बाराबंकी : जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है बाराबंकी के अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की भी नब्ज बढ़नी शुरू हो गई. जिले में एक साथ अगर आग लगने की दो घटनाएं हो जाएं तो विभाग उन पर कैसे काबू पाएगा, यही सोच कर अधिकारी हलकान हैं. दरअसल, संसाधनों के अभाव में बाराबंकी का अग्निशमन विभाग खुद मदद का मोहताज है. मैन पावर और संसाधनों को लेकर अधिकारियों ने कई बार शासन को पत्र लिखा, लेकिन आज तक इस विभाग पर सरकार मेहरबान नहीं हुई.
अग्निशमन विभाग का भवन भले ही खूबसूरत दिख रहा हो, लेकिन मैन पावर और संसाधनों के अभाव में इसकी खूबसूरती बेमानी साबित हो रही है. विभाग पिछले कई वर्षों से संसाधनों और स्टाफ के अभाव से जूझ रहा है. 6 तहसीलों वाला बाराबंकी जिला 4402 वर्ग किमी तक फैला है. हर वर्ष गर्मियों में अग्निकांड से फसलों और दूसरे सामानों का भारी नुकसान होता है.
गर्मियां शुरू होते ही विभाग के लोग तैयारियां शुरू करते हैं, लेकिन जितने संसाधन हैं बस उसी से काम चल रहा है. अब ऐसे में अगर एक साथ दो जगह आग लगने की घटना हो जाए तो फिर भगवान ही मालिक. जिला मुख्यालय से काफी दूरी होने के चलते तहसीलों में फायर स्टेशन बनाने की कवायदें कई बार हुई, लेकिन हुआ कुछ नहीं.
साल 2002 में हैदरगढ़ में अग्निशमन विभाग का भवन बनवाया गया. उस वक्त लोगों को लगा कि अब उनके इलाके में होने वाली अग्निकांड की घटनाओं को वक्त पर काबू कर लिया जाएगा, लेकिन 17 वर्ष बाद आज तक स्टाफों की तैनाती नहीं हुई. कुछ ऐसा ही हाल रामसनेहीघाट और सिरौलीगौसपुर तहसीलों का है, यहां भी भवन तो हैं, लेकिन संसाधन नहीं. वहीं जिले के रामनगर और फतेहपुर तहसीलों में साल 2016-17 में अग्निशमन केंद्र बनाने को मंजूरी मिली. दोनों जगह जमीन अधिग्रहित कर ली गई, लेकिन आज तक भवन निर्माण के लिए बजट स्वीकृत नहीं हो सका है.