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कन्नौज: परी को लखनऊ भेज जाने पर पिता ने जताया ऐतराज

कन्नौज जिला अस्पताल में परी को जन्म देने के बाद उसकी मां की मौत हो गयी थी. इसके बाद परी के पिता ने अस्पताल पर बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए परी को अपनाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद परी को बेहतर देखभाल के लिए सीएमएस ने लखनऊ बाल गृह भेज दिया. अब परी के पिता ने इस पर आपत्ति जतायी है.

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Published : Nov 9, 2020, 4:42 PM IST

परी को लखनऊ भेजने पर ऐतराज
परी को लखनऊ भेजने पर ऐतराज

कन्नौज: जिला अस्पताल में जन्म लेने वाली परी की मां की मौत के बाद पिता ने अपनाने से इनकार कर दिया था. करीब 57 दिन एसएनसीयू वार्ड में रहने के बाद बीते 6 नवम्बर को परी को संक्रमण से बचाने के लिए लखनऊ के बाल गृह भेज दिया गया था, लेकिन परी के लखनऊ जाने के बाद पिता आकाश ने एसएनसीयू वार्ड में फोन कर एतराज जताया है. उन्होंने कहा कि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद फैसला होने पर ही परी को लखनऊ भेजा जाता. तब तक उसको यहीं रखा जाना चाहिए था. वहीं सीएमएस का कहना है कि बच्ची के बेहतर स्वास्थ्य के लिए लखनऊ भेजा गया है. वार्ड में उसको संक्रमण का खतरा था.

क्या है मामला
दरअसल सदर कोतवाली के वंशरामऊ गांव निवासी आरती की शादी औरैया जनपद के बेला कस्बा निवासी आकाश के साथ हुई थी. प्रसव के लिए वह अपने मायके आ गई थी. बीते 11 सितम्बर को प्रसव पीड़ा होने पर आरती को परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. बच्ची के जन्म लेने के कुछ देर बाद ही महिला की मौत हो गई थी, जिसके बाद पति आकाश और आशा बहू ने अस्पताल में बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया था. उसके बाद पिता ने बच्ची को लेने से इनकार कर दिया. पिता का आरोप था कि उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है, लेकिन अस्पताल बच्ची दे रहा है. पिता बच्ची को अस्पताल में ही छोड़कर चला गया था. उसके बाद से बच्ची जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती थी.

संक्रमण से बचाने के लिए लखनऊ भेजी गई परी
पिता आकाश ने बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए बच्ची को अपनाने से इनकार कर दिया था. इसके करीब 57 दिन बाद जीवन रक्षक विशेष एंबुलेंस से बीते छह नवम्बर को परी को लखनऊ के बालगृह भेज दिया गया.

पिता ने जताई आपत्ति
परी को लखनऊ भेजने के बाद पिता आकाश ने जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में फोन कर बच्ची को लखनऊ भेजने पर एतराज जताया है. उन्होंने फोन पर कहा कि बच्ची का डीएनए सैंपल जांच के लिए गया है. जब तक रिपोर्ट नहीं आती है तब तक परी को अस्पताल में ही रखना चाहिए था.

एसएनसीयू वार्ड में नवजात बच्चे भर्ती किए जाते हैं, जिनसे परी को सेप्सिस का संक्रमण होने का खतरा था. उसके बेहतर स्वास्थ्य के लिए लखनऊ बालगृह भेजा गया है. उन्होंने कहा कि बच्ची का पिता जन्म के बाद ही अस्पताल में छोड़कर चला गया था, जिसके बाद से वह एक बार भी परी को देखने नहीं आया था. परी के जाने के बाद फोन कर एतराज जता रहा है.

डॉ. शक्ति बसु, सीएमएस, जिला अस्पताल

कन्नौज: जिला अस्पताल में जन्म लेने वाली परी की मां की मौत के बाद पिता ने अपनाने से इनकार कर दिया था. करीब 57 दिन एसएनसीयू वार्ड में रहने के बाद बीते 6 नवम्बर को परी को संक्रमण से बचाने के लिए लखनऊ के बाल गृह भेज दिया गया था, लेकिन परी के लखनऊ जाने के बाद पिता आकाश ने एसएनसीयू वार्ड में फोन कर एतराज जताया है. उन्होंने कहा कि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद फैसला होने पर ही परी को लखनऊ भेजा जाता. तब तक उसको यहीं रखा जाना चाहिए था. वहीं सीएमएस का कहना है कि बच्ची के बेहतर स्वास्थ्य के लिए लखनऊ भेजा गया है. वार्ड में उसको संक्रमण का खतरा था.

क्या है मामला
दरअसल सदर कोतवाली के वंशरामऊ गांव निवासी आरती की शादी औरैया जनपद के बेला कस्बा निवासी आकाश के साथ हुई थी. प्रसव के लिए वह अपने मायके आ गई थी. बीते 11 सितम्बर को प्रसव पीड़ा होने पर आरती को परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. बच्ची के जन्म लेने के कुछ देर बाद ही महिला की मौत हो गई थी, जिसके बाद पति आकाश और आशा बहू ने अस्पताल में बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया था. उसके बाद पिता ने बच्ची को लेने से इनकार कर दिया. पिता का आरोप था कि उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है, लेकिन अस्पताल बच्ची दे रहा है. पिता बच्ची को अस्पताल में ही छोड़कर चला गया था. उसके बाद से बच्ची जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती थी.

संक्रमण से बचाने के लिए लखनऊ भेजी गई परी
पिता आकाश ने बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए बच्ची को अपनाने से इनकार कर दिया था. इसके करीब 57 दिन बाद जीवन रक्षक विशेष एंबुलेंस से बीते छह नवम्बर को परी को लखनऊ के बालगृह भेज दिया गया.

पिता ने जताई आपत्ति
परी को लखनऊ भेजने के बाद पिता आकाश ने जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में फोन कर बच्ची को लखनऊ भेजने पर एतराज जताया है. उन्होंने फोन पर कहा कि बच्ची का डीएनए सैंपल जांच के लिए गया है. जब तक रिपोर्ट नहीं आती है तब तक परी को अस्पताल में ही रखना चाहिए था.

एसएनसीयू वार्ड में नवजात बच्चे भर्ती किए जाते हैं, जिनसे परी को सेप्सिस का संक्रमण होने का खतरा था. उसके बेहतर स्वास्थ्य के लिए लखनऊ बालगृह भेजा गया है. उन्होंने कहा कि बच्ची का पिता जन्म के बाद ही अस्पताल में छोड़कर चला गया था, जिसके बाद से वह एक बार भी परी को देखने नहीं आया था. परी के जाने के बाद फोन कर एतराज जता रहा है.

डॉ. शक्ति बसु, सीएमएस, जिला अस्पताल

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