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कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को सरकार देगी सहारा - अनाथ बच्चों के लिए योजाना

फर्रुखाबाद में कोरोना काल में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों को सरकार सहारा देगी. सरकार ने इसके लिए एक योजना बनाई है, जिसके तहत ऐसे बच्चों को सरकार 4 हजार रुपये महीना देगी.

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Published : Jun 12, 2021, 4:28 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले में महामारी में माता-पिता को खो चुके बच्चों के लिए राहत भरी खबर आई है. ऐसे बच्चों की पहचान करने के निर्देश दिए गए हैं. कलक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार शाम जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की समीक्षा की. उन्होंने जिले में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों का शीघ्र आवेदन भरवाकर सत्यापन कराने के साथ योजना का लाभ दिलाने के निर्देश दिए हैं. जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान योजना के संबंध में विचार-विमर्श किया गया. इसी दौरान महामारी में माता-पिता को खो चुके बच्चों की पहचान करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

यह भी पढ़ें: सट्टा माफिया व जुआरिओं का वीडियो वायरल, एसपी ने की कार्रवाई की बात

जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह को समीक्षा बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी भारत प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत कोरोना में अनाथ हुए 18 वर्ष तक के 54 बच्चे चिह्नित किए गए हैं. जिन बच्चों के माता-पिता दोनों की मृत्यु कोरोना महामारी के दौरान हो गई हो या जिनके माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हुई और दूसरे की मौत संक्रमण से हो गई हो उनको योजना का लाभ मिलेगा.

जिन बच्चों ने आय अर्जित करने वाले अभिभावकों को खो दिया है या जिनके माता-पिता सहित परिवार की अधिकतम आय दो लाख रुपये वार्षिक है, उनको इस योजना का लाभ दिया जाएगा. योजना के तहत 0 से 10 वर्ष तक के बच्चों को 4000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे. बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त स्कूल में पंजीकरण होना चाहिए. वहीं, बालिकाओं की शादी के लिए एक लाख एक हजार रुपये मिलेंगे. जिलाधिकारी ने कहा कि प्रधानों को योजना के 25-25 फॉर्म उपलब्ध कराए जाएं. इसके साथ ही बाल श्रम व बाल विवाह रोकने के लिए कार्रवाई तेज की जाए.

फर्रुखाबाद: जिले में महामारी में माता-पिता को खो चुके बच्चों के लिए राहत भरी खबर आई है. ऐसे बच्चों की पहचान करने के निर्देश दिए गए हैं. कलक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार शाम जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की समीक्षा की. उन्होंने जिले में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों का शीघ्र आवेदन भरवाकर सत्यापन कराने के साथ योजना का लाभ दिलाने के निर्देश दिए हैं. जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान योजना के संबंध में विचार-विमर्श किया गया. इसी दौरान महामारी में माता-पिता को खो चुके बच्चों की पहचान करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

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जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह को समीक्षा बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी भारत प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत कोरोना में अनाथ हुए 18 वर्ष तक के 54 बच्चे चिह्नित किए गए हैं. जिन बच्चों के माता-पिता दोनों की मृत्यु कोरोना महामारी के दौरान हो गई हो या जिनके माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हुई और दूसरे की मौत संक्रमण से हो गई हो उनको योजना का लाभ मिलेगा.

जिन बच्चों ने आय अर्जित करने वाले अभिभावकों को खो दिया है या जिनके माता-पिता सहित परिवार की अधिकतम आय दो लाख रुपये वार्षिक है, उनको इस योजना का लाभ दिया जाएगा. योजना के तहत 0 से 10 वर्ष तक के बच्चों को 4000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे. बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त स्कूल में पंजीकरण होना चाहिए. वहीं, बालिकाओं की शादी के लिए एक लाख एक हजार रुपये मिलेंगे. जिलाधिकारी ने कहा कि प्रधानों को योजना के 25-25 फॉर्म उपलब्ध कराए जाएं. इसके साथ ही बाल श्रम व बाल विवाह रोकने के लिए कार्रवाई तेज की जाए.

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