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बलरामपुर : नहीं है सार्वजनिक शौचालय की सुविधाएं, कैसे स्वस्थ रहेंगे लोग - सार्वजनिक शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार तो खूब किया गया, लेकिन उसके तहत आने वाली व्यवस्थाओं पर काम जमीनी स्तर पर अभी भी नहीं होता दिखाई दे रहा है. बलरामपुर जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगरीय क्षेत्रों में 3 दर्जन से अधिक शौचालयों का निर्माण करवाया गया है, लेकिन फिर भी यहां लोगों को सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल ढूंढ़ने पर भी दिखाई नहीं पड़ते हैं.

बलरामपुर शौचालयों में समय से साफ सफाई की व्यवस्था नगण्य
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Published : Jun 30, 2019, 2:25 PM IST

लरामपुर : जिले में कुछ चुनिंदा जगहों को छोड़ दिया जाए तो यहां लोगों को शौचालय और यूरिनल तलाशने पर भी नहीं मिलते हैं. जिससे लोग खुले में ही जाने को मजबूर हैं.ऐसा नहीं कि जिम्मेदार हकीकत से वाकिफ नहीं हैं लेकिन हालात सुधारने का प्रयास नहीं किया. उतरौला, बलरामपुर, पचपेड़वा तुलसीपुर नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत परिषद क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनवाए गए हैं. एक शौचालय की कीमत तकरीबन 6 लाख रुपये बताई जा रही है.

स्वच्छता अभियान में रोड़ा बनी शौचालयों की कमी

शौचालयों में समय से साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं

  • जिले के शौचालयों में समय से साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है.
  • साफ सफाई के लिए कर्मचारी तो नियुक्त किए गए हैं, लेकिन शौचालयों पर अक्सर ताले लटकते नजर आते हैं.
  • शौचालयों में गंदगी की भरमार नजर आती है.
  • नगरीय क्षेत्र में 4 लाख लोगों को सार्वजनिक शौचालयों से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है.

शौचालय की कमी, स्वच्छता पर लगा रही है दाग

  • जिला मुख्यालय के बलरामपुर नगर पालिका परिषद के अंतर्गत कुल 60 सीटों के साथ 8 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है.
  • उतरौला नगर पालिका परिषद क्षेत्र में भी 8 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है.
  • पचपेड़वा नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर एक पिंक टॉयलेट के साथ साथ 12 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है,
  • तुलसीपुर नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर कुल 8 टॉयलेट हैं.

क्या कहते हैं नागरिक-

स्थानीय निवासी मनीष सिंह कहते हैं कि जिले के नगरीय क्षेत्रों में सौ मीटर तक शौचालयों की व्यवस्था तक नहीं हैं और जहां बनाए भी गए हैं वहां पर शौचालय अधिकतर समय बंद ही दिखाई देते हैं. ऐसे में लोगों को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

वहीं इस बारे में बात करते हुए अभिषेक कहते हैं कि नगरीय क्षेत्रों में शौचालय न होने के कारण लोगों में पेशाब और किडनी से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं. लोगों को पथरी जैसी समस्या सामान्य हो गई है. उन्हें घंटों तक पेशाब रोक कर रखना पड़ता है. इस तरह की परेशानियों को लेकर लोग रोज अस्पताल पहुंच रहे हैं. ऐसे में बलरामपुर के जिला प्रशासन को चाहिए कि वह बड़ी संख्या में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाएं.


"ज्यादा देर तक पेशाब रोक कर रखने के कारण लोगों में पथरी जैसी समस्या पैदा हो रही है. इसके साथ ही लोगों की पेशाब की नली में भी प्रॉब्लम आ रहे हैं. यदि ज्यादा देर तक कोई पेशाब रोक कर रखता है तो उसे समस्या होना निश्चित है."

-डॉ जयप्रकाश श्रीवास्तव, जिला मेमोरियल अस्पताल

"कुछ शौचालयों के खुलने का समय 4-4 घंटे में बांटा गया है. वहीं कुछ शौचालय 24 घंटे खुले रहते हैं. उनसे शौचालयों में गंदगी का मामला आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है. हम जांच करवा कर देख लेते हैं. अगर इस मामले में कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."

-राकेश कुमार जायसवाल , ईओ, नगर पालिका परिषद

लरामपुर : जिले में कुछ चुनिंदा जगहों को छोड़ दिया जाए तो यहां लोगों को शौचालय और यूरिनल तलाशने पर भी नहीं मिलते हैं. जिससे लोग खुले में ही जाने को मजबूर हैं.ऐसा नहीं कि जिम्मेदार हकीकत से वाकिफ नहीं हैं लेकिन हालात सुधारने का प्रयास नहीं किया. उतरौला, बलरामपुर, पचपेड़वा तुलसीपुर नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत परिषद क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनवाए गए हैं. एक शौचालय की कीमत तकरीबन 6 लाख रुपये बताई जा रही है.

स्वच्छता अभियान में रोड़ा बनी शौचालयों की कमी

शौचालयों में समय से साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं

  • जिले के शौचालयों में समय से साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है.
  • साफ सफाई के लिए कर्मचारी तो नियुक्त किए गए हैं, लेकिन शौचालयों पर अक्सर ताले लटकते नजर आते हैं.
  • शौचालयों में गंदगी की भरमार नजर आती है.
  • नगरीय क्षेत्र में 4 लाख लोगों को सार्वजनिक शौचालयों से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है.

शौचालय की कमी, स्वच्छता पर लगा रही है दाग

  • जिला मुख्यालय के बलरामपुर नगर पालिका परिषद के अंतर्गत कुल 60 सीटों के साथ 8 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है.
  • उतरौला नगर पालिका परिषद क्षेत्र में भी 8 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है.
  • पचपेड़वा नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर एक पिंक टॉयलेट के साथ साथ 12 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है,
  • तुलसीपुर नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर कुल 8 टॉयलेट हैं.

क्या कहते हैं नागरिक-

स्थानीय निवासी मनीष सिंह कहते हैं कि जिले के नगरीय क्षेत्रों में सौ मीटर तक शौचालयों की व्यवस्था तक नहीं हैं और जहां बनाए भी गए हैं वहां पर शौचालय अधिकतर समय बंद ही दिखाई देते हैं. ऐसे में लोगों को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

वहीं इस बारे में बात करते हुए अभिषेक कहते हैं कि नगरीय क्षेत्रों में शौचालय न होने के कारण लोगों में पेशाब और किडनी से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं. लोगों को पथरी जैसी समस्या सामान्य हो गई है. उन्हें घंटों तक पेशाब रोक कर रखना पड़ता है. इस तरह की परेशानियों को लेकर लोग रोज अस्पताल पहुंच रहे हैं. ऐसे में बलरामपुर के जिला प्रशासन को चाहिए कि वह बड़ी संख्या में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाएं.


"ज्यादा देर तक पेशाब रोक कर रखने के कारण लोगों में पथरी जैसी समस्या पैदा हो रही है. इसके साथ ही लोगों की पेशाब की नली में भी प्रॉब्लम आ रहे हैं. यदि ज्यादा देर तक कोई पेशाब रोक कर रखता है तो उसे समस्या होना निश्चित है."

-डॉ जयप्रकाश श्रीवास्तव, जिला मेमोरियल अस्पताल

"कुछ शौचालयों के खुलने का समय 4-4 घंटे में बांटा गया है. वहीं कुछ शौचालय 24 घंटे खुले रहते हैं. उनसे शौचालयों में गंदगी का मामला आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है. हम जांच करवा कर देख लेते हैं. अगर इस मामले में कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."

-राकेश कुमार जायसवाल , ईओ, नगर पालिका परिषद

Intro:स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार तो खूब किया गया लेकिन उसके तहत आने वाली व्यवस्थाओं पर काम जमीनी स्तर पर अभी भी नहीं होता दिखाई दे रहा है। बलरामपुर जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगरीय क्षेत्रों मे 3 दर्जन से अधिक शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। उतरौला, बलरामपुर, पचपेड़वा तुलसीपुर नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत परिषद क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनवाए गए हैं। एक शौचालय की कीमत तकरीबन 6 लाख रुपए बताई जा रही है।
यह सभी शौचालय निष्प्रयोज और हाथी दांत साबित हो रहे हैं। शौचालयों में ना तो समय से साफ सफाई की व्यवस्था है और ना ही यहां पर लोगों के लिए बेहतर पानी इत्यादि की साफ सफाई के लिए कर्मचारी तो नियुक्त किए गए हैं। लेकिन यहां पर अक्सर ताले लटकते नजर आते हैं और गंदगी की भरमार नजर आती है। ऐसे में जिले के नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले तकरीबन 4 लाख लोगों को सार्वजनिक शौचालयों से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। लोगों को घंटे तक शॉर्ट या पेशाब को रोक कर रखना पड़ता है या खुले में जाने के लिए बाध्यता होती है।


Body:जिला मुख्यालय के बलरामपुर नगर पालिका परिषद के अंतर्गत कुल 60 सीटों के साथ 8 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। वहीं, अगर उतरौला नगर पालिका परिषद क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर कुल 8 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 35 सीटें हैं। वहीं, अगर पचपेड़वा नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर एक पिंक टॉयलेट के साथ साथ 12 शौचालयों का निर्माण करवाया गया है, जिनमें 69 सीटें हैं।
वहीं, अगर तुलसीपुर नगर पंचायत परिषद की बात की जाए तो यहां पर कुल 8 टॉयलेट है, जिनमें 44 सीटें हैं।
मनीष सिंह ईटीवी से कहते हैं कि जिले के नगरीय क्षेत्रों में कई-कई कई सौ मीटर तक शौचालयों की व्यवस्था नहीं है। जहां बनाए भी गए हैं वहां पर लोगों को शौचालय अधिकतर समय बंद ही दिखाई देते हैं। ऐसे में लोगों को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इस बारे में बात करते हुए अभिषेक कहते हैं कि नगरीय क्षेत्रों में शौचालय ना होने के कारण लोगों मैं पेशाब और किडनी से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही है। लोगों को पथरी जैसी प्रॉब्लम्स सामान्य हो गई है। क्योंकि उन्हें घंटों तक पेशाब रोक कर रखना पड़ता है। इस तरह की परेशानियों को लेकर लोग रोज अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऐसे में बलरामपुर के जिला प्रशासन को चाहिए कि वह बड़ी संख्या में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाएं।
वहीं डॉ जयप्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं कि ज्यादा देर तक पेशाब रोग के रखने के कारण लोगों में पथरी जैसी समस्या पैदा हो रही है। इसके साथ ही लोगों की पेशाब की नली में भी प्रॉब्लम आ रहे हैं। यदि ज्यादा देर तक कोई पेशाब रोक कर रखता है तो उसे समस्या होना निश्चित है।


Conclusion:इस मामले पर बात करते हुए नगर पालिका परिषद बलरामपुर के योर बताते हैं कि कुछ शौचालयों के खुलने का समय 4-4 घंटे में बांटा गया है। वहीं कुछ शौचालय 24 घंटे खुले रहते हैं।
उनसे शौचालयों में गंदगी और उनके समय पर ना खुलने पर बात कही तो उन्होंने कहा कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। हम जांच करवा कर देख लेते हैं। अगर इस मामले में कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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