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... तो यहां लगता है सांप्रदायिक सद्भाव का मेला

74 वर्षों से लग रहा यह होली मेला बरेली ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी संप्रदायिक सद्भावना के लिए प्रसिद्ध है. यहां दूर-दूर से लोग इस मेले को देखने आते हैं. आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे को होली मिलकर बधाइयां देते हैं.

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Published : Mar 21, 2019, 11:50 PM IST

... तो यहां लगता है सांप्रदायिक सद्भाव का मेला

बरेली:वैसे तो पूरा देश होली के रंग में रंगा हुआ है, लेकिन बरेली की बात करें तो यहां की होली खास होती है, क्योंकि देश में मात्र एक बरेली ही ऐसी जगह है, जहां रामलीला होली के समय होती है. दूसरी खास बात यह है कि यहां पर सांप्रदायिक सद्भावना मेला का आयोजन होता है, इस आयोजन को 74 वर्ष हो गए हैं.

इस मेले की विशेषता यह है कि यहां हर मजहब, जाति के लोग एकजुटता के साथ आते हैं, जहां सांप्रदायिक सद्भाव देखने को मिलता है. हर वर्ष आने वाली दीपावली की तिथि से 14वें दिन बैकुंठ चतुर्दशी के दिन मेला लगाया जाता है.

बरेली काहोली मेलासद्भावना के लिए प्रसिद्ध.

इस अवसर पर शिवालयों में पूजा होती है. जनपद के प्रसिद्ध शिवालयों और श्रीनगर में कमलेश्वर और बिन्सर शिवालय के दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं. वह भोले बाबा की आराधना कर अपनी मनोकामना पूर्ति का वर मांगते हैं.

मान्यता है कि त्रेता युग में रावण का वध कर श्रीराम ने 108 कमल प्रतिदिन एक माह तक भगवान शिव को अर्पण किए. प्रतिवर्ष कार्तिक मास की त्रिपुरोत्सव पूर्णमासी को जब विष्णु भगवान ने सहस कमल पुष्पों से अर्चना कर शिव को प्रसन्न कर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था, उस आधार पर वैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए दम्पति रात्रि को हाथ में दीपक धारण कर भगवान शंकर को फल प्राप्ति के लिए प्रसन्न करते हैं.

यहां स्थित कमलेश्वर मन्दिर काफी प्राचीन और पौराणिक महत्‍व के मंदिरों में से है. किवदंती है कि यह स्थान देवताओं की नगरी भी रही है. इस शिवालय में भगवान विष्णु ने तपस्या कर सुदर्शन-चक्र प्राप्त किया तो श्रीराम ने रावण वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए कामना करने यहां आए थे. उन्होंने यहां भगवान शिव को प्रसन्न किया और पापमुक्त हुए.

यह मेला वर्षों से हिंदू सोशल ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसमें केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि मुसलमानों की भागीदारी भी होती है. सभी धर्मों के लोग यहां आते हैं और होली मिलकर भाईचारे का संदेश देते हैं.

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... तो यहां लगता है सांप्रदायिक सद्भाव का मेला
एक ओर जहां राजनीतिक दलों के नेता विपक्षी पार्टियों के नेताओं को चुनावी दंगल में पटकने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं. वहीं बरेली का यह सांप्रदायिक सद्भावना मेला सभी राजनीतिक पार्टियों को एक छत के नीचे लाकर एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई देने के लिए मजबूर कर देता है. यह भाईचारे की मिसाल है कि पार्टी के तौर पर तो एक दूसरे की आलोचना होती रहती है, लेकिन एक इंसान के तौर पर एक-दूसरे को प्यार से गले लगा के होली की बधाइयां देते हैं.

बरेली:वैसे तो पूरा देश होली के रंग में रंगा हुआ है, लेकिन बरेली की बात करें तो यहां की होली खास होती है, क्योंकि देश में मात्र एक बरेली ही ऐसी जगह है, जहां रामलीला होली के समय होती है. दूसरी खास बात यह है कि यहां पर सांप्रदायिक सद्भावना मेला का आयोजन होता है, इस आयोजन को 74 वर्ष हो गए हैं.

इस मेले की विशेषता यह है कि यहां हर मजहब, जाति के लोग एकजुटता के साथ आते हैं, जहां सांप्रदायिक सद्भाव देखने को मिलता है. हर वर्ष आने वाली दीपावली की तिथि से 14वें दिन बैकुंठ चतुर्दशी के दिन मेला लगाया जाता है.

बरेली काहोली मेलासद्भावना के लिए प्रसिद्ध.

इस अवसर पर शिवालयों में पूजा होती है. जनपद के प्रसिद्ध शिवालयों और श्रीनगर में कमलेश्वर और बिन्सर शिवालय के दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं. वह भोले बाबा की आराधना कर अपनी मनोकामना पूर्ति का वर मांगते हैं.

मान्यता है कि त्रेता युग में रावण का वध कर श्रीराम ने 108 कमल प्रतिदिन एक माह तक भगवान शिव को अर्पण किए. प्रतिवर्ष कार्तिक मास की त्रिपुरोत्सव पूर्णमासी को जब विष्णु भगवान ने सहस कमल पुष्पों से अर्चना कर शिव को प्रसन्न कर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था, उस आधार पर वैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए दम्पति रात्रि को हाथ में दीपक धारण कर भगवान शंकर को फल प्राप्ति के लिए प्रसन्न करते हैं.

यहां स्थित कमलेश्वर मन्दिर काफी प्राचीन और पौराणिक महत्‍व के मंदिरों में से है. किवदंती है कि यह स्थान देवताओं की नगरी भी रही है. इस शिवालय में भगवान विष्णु ने तपस्या कर सुदर्शन-चक्र प्राप्त किया तो श्रीराम ने रावण वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए कामना करने यहां आए थे. उन्होंने यहां भगवान शिव को प्रसन्न किया और पापमुक्त हुए.

यह मेला वर्षों से हिंदू सोशल ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसमें केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि मुसलमानों की भागीदारी भी होती है. सभी धर्मों के लोग यहां आते हैं और होली मिलकर भाईचारे का संदेश देते हैं.

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... तो यहां लगता है सांप्रदायिक सद्भाव का मेला
एक ओर जहां राजनीतिक दलों के नेता विपक्षी पार्टियों के नेताओं को चुनावी दंगल में पटकने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं. वहीं बरेली का यह सांप्रदायिक सद्भावना मेला सभी राजनीतिक पार्टियों को एक छत के नीचे लाकर एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई देने के लिए मजबूर कर देता है. यह भाईचारे की मिसाल है कि पार्टी के तौर पर तो एक दूसरे की आलोचना होती रहती है, लेकिन एक इंसान के तौर पर एक-दूसरे को प्यार से गले लगा के होली की बधाइयां देते हैं.
Intro:वैसे तो पूरा देश होली के रंग में रंगा हुआ है लेकिन बरेली की बात करें या होली तो खास होती है क्योंकि देश में मात्र एक बरेली है जहां रामलीला होली के टाइम होती है दूसरी खास बात यहां पर लगने वाला सांप्रदायिक सद्भावना मेला का आयोजन होता है इस आयोजन को को 74 वर्ष हो गए हैं।



Body: एक तो होली ऊपर से सियासी रंग चढ़ाए हुए नेता होली का दुगना मजा ले रहे हैं साथ ही साथ अपने अपने प्रतिद्वंदी को किस मामले में चित करा जाए इस चुनाव में कैसे जीत हासिल करी जाए इस काम में लगे हुए हैं लेकिन बात करें बरेली की होली वैसे तो बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है पर यहां लगने वाला संप्रदायिक सद्भावना मेला एक ऐसा मेला है जहां एक ही मंच पर सारी राजनीतिक पार्टियां सारे संगठन एकत्रित होकर होली मिलन का कार्यक्रम करते हैं।
बाइट:-विनोद पगरानी (डॉक्टर)
यह मेला वर्षों से हिंदू सोशल ट्रस्ट द्वारा चलाया जा रहा है इसमें केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमानों की भागीदारी भी होती है सभी धर्मों के लोग यहां आते हैं आपस में होली मिलकर भाईचारे का संदेश देते हैं
बाइट:- रामकुमार शुक्ला( समाजसेवी)
75 वर्षों से लग रहा है यह होली मेला बरेली ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी संप्रदायिक सद्भावना के लिए प्रसिद्ध है यहां दूर-दूर से लोग इस मेले को देखने आते हैं आपस में मिलते हैं और एक दूसरे को होली मिलकर बधाइयां देते हैं



Conclusion:एक तरफ जहां राजनीतिक दलों के नेता विपक्षी पार्टियों के नेताओं को चुनावी दंगल में पटकने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं और एक दूसरे पर आरोप - प्रत्यारोप लगाते रहते हैं वहीं बरेली का यह संप्रदायिक सद्भावना मेला सभी राजनीतिक पार्टियों को एक छत के नीचे लाकर एक दूसरे को गले लग कर बधाई देने के लिए मजबूर कर देता है या कहें ।यह भाईचारे की मिसाल है की पार्टी के तौर पर तो एक दूसरे की आलोचना होती रहती है लेकिन एक इंसान के तौर पर एक दूसरे को प्यार से गले लग के होली की बधाइयां देते हैं
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