बरेली:वैसे तो पूरा देश होली के रंग में रंगा हुआ है, लेकिन बरेली की बात करें तो यहां की होली खास होती है, क्योंकि देश में मात्र एक बरेली ही ऐसी जगह है, जहां रामलीला होली के समय होती है. दूसरी खास बात यह है कि यहां पर सांप्रदायिक सद्भावना मेला का आयोजन होता है, इस आयोजन को 74 वर्ष हो गए हैं.
इस मेले की विशेषता यह है कि यहां हर मजहब, जाति के लोग एकजुटता के साथ आते हैं, जहां सांप्रदायिक सद्भाव देखने को मिलता है. हर वर्ष आने वाली दीपावली की तिथि से 14वें दिन बैकुंठ चतुर्दशी के दिन मेला लगाया जाता है.
इस अवसर पर शिवालयों में पूजा होती है. जनपद के प्रसिद्ध शिवालयों और श्रीनगर में कमलेश्वर और बिन्सर शिवालय के दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं. वह भोले बाबा की आराधना कर अपनी मनोकामना पूर्ति का वर मांगते हैं.
मान्यता है कि त्रेता युग में रावण का वध कर श्रीराम ने 108 कमल प्रतिदिन एक माह तक भगवान शिव को अर्पण किए. प्रतिवर्ष कार्तिक मास की त्रिपुरोत्सव पूर्णमासी को जब विष्णु भगवान ने सहस कमल पुष्पों से अर्चना कर शिव को प्रसन्न कर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था, उस आधार पर वैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए दम्पति रात्रि को हाथ में दीपक धारण कर भगवान शंकर को फल प्राप्ति के लिए प्रसन्न करते हैं.
यहां स्थित कमलेश्वर मन्दिर काफी प्राचीन और पौराणिक महत्व के मंदिरों में से है. किवदंती है कि यह स्थान देवताओं की नगरी भी रही है. इस शिवालय में भगवान विष्णु ने तपस्या कर सुदर्शन-चक्र प्राप्त किया तो श्रीराम ने रावण वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए कामना करने यहां आए थे. उन्होंने यहां भगवान शिव को प्रसन्न किया और पापमुक्त हुए.
यह मेला वर्षों से हिंदू सोशल ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसमें केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि मुसलमानों की भागीदारी भी होती है. सभी धर्मों के लोग यहां आते हैं और होली मिलकर भाईचारे का संदेश देते हैं.