लखनऊ: एक तरफ कोरोना महामारी से सरकार लोगों को राहत देने में लगी हुई है तो वहीं दूसरी ओर किसानों को भी राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद को शुरू किया और प्रदेश भर में जगह-जगह गेहूं क्रय केंद्रों की स्थापना की. पूरे लखनऊ में कुल 38 गेहूं क्रय केंद्र बनाए गए. वहीं मोहनलालगंज तहसील के अंतर्गत 16 गेहूं क्रय केंद्र बनाए गए हैं. जिसमें से मोहनलालगंज ब्लॉक में 9 केंद्र तथा गोसाईगंज ब्लॉक में 7 केंद्र स्थित हैं. इसके बाद भी मोहनलालगंज ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कई गांवों में छोटे किसान परेशानी का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उनके गांव से क्रय केंद्र की दूरी काफी अधिक है. जिसके चलते किसान अपने अनाज को औने-पौने दामों पर बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
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किसानों को होती है दिक्कत
लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम शेरपुर लवल के किसान रामकुमार प्रजापति ने बताया कि निगोहा के आसपास कोई भी गेहूं क्रय केंद्र नहीं बना है. उन्हें अपने गेहूं या अनाज को बेचने के लिए अपने गांव से करीब 18 किलोमीटर दूर समेसी ग्राम पंचायत में बने क्रय केंद्र पर जाना पड़ता है. अधिक दूरी होने की वजह से गांव में किसान अपने अनाज को क्षेत्रीय बिचौलियों को ही बेचने को मजबूर हो जाते हैं. जिसका उन्हें उचित दाम भी नहीं मिलता. किसानों का कहना है कि कई बार उन्होंने अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से बात भी की, लेकिन उन्हें बस आश्वासन ही मिला है.
गांव में नहीं है क्रय केंद्र
राजधानी लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में किसानों को सहूलियत देने के लिए सरकार ने भले ही गेहूं क्रय केंद्रों की स्थापना की हो, लेकिन शहर से दूर-दराज के कई ऐसे इलाके हैं जहां आसपास गेहूं क्रय केंद्र ना होने की वजह से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कुछ ऐसी ही परेशानी राजधानी के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसानों को हो रही है. अब ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर कब किसानों को हो रही इस समस्या का अधिकारी संज्ञान लेंगे.