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यूपी का ऐसा मंदिर जहां माता सीता ने कराया था लव-कुश का मुंडन, 4 देवियों के होते हैं दर्शन, नवरात्रि पर लगती है भीड़ - Navratri 2024

आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. पूजा-पाठ के लिए देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटने लगी है. कानपुर के रामायणकालीन तपेश्वरी मंदिर में भी सुबह से ही भक्त पूजा-पाठ के लिए पहुंचने लगे हैं. बताया जाता है इस मंदिर में माता सीता खुद पूजा-पाठ के लिए आती थीं.

मंदिर में माता सीता चार स्वरूपों में मौजूद हैं.
मंदिर में माता सीता चार स्वरूपों में मौजूद हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 3, 2024, 6:29 AM IST

कानपुर : शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो चुकी है. सभी देवी मंदिर पूरी तरह से सज चुके हैं. सुबह से ही मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. हर तरफ माता रानी के जयकारों की गूंज है. कानपुर के हजारों वर्ष पुराने देवी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को 4 देवियों के दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है. इस मंदिर को तपेश्वरी मंदिर के नाम से जाना जाता है. माता रानी यहां आने वाले निसंतान महिलाओं की गोद भरती हैं. यह वह स्थान है जहां माता सीता ने लव कुश का मुंडन कराया था.

रामायण काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास : ईटीवी भारत से खास बातचीत में मंदिर के पुजारी शिवमंगल ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है. मां सीता ने आकर यहां पर तप किया था. इसके अलावा इसी तपेश्वरी मंदिर में ही लवकुश का मुंडन और कानछेदन का शुभ कार्य भी किया गया था. मां सीता बिठूर से आकर इसी मंदिर में तप करती थीं. नवरात्रि में ही नहीं बल्कि हर रोज यहां पर हजारों की संख्या में भक्ति दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर को लेकर एक विशेष मान्यता यह है कि जिन भी दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, वह अगर तपेश्वरी मंदिर में आकर विराजमान चारों देवियों के दर पर अपना शीश झुका दें, सच्चे मन से उनकी पूजा-अर्चना कर लें तो उन्हें माता रानी की कृपा से संतान की प्राप्ति हो जाती है.

रामायणकालीन है कानपुर का तपेश्वरी देवी मंदिर. (Video Credit; ETV Bharat)

इस मंदिर में विराजमान है एक साथ चार देवियां : मंदिर के पुजारी ने बताया कि मां सीता कानपुर के बिठूर में ठहरी थीं. तपेश्वरी मंदिर में जाकर भगवान राम को पाने के लिए तप किया करती थी. कहां जाता है, कि मां सीता के साथ तीन अन्य महिलाएं कमला, विमला और सरस्वती भी उनके साथ यहां पर तप करती थीं. इस वजह से इस मंदिर को नाम तपेश्वरी मंदिर पड़ा. मंदिर में जो चार देवियां विराजमान हैं, वह कमला, विमला, सरस्वती और मां सीता हैं. मगर आज तक इस बात की जानकारी किसी को नहीं हो सकी और सिर्फ एक रहस्य मात्र बनकर ही रह गया कि आखिर इन चारों देवियों की मूर्तियों में से मां सीता की मूर्ति कौन सी है?

नवरात्रि के पहले दिन लाखों की संख्या में पहुंचे भक्त : नवरात्रि के पहले दिन ही तपेश्वरी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लग गया. महिला भक्त आरती तिवारी ने बताया कि वह पूरे नवरात्र माता तपेश्वरी के दर्शन करने के लिए आती हैं. उन्होंने कहा कि जो भी भक्त यहां पर आकर सच्चे मन से माता रानी की पूजा और आराधना करता है, उसकी माता रानी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.वही भक्त अमरनाथ गुप्ता ने बताया, कि यह मंदिर काफी पुराना है. वे नवरात्र में ही नहीं बल्कि हर दिन माता रानी के दर्शन कर लिए यहां आते हैं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से आकर मां की ज्योति जलाता है, उनकी पूजा करता है, माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

पूजा-आराधना के लिए पहुंचते हैं भक्त.
पूजा-आराधना के लिए पहुंचते हैं भक्त. (Photo Credit; ETV Bharat)

भक्तों के लिए किए गए पुख्ता इंतजाम : मंदिर के पुजारी ने बताया कि, नवरात्रि के पावन पर्व को लेकर इस बार मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा खास इंतजाम किए गए हैं. महिला और पुरुष की अलग-अलग लाइन बनाई गई है. वहीं बैरिकेडिंग के साथ-साथ पूरे मंदिर प्रांगण को सीट सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है. मंदिर के कपाट को माता रानी की पूजा अर्चना के बाद सुबह 4:00 बजे भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे.इसके बाद से भक्त माता रानी के दर्शन कर सकेंगे मंदिर और पुलिस प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं.

यह भी पढ़ें : VIDEO, यूपी का सबसे बड़ा शक्तिपीठ; यहां साक्षात विराजमान हैं जगत जननी जगदंबा, वेदों में भी बताई गई है मां की महिमा

कानपुर : शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो चुकी है. सभी देवी मंदिर पूरी तरह से सज चुके हैं. सुबह से ही मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. हर तरफ माता रानी के जयकारों की गूंज है. कानपुर के हजारों वर्ष पुराने देवी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को 4 देवियों के दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है. इस मंदिर को तपेश्वरी मंदिर के नाम से जाना जाता है. माता रानी यहां आने वाले निसंतान महिलाओं की गोद भरती हैं. यह वह स्थान है जहां माता सीता ने लव कुश का मुंडन कराया था.

रामायण काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास : ईटीवी भारत से खास बातचीत में मंदिर के पुजारी शिवमंगल ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है. मां सीता ने आकर यहां पर तप किया था. इसके अलावा इसी तपेश्वरी मंदिर में ही लवकुश का मुंडन और कानछेदन का शुभ कार्य भी किया गया था. मां सीता बिठूर से आकर इसी मंदिर में तप करती थीं. नवरात्रि में ही नहीं बल्कि हर रोज यहां पर हजारों की संख्या में भक्ति दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर को लेकर एक विशेष मान्यता यह है कि जिन भी दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति नहीं होती है, वह अगर तपेश्वरी मंदिर में आकर विराजमान चारों देवियों के दर पर अपना शीश झुका दें, सच्चे मन से उनकी पूजा-अर्चना कर लें तो उन्हें माता रानी की कृपा से संतान की प्राप्ति हो जाती है.

रामायणकालीन है कानपुर का तपेश्वरी देवी मंदिर. (Video Credit; ETV Bharat)

इस मंदिर में विराजमान है एक साथ चार देवियां : मंदिर के पुजारी ने बताया कि मां सीता कानपुर के बिठूर में ठहरी थीं. तपेश्वरी मंदिर में जाकर भगवान राम को पाने के लिए तप किया करती थी. कहां जाता है, कि मां सीता के साथ तीन अन्य महिलाएं कमला, विमला और सरस्वती भी उनके साथ यहां पर तप करती थीं. इस वजह से इस मंदिर को नाम तपेश्वरी मंदिर पड़ा. मंदिर में जो चार देवियां विराजमान हैं, वह कमला, विमला, सरस्वती और मां सीता हैं. मगर आज तक इस बात की जानकारी किसी को नहीं हो सकी और सिर्फ एक रहस्य मात्र बनकर ही रह गया कि आखिर इन चारों देवियों की मूर्तियों में से मां सीता की मूर्ति कौन सी है?

नवरात्रि के पहले दिन लाखों की संख्या में पहुंचे भक्त : नवरात्रि के पहले दिन ही तपेश्वरी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लग गया. महिला भक्त आरती तिवारी ने बताया कि वह पूरे नवरात्र माता तपेश्वरी के दर्शन करने के लिए आती हैं. उन्होंने कहा कि जो भी भक्त यहां पर आकर सच्चे मन से माता रानी की पूजा और आराधना करता है, उसकी माता रानी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.वही भक्त अमरनाथ गुप्ता ने बताया, कि यह मंदिर काफी पुराना है. वे नवरात्र में ही नहीं बल्कि हर दिन माता रानी के दर्शन कर लिए यहां आते हैं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से आकर मां की ज्योति जलाता है, उनकी पूजा करता है, माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

पूजा-आराधना के लिए पहुंचते हैं भक्त.
पूजा-आराधना के लिए पहुंचते हैं भक्त. (Photo Credit; ETV Bharat)

भक्तों के लिए किए गए पुख्ता इंतजाम : मंदिर के पुजारी ने बताया कि, नवरात्रि के पावन पर्व को लेकर इस बार मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा खास इंतजाम किए गए हैं. महिला और पुरुष की अलग-अलग लाइन बनाई गई है. वहीं बैरिकेडिंग के साथ-साथ पूरे मंदिर प्रांगण को सीट सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है. मंदिर के कपाट को माता रानी की पूजा अर्चना के बाद सुबह 4:00 बजे भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे.इसके बाद से भक्त माता रानी के दर्शन कर सकेंगे मंदिर और पुलिस प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं.

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