झांसी : उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तमाम कोशिशों के बाद भी बुंदेलखंड का विकास धरातल पर विस्तार रूप न ले सका. कई सरकारें आईं और चलीं गईं, लेकिन बुंदेलखंड जस का तस रहा. 2014 में बनी बीजेपी सरकार भी बुनियादी सुविधाओं को दिलाने में नाकामयाब रही. इस बार बुंदेलखंड का विकास न होना बीजेपी पर कई मायनों में भारी पड़ सकता है. ईटीवी भारत की टीम ने उत्तर प्रदेश के झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र का दौरा करके सियासी फिजा जानने की कोशिश की है.
बुंदेलखंड के लोगों की मुख्य समस्याएं:
- पानी-बिजली की किल्लत बुंदेलखंड की सबसे बड़ी समस्या है.
- पानी और बिजली की समस्या के चलते यहां के लोग पलायन को मजबूर हैं.
- कई बार केंद्र और राज्य सरकार ने स्थानीय निवासियों की समस्या दूर करने की बात कही, लेकिन हालात नहीं सुधरे
- केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बुंदेलखंड के विकास के लिए वीणा उठाया, लेकिन वो भी कुछ नहीं कर सकीं
2014 में 'दीदी' के नाम से मशहूर उमा भारती की अपनी लोकप्रियता मानी जाती थी, लेकिन जब ईटीवी की टीम ने यूपी एमपी बॉर्डर के गिरार गांव का दौरा किया तो पाया कि जमीन पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती का काम दिखाई देने के बावजूद लोगों में उनको लेकर नाराजगी है. इस गांव में बिजली के इंतजाम से लेकर पानी की किल्लत आज भी लोगों को परेशान कर रही है.स्थानीय निवासी