कन्नौज: राजाओं की नगरी कन्नौज की पुरातात्विक संपदा को सहेजने, संवारने और पर्यटकों के दीदार के लिए बेहतरीन अंदाज में पेश करने के लिए वर्ष 14 में तैयार किए गए छह करोड़ 15 लाख रुपये की लागतसे बना कन्नौज का नवनिर्मित यह राजकीय पुरातत्व संग्रहालयअपने बेतरतीब और बेहाल अंदाज से निकल कर नए अन्दाज में आ चुका है लेकिनइसका दीदार करने में अभी समय लगेगा.
रामायण और महाभारत काल से लेकरप्राचीन काल में भी कन्नौज का जिक्र इतिहास के पन्नों में मिलता है. आदिकाल में कान्यकुब्ज से लेकर आज का यह कन्नौज जिला अपने आप में तमाम गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए है.प्राचीन काल के इतिहास को जागरूक करने और ऐतिहासिक धरोहर को जिंदा रखने के लिए कन्नौज के राजकीय पुरातत्व संग्रहालय को आधुनिकीकरण के साथ बनाया गया हैऔर अब इंतजार है तो इसके दीदार का क्योंकि इसकी उद्घाटन में अभी भी लगभग तीन महीने का समय और लग सकता है.
यहां की ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए कन्नौज के सरायमीरा और मकरंद नगर के बीच जीटी रोड के किनारे राजकीय पुरातत्व संग्रहालय का निर्माण शुरूकराया गया था.
पूर्व कीसपा सरकार केमुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दखल के बाद इसके लिए प्रथम किश्त में तीन करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित कर शासनादेश जारी कियागया था. डीएमकन्नौज की अध्यक्षता में गठित कमेटी में शामिल पर्यटन, संस्कृति, आवास विभाग, भारतीय पुरातत्व सर्वे व राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा नामित प्रतिनिधियों ने ब्लू प्रिंट तैयार कराया था.
इसके बाद मुख्य सचिव ने नवनिर्मित राजकीय पुरातत्व संग्रहालय कन्नौज का आधुनिकीकरण एवं उच्चीकरण करने के लिए शासन ने उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन को कार्यदायी संस्था बनाया था.यूपीपीसीएल ने छह करोड़ 85 लाख 17 हजार रुपये का स्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा था.
मूल्यांकन करने के बाद परीक्षण प्रायोजना रचना एवं मूल्यांकन विभाग ने लागत घटाकर छह करोड़ 15 लाख रुपये निर्धारित किया गया.वित्तीय वर्ष 15-16 में संस्कृति अनुभाग की ओर से उक्त लागत को प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति गवर्नर ने दे दी. यह जानकारी देते हुए विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन रामविशाल मिश्रा ने इस आशय का पत्र निदेशक उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय को भेजा था.
नवनिर्मित यह राजकीय पुरातत्व संग्रहालयनिर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद अभी तक यह म्यूजियम ना तो किसी को हैंड ओवर किया गया है और ना ही इसका उद्घाटन ही हो पा रहा है.म्यूजियम के निर्माण कार्य को हुए करीब 3 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अफसरों की सुस्ती के कारण ना तो कार्यदाई संस्था ने म्यूजियम अभी तक विभाग को हैंड ओवर किया हैऔर ना हीइसे पब्लिक के लिएखोला जा सका है.
संग्रहालय के उच्चीकरण और आधुनिकीकरण कार्य को पूर्ण कराने के लिए प्रथम चरण में तीन करोड़ रुपये का बजट मिला जिससेम्यूजियम में लेजर शो, बाल माउंटेन डिस्प्ले क्योक्स एवं शो केस, साउंड सिस्टम डेकोरेटिव स्टेज परफ्यूम गैलरी, फाउंटेन हर्षवर्धन एवं ह्वेनसांग का स्टैच्यू स्थापित किया गया. मेन गेट के सामने सम्राट हर्षवर्धन की विशायकाल प्रतिमा लगी है ताकि म्यूजियम में एंट्री करते ही आगंतुक प्रतिमा का दीदार कर सकें.साइड में चीनी यात्री ह्वेनसांग की मूर्ति स्थापित है.कानपुर-अलीगढ़ नेशनल हाईवे 91 किनारे स्थित इस संग्रहालय के भूतल पर पुरावशेषों का प्रदर्शन होगा.
म्यूजियम मेंखासियत है की इसमें आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया गया है.म्यूजियम में कन्नौज के छठवीं सदी के दानवीर चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन से लेकर कन्नौज के अंतिम हिंदू सम्राट जयचंद्र के दरबारों को भव्य रूप से दर्शाया गया है.मुगलों से हिंदू राजाओं के युद्ध और राजा हर्षवर्धन की दान वीरता को भी मूर्त रूप दिया गया है.वर्तमान समय में कन्नौज को इत्र के लिए भी जाना जाता है जो कि छठवीं शताब्दी से पहले कन्नौज में बनता आ रहा है.ईत्र बनाने की विधि को भी इस म्यूजियम में बेहतर ढंग से दर्शाया गया है.निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद संग्रहालय को जनता के लिए अभी तक नहीं खोला जा सका है.जिसकी वजह से जनता इसके दीदार को तरस रही है, कि आखिर कब वह समय आएगा और जनता कन्नौज के इतिहास को पुरातन पुरातत्व संग्रहालय मैं देख सकेगी.
संवाददाता पंकज श्रीवास्तव ने संग्रहालय अध्यक्ष दीपक कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि म्यूजियम को हैंड ओवर किए जाने की प्रक्रिया चल रही है जो कि जल्दी पूरी हो जाएगी.आचार संहिता लग जाने और चुनाव के कारण अभी तीन महीने तक इसके उद्घाटन में समय लग जाएगा जिसके बाद यह पब्लिक के लिए खोल दिया जाएगा.