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विश्व के सबसे बड़े चुनाव को संपन्न कराने में लगे युवा अधिकारियों ने साझा किए अनुभव - लखनऊ

देश में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कई सालों के अनुभवी और नए सभी अधिकारी रात-दिन लगे हुए हैं. ऐसे अभी कुछ दिन पहले प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए अधिकारियों के चुनाव को लेकर क्या अनुभव है. आइए जानते हैं.

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Published : Apr 24, 2019, 12:57 PM IST

लखनऊ: भारतीय सूचना सेवा के दो युवा अधिकारी विकास और मृगांक इस समय प्रशिक्षण के लिए निर्वाचन आयोग आए हैं. विद्यार्थी जीवन के बाद पहली बार सरकारी तंत्र को इतना करीब से देख रहे हैं. इसे देख कर वह काफी उत्साहित हैं. खास बात यह है कि मृगांक पाठक की सिविल सेवा परीक्षा में इस बार 103 रैंक आई है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने इन युवा अधिकारियों से बातचीत की. बातचीत के दौरान इन युवा अधिकारियों के अपना अनुभव साझा किये.

युवा अधिकारियों ने साझा किए अनुभव


युवा अधिकारियों के निर्वाचन आयोग में काम करने के अनुभव

  • विकास नारायण ने बताया कि पहले जिस चुनाव में एक मतदाता के तौर शामिल होते थे. आज उसके हिस्सा हैं. मतदान के दौरान किस प्रकार से अधिकारी चीजों को संभाल रहे हैं. यह देखने को मिल रहा है.
  • सोशल मीडिया है. मीडिया है. आदर्श चुनाव आचार संहिता है. मतदान के दौरान वार रूम की कार्य प्रणाली. ईवीएम और वीवीपैट की खराबी पर किस प्रकार से इसे संभालना होता है. ऐसे ही तमाम चीजों को देखने को मिल रहा है.
  • विकास का कहना था कि नौकरी में आने के बाद पता चल रहा है कि इसे संचालित करने के लिए कितना बड़ा तंत्र काम करता है. कैसे काम करता है. अपने संदेश में विकास नारायण ने कहा कि इस समय मतदान हो रहा है और सभी लोग मतदान करें.
  • वहीं दूसरे युवा अधिकारी मृगांक पाठक ने कहा कि आयोग में मेरा काफी अच्छा अनुभव रहा है. अभी तक चुनाव प्रक्रिया को बाहर से देख रहा था और अब अंदर से देख रहा हूं.
  • मतदान के बारे में जो हमारी जानकारी थी वह अभी तक ऊपरी थी. किताबों में जो पढ़ा था उसी के आधार पर जानता था. अब हम प्रत्यक्ष सारी चीजों को देख रहे हैं. इसका अनुभव दूसरा होता है.
  • विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जो चुनाव आयोजित हो रहा है उसे इतना करीब से देखना मेरे लिए एकदम नया और बेहद ही रोमांचक है.
  • कैडर की पसंद के बारे में पूछे जाने पर मृगांक ने कहा कि नौकरी में आए हैं तो पसंद और नापसंद की बात ही नहीं है. अगर हम पसंद ना पसंद रखेंगे तो हम इतने अच्छे ढंग से काम नहीं कर पाएंगे.

लखनऊ: भारतीय सूचना सेवा के दो युवा अधिकारी विकास और मृगांक इस समय प्रशिक्षण के लिए निर्वाचन आयोग आए हैं. विद्यार्थी जीवन के बाद पहली बार सरकारी तंत्र को इतना करीब से देख रहे हैं. इसे देख कर वह काफी उत्साहित हैं. खास बात यह है कि मृगांक पाठक की सिविल सेवा परीक्षा में इस बार 103 रैंक आई है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने इन युवा अधिकारियों से बातचीत की. बातचीत के दौरान इन युवा अधिकारियों के अपना अनुभव साझा किये.

युवा अधिकारियों ने साझा किए अनुभव


युवा अधिकारियों के निर्वाचन आयोग में काम करने के अनुभव

  • विकास नारायण ने बताया कि पहले जिस चुनाव में एक मतदाता के तौर शामिल होते थे. आज उसके हिस्सा हैं. मतदान के दौरान किस प्रकार से अधिकारी चीजों को संभाल रहे हैं. यह देखने को मिल रहा है.
  • सोशल मीडिया है. मीडिया है. आदर्श चुनाव आचार संहिता है. मतदान के दौरान वार रूम की कार्य प्रणाली. ईवीएम और वीवीपैट की खराबी पर किस प्रकार से इसे संभालना होता है. ऐसे ही तमाम चीजों को देखने को मिल रहा है.
  • विकास का कहना था कि नौकरी में आने के बाद पता चल रहा है कि इसे संचालित करने के लिए कितना बड़ा तंत्र काम करता है. कैसे काम करता है. अपने संदेश में विकास नारायण ने कहा कि इस समय मतदान हो रहा है और सभी लोग मतदान करें.
  • वहीं दूसरे युवा अधिकारी मृगांक पाठक ने कहा कि आयोग में मेरा काफी अच्छा अनुभव रहा है. अभी तक चुनाव प्रक्रिया को बाहर से देख रहा था और अब अंदर से देख रहा हूं.
  • मतदान के बारे में जो हमारी जानकारी थी वह अभी तक ऊपरी थी. किताबों में जो पढ़ा था उसी के आधार पर जानता था. अब हम प्रत्यक्ष सारी चीजों को देख रहे हैं. इसका अनुभव दूसरा होता है.
  • विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जो चुनाव आयोजित हो रहा है उसे इतना करीब से देखना मेरे लिए एकदम नया और बेहद ही रोमांचक है.
  • कैडर की पसंद के बारे में पूछे जाने पर मृगांक ने कहा कि नौकरी में आए हैं तो पसंद और नापसंद की बात ही नहीं है. अगर हम पसंद ना पसंद रखेंगे तो हम इतने अच्छे ढंग से काम नहीं कर पाएंगे.
Intro:लखनऊ। भारतीय सूचना सेवा के दो युवा अधिकारी विकास और मृगांक इस समय प्रशिक्षण के लिए निर्वाचन आयोग आए हैं।विद्यार्थी जीवन के बाद पहली बार सरकारी तंत्र को इतना करीब से देख रहे हैं। इसे देख कर काफी उत्साहित हैं। खास बात यह है कि मृगांक पाठक की सिविल सेवा परीक्षा में इस बार 103 रैंक आई है। ईटीवी भारत के संवाददाता ने इन युवा अधिकारियों से बातचीत की। बातचीत के दौरान इन युवा अधिकारियों के अपना अनुभव साझा किये।


Body:1-विकास नारायण ने बताया कि वह एक महीने के लिए यहां आए हुए हैं आठ मई तक लखनऊ में वह निर्वाचन आयोग में सुबह से शाम तक रहकर आयोग की कार्यप्रणाली को देख रहे हैं। पहले जिस चुनाव में एक मतदाता के तौर शामिल होते थे। आज उसके हिस्सा हैं। मतदान के दौरान किस प्रकार से अधिकारी चीजों को संभाल रहे हैं। यह देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया है। मीडिया है। आदर्श चुनाव आचार संहिता है। मतदान के दौरान वार रूम की कार्य प्रणाली। ईवीएम और वीवीपैट की खराबी पर किस प्रकार से इसे संभालना होता है। ऐसे ही तमाम चीजों को देखने को मिल रहा है। नौकरी में आने के बाद पता चल रहा है कि इसे संचालित करने के लिए कितना बड़ा तंत्र काम करता है। कैसे काम करता है। युवाओं के लिए अपने संदेश में विकास नारायण ने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी है कि इस समय मतदान हो रहा है और वे सभी लोग आगे बढ़ चढ़कर मतदान करें।

2- मृगांक पाठक ने कहा कि आयोग में मेरा काफी अच्छा अनुभव रहा है। जैसा कि मेरे बैचमेट ने कहा कि अभी तक चुनाव प्रक्रिया को बाहर से देख रहा था और अब अंदर से देख रहा हूं। मतदान के बारे में जो हमारी जानकारी थी वह अभी तक ऊपरी थी। किताबों में जो पढ़ा था उसी के आधार पर जानता था। अब हम प्रत्यक्ष सारी चीजों को देख रहे हैं। इसका अनुभव दूसरा होता है। जब से हम यहां आए हैं, तब से हम देख रहे हैं कि किस किस प्रकार से शिकायत आ रही है। समस्याएं आ रही हैं। उन्हें कैसे संभाला जा रहा है। काफी सुनियोजित तरीके से यहां मतदान कराया जा रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जो चुनाव आयोजित हो रहा है उसे इतना करीब से देखना मेरे लिए एकदम नया और बेहद ही रोमांचक है। कैडर की पसंद के बारे में पूछे जाने पर मृगांक ने कहा कि नौकरी में आए हैं तो पसंद और नापसंद की बात ही नहीं है। अगर हम पसंद ना पसंद रखेंगे तो हम इतने अच्छे ढंग से काम नहीं कर पाएंगे। सरकार जहां भी हमारा अपॉइंटमेंट करेगी, जिस कैडर में करेगी वही हमारे लिए ज्यादा बेहतर होगा। हम उसी में काम करेंगे। आईपीएस और आईएएस की नौकरी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वैसे तो मुझे पुलिस सेवा की नौकरी ज्यादा पसंद है लेकिन जो भी मिलेगा हम उसे अच्छे से करेंगे। वहीं अपनी सेवाएं दूंगा।



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