाई तो यह पूरी व्यवस्था ही दुर्घटनाओं को दावत देती हुई नजर आती है। राजधानी लखनऊ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तौर पर विक्रम टेंपो ऑटो प्रमुख है जहां शहर में बड़ी संख्या में अवैध ऑटो टेंपो संचालित हैं तो वहीं ऑटो और टैंपू में मानकों के विपरीत सवारियों को ढोया जाता है। सीटर विक्रम टेंपो में 11 सवारियां भरकर ढोया जाती है। तमाम ऐसे भी ड्राइवर है जो बिना नशे के गाड़ियां नहीं चलाते हैं ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब इस तरीके की व्यवस्था राजधानी लखनऊ में चल रही है तो फिर इसके बदलाव के लिए प्रयास क्यों नहीं किए जाते हैं? क्योंकि जिस तरीके से ओवरलोड होकर गाड़ियां राजधानी लखनऊ में चलाई जाती हैं ऐसे में दुर्घटनाएं होना स्वाभाविक है। इस व्यवस्था के बीच सवालों के घेरे में जिम्मेदार भी हैं जो घटनाओं के बाद कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार होते हैं अगर वह पहले ही इस व्यवस्था को बदलने के लिए काम कर ले तो फिर नगराम जैसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

लोगों ने लगाया आरोप

ईटीवी भारत ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बारे में जानकारी लेने के लिए यात्रियों से बातचीत की तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। यात्रियों ने कहा कि व्यवस्था पूरी चरमराई हुई है मजबूरी में हमें मानकों के विपरीत गाड़ियों में बैठना पड़ता है और हम कुछ नहीं कर पाते जिम्मेदार आंखें बंद किए बैठे हुए हैं और वही गाड़ियों के यूनियन वाले मनमानी करते हैं अधिक लोगों को बिठाने से सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है।


Conclusion:अवस्था के तह तक जाने के लिए हमने टेंपो चालकों से भी बातचीत की तो उनका अपना पक्ष है उनका कहना है कि जब चौराहे पर खड़ी हुई पुलिस हर चक्कर के लिए हम से पैसे लेगी तो हम क्या कर सकते हैं आरटीओ की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है कि कहां से कहां तक का कितना किराया लेना है किराया कम है चौराहों पर खड़े पुलिस वालों को पैसे देने हैं तो ऐसे में अतिरिक्त सवारियों को बिठाना ही विकल्प रह जाता है। चार्जर लो पहले। ऐसे में एक बार फिर कॉलेज विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर सवाल उठता है और यह तब है जब डीजीपी ओपी सिंह एडीजी लॉ एंड ऑर्डर पीवी रामास्वामी पुलिस विभाग में फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बड़े-बड़े बयान दे चुके हैं।

संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
90 2639 25 26
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.