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यूपी में जलकर मरने वालों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी

सरकारी आकड़ों के अनुसार जलकर मरने वाले लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है. जिसमें से ज्यादातर संख्या महिलाओं की बताई जा रही है. अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार हर महीने औसतन 20 से 25 मरीज भर्ती होते हैं. जिसमें आधी से अधिक संख्या महिलाओं की होती है.

डॉ. आशुतोष दुबे
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Published : May 20, 2019, 8:44 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में जलकर मरने वालों की संख्या में सरकारी आकड़ों के अनुसार बढ़ोत्तरी हुई है. सिविल अस्पताल में 2018 में जलकर मरने वालों की संख्या 279 थी. जिसमें 193 महिलाएं और 86 पुरुष शामिल थे. वहीं बलरामपुर अस्पताल की बात की जाए तो 12 बेडों की बर्न यूनिट में वर्ष 2018 में कुल 20 मौतें हुई जिनमें 13 मरीज महिलाएं थी.

जानकारी देते डॉ. आशुतोष दुबे.


डॉ. आशुतोष दुबे ने बताया-

  • आग के आस-पास ज्यादा काम करने के कारण जलने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है.
  • डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल में जले हुए मरीजों के लिए सुविधाएं उपलब्ध.
  • आंकड़ों के अनुसार हर महीने औसतन 20 से 25 मरीज रोजाना आते हैं.
  • जलने वालों में ज्यादातर महिलाएं शामिल.
  • खाना बनाते समय आग की चपेट में आती हैं ज्यादातर महिलाएं.

लखनऊ: प्रदेश में जलकर मरने वालों की संख्या में सरकारी आकड़ों के अनुसार बढ़ोत्तरी हुई है. सिविल अस्पताल में 2018 में जलकर मरने वालों की संख्या 279 थी. जिसमें 193 महिलाएं और 86 पुरुष शामिल थे. वहीं बलरामपुर अस्पताल की बात की जाए तो 12 बेडों की बर्न यूनिट में वर्ष 2018 में कुल 20 मौतें हुई जिनमें 13 मरीज महिलाएं थी.

जानकारी देते डॉ. आशुतोष दुबे.


डॉ. आशुतोष दुबे ने बताया-

  • आग के आस-पास ज्यादा काम करने के कारण जलने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है.
  • डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल में जले हुए मरीजों के लिए सुविधाएं उपलब्ध.
  • आंकड़ों के अनुसार हर महीने औसतन 20 से 25 मरीज रोजाना आते हैं.
  • जलने वालों में ज्यादातर महिलाएं शामिल.
  • खाना बनाते समय आग की चपेट में आती हैं ज्यादातर महिलाएं.
Intro:लखनऊ। आबादी में उनका हिस्सा भले ही आधा हो लेकिन आग से होने वाले हादसों से जूझने के मामले में उनकी तादाद ज्यादा है। यहां बात उन महिलाओं की हो रही है जो किसी तरह से जलकर अस्पतालों की बर्न यूनिट पहुंच जाती हैं हालांकि अस्पताल प्रशासन का मानना है कि यह घर में काम और आग के पास ज्यादा रहने की वजह से होता है, लेकिन समाज में अगर देखे तो कई ऐसे कारण अभी भी छुपे हुए हैं जिनकी वजह से जलकर मरने वालों की संख्या में महिलाएं अधिक हैं।


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राजधानी में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल ही दो ऐसी जगह है जहां जले हुए मरीजों के लिए सुविधाएं उपलब्ध है शहर भर के जले हुए मरीज इन अस्पतालों की बहन यूनिट प्लास्टिक सर्जरी विभाग में भर्ती होते हैं यहां तक की दूसरे जिलों से भी रेफर होकर इन अस्पतालों में ही मरीज लाए जाते हैं अस्पतालों के आंकड़ों की बात करें तो इन आंकड़ों में हर महीने औसतन 20 से 25 मरीज भर्ती होते हैं और इनमें आधी से अधिक संख्या महिलाओं की होती है डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट आशुतोष दुबे का कहना है यूनिट में हमारे पास 50 बेड है। इन बड़ों में से अधिकतर बेड महिला मरीजों के हिस्से में आते हैं जल कराने वालों की संख्या में 80 फ़ीसदी महिलाएं ही होती है इन महिलाओं से जलने का कारण पूछने पर ज्यादातर महिलाएं खाना बनाते वक्त जलने उबलते दूध के कारण या फिर दीपक से कपड़ा लग जाने के कारण चलने की बात स्वीकारती है। आशुतोष कहते हैं कि उत्पीड़न या किसी अन्य तरह से जल के आने पर महिलाएं तो बात नहीं कर पाती लेकिन उनके मायके वालों की तरफ से जरूर इस बात को कहा जाता है कि कुछ अन्य कारणों से वह जली है।

आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2018 में सिविल अस्पताल में जलकर मरने वालों की संख्या 279 थी इस संख्या में 193 महिलाएं और 86 पुरुष शामिल थे वहीं बलरामपुर अस्पताल की बात की जाए तो 12 बेडों की बर्न यूनिट में वर्ष 2018 में कुल 20 मौतें हुई जिनमें 13 मरीज महिलाएं थी




Conclusion:कारण चाहे जो भी रहे हो लेकिन आधी आबादी कही जाने वाली इन महिलाओं की सूरते हाल बयां करते हैं कि इनकी स्थिति अभी भी बेहतर नहीं है और यह दिन-ब-दिन और खराब होती चली जा रही है।

बाइट- डॉ आशुतोष दुबे, सिविल अस्पताल

रामांशी मिश्रा
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