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जानिए क्यों अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की बढ़ रही बेचैनी - barabanki news

संसाधनों के अभाव में बाराबंकी का अग्निशमन विभाग खुद मदद का मोहताज है. मैन पावर और संसाधनों को लेकर अधिकारियों ने कई बार शासन को पत्र लिखा, लेकिन आज तक इस विभाग पर सरकार मेहरबान नहीं हुई.

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Published : Mar 15, 2019, 10:33 AM IST

बाराबंकी : जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है बाराबंकी के अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की भी नब्ज बढ़नी शुरू हो गई. जिले में एक साथ अगर आग लगने की दो घटनाएं हो जाएं तो विभाग उन पर कैसे काबू पाएगा, यही सोच कर अधिकारी हलकान हैं. दरअसल, संसाधनों के अभाव में बाराबंकी का अग्निशमन विभाग खुद मदद का मोहताज है. मैन पावर और संसाधनों को लेकर अधिकारियों ने कई बार शासन को पत्र लिखा, लेकिन आज तक इस विभाग पर सरकार मेहरबान नहीं हुई.

सरकार नहीं दे रही ध्यान

अग्निशमन विभाग का भवन भले ही खूबसूरत दिख रहा हो, लेकिन मैन पावर और संसाधनों के अभाव में इसकी खूबसूरती बेमानी साबित हो रही है. विभाग पिछले कई वर्षों से संसाधनों और स्टाफ के अभाव से जूझ रहा है. 6 तहसीलों वाला बाराबंकी जिला 4402 वर्ग किमी तक फैला है. हर वर्ष गर्मियों में अग्निकांड से फसलों और दूसरे सामानों का भारी नुकसान होता है.

गर्मियां शुरू होते ही विभाग के लोग तैयारियां शुरू करते हैं, लेकिन जितने संसाधन हैं बस उसी से काम चल रहा है. अब ऐसे में अगर एक साथ दो जगह आग लगने की घटना हो जाए तो फिर भगवान ही मालिक. जिला मुख्यालय से काफी दूरी होने के चलते तहसीलों में फायर स्टेशन बनाने की कवायदें कई बार हुई, लेकिन हुआ कुछ नहीं.

साल 2002 में हैदरगढ़ में अग्निशमन विभाग का भवन बनवाया गया. उस वक्त लोगों को लगा कि अब उनके इलाके में होने वाली अग्निकांड की घटनाओं को वक्त पर काबू कर लिया जाएगा, लेकिन 17 वर्ष बाद आज तक स्टाफों की तैनाती नहीं हुई. कुछ ऐसा ही हाल रामसनेहीघाट और सिरौलीगौसपुर तहसीलों का है, यहां भी भवन तो हैं, लेकिन संसाधन नहीं. वहीं जिले के रामनगर और फतेहपुर तहसीलों में साल 2016-17 में अग्निशमन केंद्र बनाने को मंजूरी मिली. दोनों जगह जमीन अधिग्रहित कर ली गई, लेकिन आज तक भवन निर्माण के लिए बजट स्वीकृत नहीं हो सका है.

बाराबंकी : जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है बाराबंकी के अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की भी नब्ज बढ़नी शुरू हो गई. जिले में एक साथ अगर आग लगने की दो घटनाएं हो जाएं तो विभाग उन पर कैसे काबू पाएगा, यही सोच कर अधिकारी हलकान हैं. दरअसल, संसाधनों के अभाव में बाराबंकी का अग्निशमन विभाग खुद मदद का मोहताज है. मैन पावर और संसाधनों को लेकर अधिकारियों ने कई बार शासन को पत्र लिखा, लेकिन आज तक इस विभाग पर सरकार मेहरबान नहीं हुई.

सरकार नहीं दे रही ध्यान

अग्निशमन विभाग का भवन भले ही खूबसूरत दिख रहा हो, लेकिन मैन पावर और संसाधनों के अभाव में इसकी खूबसूरती बेमानी साबित हो रही है. विभाग पिछले कई वर्षों से संसाधनों और स्टाफ के अभाव से जूझ रहा है. 6 तहसीलों वाला बाराबंकी जिला 4402 वर्ग किमी तक फैला है. हर वर्ष गर्मियों में अग्निकांड से फसलों और दूसरे सामानों का भारी नुकसान होता है.

गर्मियां शुरू होते ही विभाग के लोग तैयारियां शुरू करते हैं, लेकिन जितने संसाधन हैं बस उसी से काम चल रहा है. अब ऐसे में अगर एक साथ दो जगह आग लगने की घटना हो जाए तो फिर भगवान ही मालिक. जिला मुख्यालय से काफी दूरी होने के चलते तहसीलों में फायर स्टेशन बनाने की कवायदें कई बार हुई, लेकिन हुआ कुछ नहीं.

साल 2002 में हैदरगढ़ में अग्निशमन विभाग का भवन बनवाया गया. उस वक्त लोगों को लगा कि अब उनके इलाके में होने वाली अग्निकांड की घटनाओं को वक्त पर काबू कर लिया जाएगा, लेकिन 17 वर्ष बाद आज तक स्टाफों की तैनाती नहीं हुई. कुछ ऐसा ही हाल रामसनेहीघाट और सिरौलीगौसपुर तहसीलों का है, यहां भी भवन तो हैं, लेकिन संसाधन नहीं. वहीं जिले के रामनगर और फतेहपुर तहसीलों में साल 2016-17 में अग्निशमन केंद्र बनाने को मंजूरी मिली. दोनों जगह जमीन अधिग्रहित कर ली गई, लेकिन आज तक भवन निर्माण के लिए बजट स्वीकृत नहीं हो सका है.

Intro:ऐंकर- जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है बाराबंकी के अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की भी नब्ज बढ़नी शुरू हो गई । जिले में एक साथ अगर आग लगने की 2 घटनाएं हो जाएं तो विभाग उन पर कैसे काबू पाएगा यही सोच कर अधिकारी हलकान हैं । दरअसल संसाधनों के अभाव में बाराबंकी का अग्निशमन विभाग खुद मदद का मोहताज है । मैन पावर और संसाधनों को लेकर अधिकारियों ने कई बार शासन तक लिखा पढ़ी की लेकिन न जाने क्यों आज तक इस विभाग पर सरकारें मेहरबान नहीं होती । पेश है बाराबंकी से है अलीम शेख की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.....


Body:वीओ - यह है बाराबंकी का अग्निशमन विभाग ।भवन भले ही खूबसूरत दिख रहा हो लेकिन मैन पावर और संसाधनों के अभाव में इसकी खूबसूरती बेमानी साबित हो रही है । विभाग पिछले कई वर्षों से संसाधनों और स्टाफ के अभाव से जूझ रहा है। छह तहसीलों वाला बाराबंकी जिला 4402 वर्ग किमी तक फैला है । हर वर्ष गर्मियों में अग्निकांड से फसलों और दूसरे सामानों का भारी नुकसान होता है । गर्मियां शुरू होते ही विभाग के लोग तैयारियां शुरू करते हैं लेकिन जितने संसाधन हैं बस उसी से काम चल रहा है । अब ऐसे में अगर एक साथ दो जगह आग लगने की घटना हो जाए तो फिर भगवान ही मालिक। जिला मुख्यालय से काफी दूरी होने के चलते तहसीलों में फायर स्टेशन बनाने की कवायदें कई बार हुई लेकिन हुआ कुछ नही । साल 2002 में हैदर गढ़ में अग्निशमन विभाग का भवन बनवाया गया उस वक्त लोगों को लगा कि अब उनके इलाके में होने वाली अग्निकांड की घटनाओं को वक्त पर काबू कर लिया जाएगा लेकिन 17 वर्ष बाद आज तक न तो स्टाफ तैनात किया गया और ना ही गाड़ी । बस उधारी के सहारे काम चल रहा है । कुछ ऐसा ही हाल रामसनेहीघाट और सिरौलीगौसपुर तहसीलो का है यहां भी भवन तो हैं लेकिन संसाधन नही । रामनगर और फतेहपुर तहसीलो का हाल ही मत पूछिये । साल 2016 में रामनगर तहसील में अग्निशमन केंद्र बनाने को मंजूरी मिली 2017 में फतेहपुर तहसील में मंजूरी मिली दोनों जगह जमीन अधिग्रहित कर ली गई लेकिन आज तक भवन निर्माण के लिए बजट स्वीकृत नहीं हो सका।
स्टाफ और संसाधन की बात करें तो आंकड़ा कुछ यूं है

आवश्यकता | वर्तमान स्थिति
=====================|=================
फायर स्टेशन 6 6
FSO 6 1
दरोगा 6 1
चालक 11 6
फायरमैन 85 31
गाडियां 12 4( 2 बड़ी 2 छोटी)

ऐसा भी नही है कि विभागीय अधिकारियों ने कोई लिखापढ़ी न की हो । कई वर्षों से बराबर मांग की जा रही है । अब तो अधिकारी थक गए हैं ।

बाईट- आरके तिवारी, चीफ फायर ऑफिसर




Conclusion:रिपोर्ट- अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
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