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भूख और बेरोजगारी लोगों को बना रही किन्नर - trasegenders-are-increasing due to unemployment

जब आदमी के पास रोजगार न हो और नौबत भूखों मरने की आ जाए, तब वह कुछ भी करने के लिये तैयार हो जाता है. इसकी बानगी चित्रकूट से सामने आई है, जहां भुखमरी और बेरोजगारी के चलते कुछ लोग किन्नर बन चुके हैं.

भुखमरी और बेरोजगारी के चलते लोग किन्नर बन रहे हैं.
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Published : Apr 13, 2019, 10:48 PM IST

चित्रकूट : जब आदमी के पास रोजगार नहीं हो और नौबत भूखों मरने की आ जाए तब वह कुछ भी करने के लिये तैयार हो जाता है. आज हम आपको जिस सच्चाई से रूबरू करवाने जा रहे हैं वो बेहद ही चौंकाने वाली है. हैरान कर देने वाली यह हकीकत चित्रकूट से सामने आई है.

भुखमरी और बेरोजगारी के चलते लोग किन्नर बन रहे हैं.

किन्नर उषा ने बताया कि भुखमरी और बेरोजगारी के चलते वह किन्नर बन गई है. कुछ काम न होने की वजह से उसने इस रास्ते को अपना लिया है. बता दें कि दो वक्त की रोटी और परिवार को पालने की जरुरत ने उषा को आज यहां तक पहुंचा दिया है. उषा पहले किन्नर नहीं थी, लेकिन अब वह किन्नर उषा हो चुकी है. उषा का कहना है कि बेरोजगारी और मजबूरी की वजह से उसने यह रास्ता चुना...दरअसल आम लोग भी डॉक्टर के पास जाकर अपना लिंग परिवर्तन करा लेते हैं. इसके लिये वह बाकायदा मोटी रकम भी चुकाते हैं. उषा, मनचली, गोमती, पलक जैसे दर्जनों ऐसे उदाहरण हैं. ये मध्य प्रदेश के ग्वालियर और बिहार में जाकर 30-35 हजार रुपयों में ऑपरेशन करवाकर किन्नर बन चुके हैं.

उषा ने बताया कि मेरे जैसे कई और किन्नर है, जो मोटी रकम देकर बिहार और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से ऑपरेशन कराकर किन्नर के धंधे में उतर गए हैं. उसने कहा कि ऐसी महंगाई और बेरोजगारी में अपने बच्चे को पालना था, यही काम आसान था तो मैंने किन्नर बनने का निर्णय ले लिया.
यह तस्वीर हैरान करने के साथ-साथ परेशान भी करती है. दो वक्त की रोटी के लिये लोग किन्नर बन रहे हैं. तस्वीरें हालात बयां कर रही हैं जो कि काफी गंभीर है.

चित्रकूट : जब आदमी के पास रोजगार नहीं हो और नौबत भूखों मरने की आ जाए तब वह कुछ भी करने के लिये तैयार हो जाता है. आज हम आपको जिस सच्चाई से रूबरू करवाने जा रहे हैं वो बेहद ही चौंकाने वाली है. हैरान कर देने वाली यह हकीकत चित्रकूट से सामने आई है.

भुखमरी और बेरोजगारी के चलते लोग किन्नर बन रहे हैं.

किन्नर उषा ने बताया कि भुखमरी और बेरोजगारी के चलते वह किन्नर बन गई है. कुछ काम न होने की वजह से उसने इस रास्ते को अपना लिया है. बता दें कि दो वक्त की रोटी और परिवार को पालने की जरुरत ने उषा को आज यहां तक पहुंचा दिया है. उषा पहले किन्नर नहीं थी, लेकिन अब वह किन्नर उषा हो चुकी है. उषा का कहना है कि बेरोजगारी और मजबूरी की वजह से उसने यह रास्ता चुना...दरअसल आम लोग भी डॉक्टर के पास जाकर अपना लिंग परिवर्तन करा लेते हैं. इसके लिये वह बाकायदा मोटी रकम भी चुकाते हैं. उषा, मनचली, गोमती, पलक जैसे दर्जनों ऐसे उदाहरण हैं. ये मध्य प्रदेश के ग्वालियर और बिहार में जाकर 30-35 हजार रुपयों में ऑपरेशन करवाकर किन्नर बन चुके हैं.

उषा ने बताया कि मेरे जैसे कई और किन्नर है, जो मोटी रकम देकर बिहार और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से ऑपरेशन कराकर किन्नर के धंधे में उतर गए हैं. उसने कहा कि ऐसी महंगाई और बेरोजगारी में अपने बच्चे को पालना था, यही काम आसान था तो मैंने किन्नर बनने का निर्णय ले लिया.
यह तस्वीर हैरान करने के साथ-साथ परेशान भी करती है. दो वक्त की रोटी के लिये लोग किन्नर बन रहे हैं. तस्वीरें हालात बयां कर रही हैं जो कि काफी गंभीर है.

Intro:एंकर- अक्सर ट्रेनों में सफर करते समय ट्रेनों के डिब्बो में किंन्नरो को ताली बजा कर यात्रियों से पैसा लेते देखा जाता है और आज के परिवेश में इन किंन्नरो की संख्या में खाशी बढ़ोतरी होती जा रही है आखिर ये किन्नर आते कहाँ से है इनकी संख्या में दिनों दिन बढ़ोत्तरी का कारण क्या है क्या हमारा समाज मे कुछ विकार है या कोई वैज्ञानिक कारण समाज से विरक्त ये किन्नर आखिर अपना जीवन कैसे बिताते हैं किया है किन्नर समाज की मान्यताये
या पिछले सरकारों से उपेछित या बेरोजगारी उनको बना रही है किन्नर । भुखमरी और बेरोजगारीया से तंन्ग हमारे ही समाज के कुछ लोग दो वक्त की रोटी और बच्चों को पालने के लिए अपना रहे हैं किन्नर बनना देखिए ये रपट


Body:वी-ओ-चित्रकूट के मानिकपुर रेल्वे जक्शन में दिनों दिन किंन्नरो की संख्या में हुआ इजाफा समाज को सोचने को मजबूर कर रहा है कि कभी इक्का दुक्का दिखने वाले ये किन्नर आज रेल्वे स्टेशन के इर्दगिर्द गिर्द दर्जनो की संख्या में दिखाई पड़ने लगे है जब इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ने की तो ऐसे चौकाने वाले तथ्य सामने आये की हमारे सरकारों को सोचने को मजबूर कर देंगे कि इक्कसवीं सदी में भुखमरी और बेरोजगारी से बचने के लिये लोग किन्नर बनने से भी परहेज नही कर रहे हैं ।अपना परिवार का भरणपोषण करने- बच्चो को पालने के लिए पुरुष आज डॉक्टरों के पास जा एक मोटी रकम दे कर अपना लिग को ऑपरेशन के जरिये हटा बन जाते है किन्नर उषा ,मनचली,गोमती,पलक जैसे दर्जनो उदाहरण है जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर और बिहार में जा कर 30 से 35 हजार रुपयों में ऑपरेशन करा कर बन जाते है किन्नर और फिर जाते है ट्रेनों में या शहरों में लोग इन्हें किन्नर समझ कर इनका लेते है आशिर्वाद और बदले में लोग देते है पैसे
समाज से विरग किन्नर समाज की भी अपनी समस्याएं है पलक किन्नर ने बताया कि हमे वोट डालने का अधिकार तो मिल गया है लोकसभा चुनाव में हमलोग भी मतदान कर सहभागी बनना चाहते है पर हमारा वोटर आईडी और आधार कार्ड न होने से हम लोग मतदान से वंचित रह जाते है सरकार ने लोगो को आवास दिया शौचालय दिया पर हम लोगो का परिवार ने होने के वजह से सभी सुविधाओं से वंचित है । लोग हमें हेय दृष्टि से देखते है कोई भी मकान हमे किराये से नही देना चाहता डबल किराया दे कर रहने को मजबूर है
वहीं किन्नर उषा ने बताया मैने किन्नर बनने के बाद अपना नाम बदल लिया है भुखमरी और बेरोजगारी के चलते मै किन्नर बन गई हूं मेरे जैसे कई और किन्नर है जो मोटी रकम दे कर बिहार और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से ऑपरेशन करा कर किन्नर के धंधे में उतार गए हैं आखिर हमे ऐसी महगाई और बेरोजगारी में अपने बच्चे भी तो पालना था यही आसान था तो मैंने किन्नर बनने का निर्णय ले लिया


Conclusion:1बाइट-पलक( किन्नर )
2बाइट--उषा (किन्नर )
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