मेरठ: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कोविड-19 को देखते हुए टेली एग्रीकल्चर सेवा शुरू की गई है. इसका किसान लाभ उठा रहे हैं. इस सेवा के शुरू होने के बाद 1 सप्ताह से पहले ही 100 से अधिक किसान अपनी कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान पा चुके हैं. इस सेवा का अच्छा रिजल्ट मिलने के बाद कृषि विश्वविद्यालय इसके और अधिक विस्तार की योजना बना रहा है.
कोविड-19 को देखते हुए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय ने बीती 1 अगस्त को टेली एग्रीकल्चर सेवा की शुरुआत की थी. किसान संबंधी इस सेवा का शुभारंभ प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और राज्यसभा सांसद विजयपाल तोमर ने किया था. इस सेवा को किसानों की कृषि संबंधी समस्याओं के निस्तारण के लिए शुरू किया गया था ताकि किसान बिना यूनिवर्सिटी में आए अपने खेतों में फसलों में लगने वाले रोग आदि के बारे में बता कर उसका समाधान कर सकें. इस योजना को शुरू हुए अभी 1 सप्ताह भी नहीं हुआ है और इसका अच्छा रिजल्ट सामने आ रहा है.
कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. आरएस सेंगर ने बताया कि अब तक 100 से अधिक किसान इस सेवा से जुड़कर अपनी समस्याओं से अवगत करा चुके हैं. किसानों की समस्या का निस्तारण कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने प्राथमिकता के आधार पर किया है. किसानों ने पपीता, केला, मक्का, धान आदि फसलों में इस समय दिखाई दे रहे रोग के बारे में अवगत कराते हुए उपचार की जानकारी मांगी है. इस पर कृषि विशेषज्ञों द्वारा उनकी समस्या का समाधान कराया गया है.
'किसानों से लिया जाएगा फीडबैक'
प्रोफेसर डॉ. आरएस सेंगर ने बताया कि जिस तरह से शुरुआती दौर में ही टेली एग्रीकल्चर सेवा के अच्छे रिजल्ट सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए इस सेवा के विस्तार की योजना तैयार की जा रही है. अभी इस सेवा से कृषि विश्वविद्यालय क्षेत्र के जनपदों के किसान ही जुड़े हैं. जल्द ही इससे पूरे प्रदेश के किसानों को जोड़ने की तैयारी की जा रही है.
कुलपति डाॅ. आरके मित्तल के निर्देशानुसार जिन किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है उनसे फीडबैक भी लिया जाएगा. किसानों से पूछा जाएगा कि जो उपचार उन्हें बताया गया उससे कितना लाभ हुआ. जरूरी हुआ तो कृषि वैज्ञानिक किसान के खेत पर जाकर समस्या के बारे में जांच पड़ताल के बाद उसके समाधान के लिए उपचार बताएंगे.
किसानों के बनाए जा रहे ग्रुप
प्रोफेसर डाॅ. आरएस सेंगर ने बताया टेली एग्रीकल्चर सेवा से किसानों को जोड़ने के लिए उनके ग्रुप बनाए गए हैं, जिन्हें व्हाट्सएप से जोड़ा गया है. किसान व्हाट्सएप पर अपनी समस्या के बारे में अवगत कराते हैं. फोटो या वीडियो के द्वारा वह फसल में लगे रोग आदि के बारे में जानकारी देते हैं, जिसका कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक परीक्षण के बाद निदान करते हैं.