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गंगा संरक्षण पर बोले डॉ. संदीप, कहा- इतनी संवेदनहीन सरकार नहीं देखी

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर संदीप पांडेय ने भाजपा सरकार को संवेदनहीन बताया है. उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई के लिए कोई काम नहीं हुआ है, जिससे गंगा गंदी होती जा रही है.

मीडिया से बात करते डॉ. संदीप पांडेय.
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Published : Apr 14, 2019, 4:36 AM IST

अलीगढ़ : अलीगढ़ में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर संदीप पांडेय ने गंगा को बचाने के लिए अनशन पर बैठे साधुओं का मामला उठाया है. इस दिशा में संदीप पांडेय गंगा के अविरल प्रवाह की मांग को लेकर दिल्ली से हरिद्वार तक पद यात्रा निकाल रहे हैं.

मीडिया से बात करते डॉ. संदीप पांडेय.
ये है पूरा मामला
  • संदीप पांडेय ने कहा कि स्वामी सानंद की मौत के बाद केरल के ब्रह्मचारी आत्म बोधानंद गंगा के अविरल व निर्मल बहाव की मांग को लेकर 172 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं.
  • स्वामी सानंद चाहते थे कि गंगा अविरल निर्मल बहे और गंगा के संरक्षण के लिए कानून भी बने.
  • इसका मसौदा स्वामी सानंद ने तैयार किया था, लेकिन इस पर कोई बातचीत नहीं हुई.
  • 112 दिन के अनशन में स्वामी सानंद की जान चली गई.
  • मरने से पहले स्वामी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 4 चिट्ठियां लिखी थीं.
  • मनमोहन सिंह की सरकार में स्वामी सानंद 5 बार अनशन पर बैठे थे.
  • स्वामी सानंद की मौत के बाद उनके संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए केरल निवासी 26 वर्षीय ब्रह्मचारी आत्म बोधानंद मातृ सदन उसी स्थान पर 172 दिन से अनशन पर बैठे हैं.
  • गंगा के संरक्षण के लिए तीन संतों की जान जा चुकी है. जिसमें स्वामी निगमानंद, स्वामी गोकुलानंद और स्वामी नागनाथ शामिल हैं.

गंगा की सफाई के लिए कोई काम नहीं हुआ है. गंगा गंदी होती जा रही है. पिछली सरकार में राजीव गांधी एक्शन प्लान में करोड़ों रुपए खर्च हुए. इस सरकार में भी कई गुना ज्यादा रुपया खर्च हो चुका है. सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते गंगा के निर्मल प्रवाह के लिए अनशन पर बैठे साधुओं के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं. राम मंदिर के मुद्दे पर भीड़ जुटा लेते हैं, लेकिन गंगा के संरक्षण में अपनी जान की बाजी लगाने वाले साधुओं के प्रति कोई सहानुभूति नहीं दिखता है.
-डॉक्टर, संदीप पांडेय

अलीगढ़ : अलीगढ़ में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर संदीप पांडेय ने गंगा को बचाने के लिए अनशन पर बैठे साधुओं का मामला उठाया है. इस दिशा में संदीप पांडेय गंगा के अविरल प्रवाह की मांग को लेकर दिल्ली से हरिद्वार तक पद यात्रा निकाल रहे हैं.

मीडिया से बात करते डॉ. संदीप पांडेय.
ये है पूरा मामला
  • संदीप पांडेय ने कहा कि स्वामी सानंद की मौत के बाद केरल के ब्रह्मचारी आत्म बोधानंद गंगा के अविरल व निर्मल बहाव की मांग को लेकर 172 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं.
  • स्वामी सानंद चाहते थे कि गंगा अविरल निर्मल बहे और गंगा के संरक्षण के लिए कानून भी बने.
  • इसका मसौदा स्वामी सानंद ने तैयार किया था, लेकिन इस पर कोई बातचीत नहीं हुई.
  • 112 दिन के अनशन में स्वामी सानंद की जान चली गई.
  • मरने से पहले स्वामी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 4 चिट्ठियां लिखी थीं.
  • मनमोहन सिंह की सरकार में स्वामी सानंद 5 बार अनशन पर बैठे थे.
  • स्वामी सानंद की मौत के बाद उनके संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए केरल निवासी 26 वर्षीय ब्रह्मचारी आत्म बोधानंद मातृ सदन उसी स्थान पर 172 दिन से अनशन पर बैठे हैं.
  • गंगा के संरक्षण के लिए तीन संतों की जान जा चुकी है. जिसमें स्वामी निगमानंद, स्वामी गोकुलानंद और स्वामी नागनाथ शामिल हैं.

गंगा की सफाई के लिए कोई काम नहीं हुआ है. गंगा गंदी होती जा रही है. पिछली सरकार में राजीव गांधी एक्शन प्लान में करोड़ों रुपए खर्च हुए. इस सरकार में भी कई गुना ज्यादा रुपया खर्च हो चुका है. सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते गंगा के निर्मल प्रवाह के लिए अनशन पर बैठे साधुओं के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं. राम मंदिर के मुद्दे पर भीड़ जुटा लेते हैं, लेकिन गंगा के संरक्षण में अपनी जान की बाजी लगाने वाले साधुओं के प्रति कोई सहानुभूति नहीं दिखता है.
-डॉक्टर, संदीप पांडेय

Intro:अलीगढ़ : अलीगढ़ में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर संदीप पांडे ने भाजपा के शासन में गंगा को बचाने के लिए अनशन पर बैठे साधुओं के जान देने का मामला उठाया है. इस दिशा में संदीप पांडे ने गंगा के अविरल प्रवाह की मांग को लेकर दिल्ली से हरिद्वार तक पद यात्रा निकाल रहे हैं . अलीगढ़ में सर सैयद नगर में पहुंचे डॉक्टर संदीप पांडे ने कहा कि स्वामी सानंद की मौत के बाद केरल के ब्रह्मचारी आत्म बोधानंद गंगा के अविरल व निर्मल बहाव की मांग को लेकर 172 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं. लेकिन सरकार मांगों को सुन नहीं रही है.

रेमन मैग्सेसे सम्मानित संदीप पांडे ने कहा

इस चुनाव में इस मुद्दे को ले जा रहे हैं कि स्वामी सानंद जी चाहते थे कि गंगा अविरल निर्मल बहे और गंगा के संरक्षण के लिए कानून भी बने . इसका मसौदा स्वामी सानंद ने तैयार किया था .वहीं दूसरा सरकार की तरफ से मसौदा तैयार किया गया .लेकिन इस पर कोई बातचीत नहीं हो रही है.

112 दिन के अनशन में स्वामी सानंद की जान चली गई. जबकि मरने से पहले स्वामी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 4 चिट्ठियां लिखी थी. लेकिन न तो प्रधानमंत्री मोदी ने बात की और ना ही नितिन गडकरी ने कोई बात की और स्वामी सानंद को मरने के लिए छोड़ दिया गया.


Body:मनमोहन सिंह की सरकार में स्वामी सानंद 5 बार अनशन पर बैठे थे लेकिन मरने की नौबत नहीं आई थी . लेकिन भाजपा सरकार संवेदनहीन है.

स्वामी सानंद की मौत के बाद उनके संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए 26 वर्षीय केरल निवासी ब्रह्मचारी आत्म बोधानंद मातृ सदन के उसी स्थान पर 172 दिन से गंगा के संरक्षण को लेकर अनशन पर बैठे हैं . गंगा के संरक्षण के लिए तीन संतों की जान जा चुकी है . जिसमें स्वामी निगमानंद, स्वामी गोकुलानंद . स्वामी नागनाथ की जान जा चुकी है. वही संत गोपाल दास 6 दिसंबर 2018 से देहरादून से गायब है.

अर्ध कुंभ की अवधि में कृत्रिम तरीके से गंगा का पानी साफ किया गया था. यह गंगा की जैव विविधता के बगैर था और यह अस्थाई व्यवस्था थी. सरकार स्थाई रूप से गंगा की सफाई क्यों नहीं कर रही है ? वैज्ञानिकों का कहना है जब तक गंगा में न्यूनतम प्रवाह नहीं बनेगा . तब तक गंगा की निर्मलता नहीं रहेगी. इस प्रवाह को बांध बाधित करते हैं.


Conclusion:संघ परिवार गंगा और उसके लिए अनशनरत साधुओं के प्रति संवेदनहीन है . जो दिखाता है कि हिंदुत्व के नाम पर राजनीति करने वाले संगठनों का धार्मिक मुद्दों से कोई मतलब नहीं है . साधुओं की जान सरकार बचा सकती है. आखिर नरेंद्र मोदी की सरकार साधुओं से बात क्यों नहीं कर रही है?

डॉक्टर संदीप पांडे का बयान

गंगा की सफाई के लिए कोई काम नहीं हुआ है. गंगा गंदी होती जा रही है. पिछली सरकार में राजीव गांधी एक्शन प्लान में करोड़ों रुपए खर्च हुए. इस सरकार में भी कई गुना ज्यादा रुपया खर्च हो चुका है. सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते गंगा के निर्मल प्रवाह के लिए अनशन पर बैठे साधुओं के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं. संदीप पांडे ने कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर भीड़ जुटा लेते हैं. लेकिन गंगा के संरक्षण में अपनी जान की बाजी लगाने वाले साधुओं के प्रति कोई
सहानुभूति नहीं दिखती है.

आलोक सिंह,अलीगढ़
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